India-pakistan tension: कई लोगों के लिए 1971 के युद्ध में जब बांग्लादेश एक अलग देश बना था, उस दौरान की कुछ यादें कल 7 मई को ताजा हो जाएंगी. दरअसल नरेंद्र मोदी सरकार ने उत्तरी और पश्चिमी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया है. केंद्र की ओर से यह संदेश 5 मई को पहलगाम में हुए नृशंस हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव के बीच आया, जिसमें आतंकवादियों ने 26 नागरिकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
महानिदेशालय अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है, 'मौजूदा भू-राजनीतिक परिदृश्य में, नए और जटिल खतरे/चुनौतियां उभरी हैं, इसलिए यह समझदारी होगी कि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में हर समय इष्टतम नागरिक सुरक्षा तैयारियां बनाए रखी जाएं.'
बता दें कि यह कदम भारत के लिए महत्वपूर्ण है. भारत ने यहां तक की 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भी इस तरह का अभ्यास नहीं किया था.
लेकिन इन मॉक ड्रिल में क्या शामिल है? हम कल इनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं? इनका महत्व क्यों है?
मॉक ड्रिल के लिए केंद्र का आदेश
मंगलवार (5 मई) को गृह मंत्रालय ने उत्तर और पश्चिम के कई राज्यों को नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया.
नागरिक सुरक्षा अभ्यास और रिहर्सल का उद्देश्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नागरिक सुरक्षा तंत्र की तत्परता का आकलन करना और उसे बढ़ाना है.
मॉक ड्रिल के लिए मोदी प्रशासन ने जिला नियंत्रकों, विभिन्न जिला प्राधिकारियों, नागरिक सुरक्षा वार्डनों, स्वयंसेवकों, होमगार्ड (सक्रिय और रिजर्व स्वयंसेवक), राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC), राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS), कॉलेज और स्कूल के छात्रों को इसमें भाग लेने के लिए कहा है.
मॉक ड्रिल में क्या-क्या शामिल होगा?
तो 7 मई को देश के अलग-अलग हिस्सों में आयोजित होने वाले मॉक ड्रिल से क्या उम्मीद?
सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मॉक ड्रिल में हवाई हमले की चेतावनी के बारे में बताया जाएगा. इसका मतलब है कि जिन भी शहरों में ये ड्रिल होगी वहां हवाई हमले के सायरन का परीक्षण और सक्रियण किया जाएगा. सायरन को ऐसे समझें कि आने वाले हवाई खतरे के बारे में नागरिकों को सचेत करने के लिए डिजाइन किए गए जोरदार आपातकालीन अलार्म बजेंगे.
यहां यह भी देखा जाएगा कि किसी भी हवाई हमले, जैसे मिसाइल हमलों या ड्रोन हमलों के दौरान यह अलार्म तुरंत सचेत करेंगे या नहीं. सायरन एक महत्वपूर्ण और पहली चेतावनी होगी, जिससे लोग जल्दी से शेल्टर की ओर जा सकते हैं.
मॉक ड्रिल में क्रैश ब्लैकआउट उपायों को भी लागू किया जाएगा. इसमें रात के समय हवाई निगरानी या हमलों के दौरान लक्ष्य बनने से बचने के लिए सभी लाइटों को कम समय में बंद करना शामिल है.
कल के रिहर्सल में महत्वपूर्ण जगहों को छिपाने का भी काम शामिल हो सकता है. जैसे औद्योगिक संयंत्र, सरकारी इमारतें, सैन्य चौकियां, बिजली स्टेशन और संचार केंद्र इस अभ्यास का हिस्सा हो सकते हैं.
छात्रों और नागरिकों को हमले की स्थिति में खुद को बचाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. इसके लिए, शैक्षणिक संस्थान, कार्यस्थल और सामुदायिक केंद्र कार्यशालाएं और त्वरित प्रतिक्रिया प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे. कार्यशालाओं में डक-एंड-कवर, निकटतम शेल्टर तक जाना, शरीर के महत्वपूर्ण अंगों की सुरक्षा और प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने जैसी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है.
मॉक ड्रिल के आदेश में बाहर निकलने के बारे में अपडेट करने और उनका पूर्वाभ्यास करने के लिए भी कहा गया है. इन उपायों के अलावा, मॉक ड्रिल में भारतीय वायु सेना के साथ हॉटलाइन/रेडियो संचार लिंक के संचालन का भी परीक्षण किया जाएगा.
मॉक ड्रिल का महत्व
पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने ये मॉक ड्रिल करने का निर्देश दिया है. यह निर्देश भारतीय सेना द्वारा पंजाब के फिरोजपुर कैंट में ब्लैक आउट ड्रिल करने के तीन दिन बाद आया है.
भारत में 1970 के दशक की शुरुआत में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान के बाद इस तरह की ड्रिल नहीं की गई हैं. उस समय भारत ने सायरन रेड की थी, जिसमें एक निश्चित समय पर सायरन बजता था, जिसके बाद लोगों को लाइट बंद करनी पड़ती थी.
1971 की मॉक ड्रिल की याद रखने वाले कुछ लोगों ने बताया कि कैसे उन्हें अपने घरों के शीशे कागज से ढकने पड़ते थे और अगर आप बाहर होते और सायरन सुनते, तो आपको फर्श पर लेटकर अपने कान बंद कर लेने होते थे.
कई विशेषज्ञों का मानना है कि मॉक ड्रिल ने अब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की धमक को और तेज कर दिया है. बता दें कि 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद से दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनाव बढ़ गया है.
कई विश्लेषकों का मानना है कि मॉक ड्रिल एक गहरे और ज्यादा चिंताजनक बदलाव का संकेत देते हैं. वे संघर्ष की संभावना को प्रबल करते हैं, जो दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों में और बढ़ोतरी है.
ऐसे समय में जब दुनिया पहले से ही क्षेत्रीय अस्थिरता को लेकर चिंतित है, भारत द्वारा इस तरह के अभ्यास करने का कदम यह दर्शाता है कि वह पाकिस्तान के साथ चल रहे गतिरोध में मुंह तोड़ जवाब देने के लिए तैयार है.
वहीं, अक्सर भूकंप या इमारत गिरने जैसी प्राकृतिक आपदाओं की तैयारी के लिए नियमित रूप से मॉक ड्रिल आयोजित की जाती हैं. लेकिन अब बाहरी खतरों से बचाव के उद्देश्य से उपाय किए जा रहे हैं. अभ्यास का उद्देश्य नागरिकों को सबसे खराब स्थिति के लिए तैयार करना है.
बड़े दिन की तैयारी
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, मॉक ड्रिल के निर्देश के बाद, दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने सभी डीसीपी को तैयारियों के लिए विस्तृत योजना तैयार करने को कहा है. पुलिस उपायुक्तों (DCPs) ने राष्ट्रीय राजधानी में गश्त को मजबूत करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठकें शुरू कर दी हैं.
एक सूत्र ने कहा, 'हमने पहले ही शहर में दिन और रात की गश्त बढ़ा दी है. हमने हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ दिल्ली की सीमाओं पर पुलिस कर्मियों के साथ अर्धसैनिक बलों को तैनात किया है. शहर में सुरक्षा पहले ही बढ़ा दी गई है. DCPs व्यक्तिगत रूप से अपने जिलों में व्यवस्था की निगरानी कर रहे हैं. वे सहायक पुलिस आयुक्तों (ACPs) और स्टेशन हाउस अधिकारियों (SHOs) के साथ बैठकें कर रहे हैं.'
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