आज भारत में सैकड़ों बैंक हैं, हर गली-मोहल्ले में एटीएम नजर आते हैं और ऑनलाइन बैंकिंग अब आम बात हो गई है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में बैंकिंग की शुरुआत कब और कहां से हुई थी? किस बैंक ने सबसे पहले लोगों को पैसे जमा करने और निकालने की सुविधा दी थी? चलिए जानते हैं भारत में सबसे पहला बैंक कौन सा था, किसने बनवाया था और इसके पीछे का पूरा इतिहास.
भारत में बैंकिंग की शुरुआत कब हुई?
18वीं सदी के मध्य में भारत में व्यापार का दायरा बढ़ रहा था. अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी देश के कई हिस्सों में व्यापार फैला चुकी थी. ऐसे समय में व्यापारियों और कंपनी को पैसों के सुरक्षित और व्यवस्थित लेन-देन की जरूरत महसूस हुई. यही वो समय था जब बैंकिंग जैसी विचार लोगों के दिमाग में आया.
भारत का पहला बैंक
'बैंक ऑफ हिंदुस्तान', भारत का सबसे पहला बैंक था, जिसकी स्थापना 1770 में कोलकाता (तब का कलकत्ता) में की गई थी. यह भारत का पहला निजी बैंक था. इसे ब्रिटिश व्यापारियों और बैंकरों ने मिलकर शुरू किया था. इसका मकसद व्यापार से जुड़े लेन-देन को आसान बनाना और ब्रिटिश कंपनियों को वित्तीय सहायता देना था.
आम लोगों के लिए नहीं था बैंक
उस समय बैंक ऑफ हिंदुस्तान आम भारतीय नागरिकों के लिए नहीं, बल्कि खासतौर पर ब्रिटिश व्यापारिक संस्थाओं के लिए काम करता था. भारतीय जनता में उस दौर में बैंकिंग की समझ और जरूरत सीमित थी. फिर भी यह बैंक आधुनिक बैंकिंग प्रणाली की दिशा में पहला कदम माना जाता है.
बैंक का सफर और बंद होना
बैंक ऑफ हिंदुस्तान ने करीब 62 साल तक काम किया, लेकिन धीरे-धीरे यह आर्थिक समस्याओं और प्रबंधन की कमियों के कारण कमजोर पड़ने लगा. बाद में, 1832 में यह बैंक हमेशा के लिए बंद हो गया. हालांकि, इसका सफर छोटा था पर इसका ऐतिहासिक महत्व बहुत बड़ा रहा.
बैंक ऑफ हिंदुस्तान की विरासत
हालांकि, यह बैंक अब अस्तित्व में नहीं है, लेकिन इसने भारत में बैंकिंग संस्कृति की नींव रख दी थी. इसके बाद कई और बैंक आए, जैसे कि प्रेसीडेंसी बैंक, और फिर बाद में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) जैसे बड़े सार्वजनिक बैंक. बैंक ऑफ हिंदुस्तान ने रास्ता दिखाया कि भारत जैसे देश में भी संगठित बैंकिंग व्यवस्था संभव है.