भारत का पहला महिला विश्वविद्यालय कहां है? एक सपने ने बदला लाखों बेटियों का भविष्य

भारत में एक समय ऐसा था जब महिलाओं की शिक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था. उसी दौर में एक समाज सुधारक ने सिर्फ महिलाओं के लिए एक खास विश्वविद्यालय की नींव रखी. यह कदम नारी शिक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक और साहसी शुरुआत साबित हुआ.

Written by - Shantanu Singh | Last Updated : Jun 16, 2025, 01:06 PM IST
  • 1916 में हुई थी इसकी स्थापना
  • सिर्फ महिलाओं के लिए था यह विश्वविद्यालय
भारत का पहला महिला विश्वविद्यालय कहां है? एक सपने ने बदला लाखों बेटियों का भविष्य

एक समय था जब हमारे देश में लड़कियों की पढ़ाई को जरूरी नहीं माना जाता था. बहुत सी लड़कियां स्कूल तक नहीं जा पाती थीं. ऐसे माहौल में एक सोच ने जन्म लिया, अगर महिलाएं पढ़ेंगी, तो पूरा समाज आगे बढ़ेगा. इसी सोच ने भारत में एक ऐसा संस्थान बनाया, जो आगे चलकर लाखों महिलाओं की जिंदगी बदलने की वजह बना.

शुरुआत कैसे हुई?
1900 के दशक की शुरुआत में महिलाओं की शिक्षा पर कोई ध्यान नहीं देता था. लेकिन समाज सुधारक डॉ. धुंदिराज गोविंद कर्वे (D.G. Karve) ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाया. उन्होंने पहले विधवा महिलाओं को पढ़ाने का काम शुरू किया. लेकिन उनका सपना इससे बड़ा था, एक ऐसा विश्वविद्यालय, जो सिर्फ महिलाओं के लिए हो.

1916 में रखी गई नींव 
लंबी मेहनत और लोगों का सहयोग मिलने के बाद, 2 जुलाई 1916 को भारत के पहले महिला विश्वविद्यालय की स्थापना हुई. यह केवल पढ़ाई का स्थान नहीं था, बल्कि समाज की सोच को बदलने की दिशा में एक नई शुरुआत थी.

क्या है इस विश्वविद्यालय का नाम?
इस विश्वविद्यालय का नाम 'श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरे महिला विश्वविद्यालय' (SNDT Women’s University) है. यह विश्वविद्यालय मुंबई में स्थित है. इसका नाम एक व्यापारी सर विट्ठलदास ठाकरे की मां के नाम पर रखा गया, जिन्होंने विश्वविद्यालय को आर्थिक मदद दी थी. SNDT नाम आज महिला शिक्षा का एक मजबूत प्रतीक बन चुका है.

SNDT की खास बातें
यह भारत का पहला और एशिया का एक प्रमुख महिला विश्वविद्यालय है. इसकी शुरुआत सिर्फ 5 छात्राओं से हुई थी. आज इसके कई कैंपस मुंबई, पुणे और अन्य शहरों में हैं. यहां कला, विज्ञान, शिक्षा, फैशन, समाजशास्त्र, कानून और बिजनेस जैसे कई कोर्स चलते हैं. यह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर देता है.

SNDT क्यों है आज भी खास?
SNDT ने देश की कई महिलाओं को डॉक्टर, प्रोफेसर, पत्रकार, नेता और उद्यमी बनने का अवसर दिया है. यह सिर्फ डिग्री नहीं देता, बल्कि सोचने और अपने पैरों पर खड़े होने की ताकत भी देता है.

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