26/11 के नायक से NIA प्रमुख तक: कौन हैं सदानंद दाते, जिन्होंने संभाला हुआ है तहव्वुर राणा के खिलाफ जांच का जिम्मा?

26/11 hero to NIA chief Who is Sadanand Date: 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाया गया है. वह शाम करीब 7 बजे दिल्ली पहुंचा. अब वह सीधे सदानंद दाते की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के सामने पेश है.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Apr 11, 2025, 06:51 PM IST
26/11 के नायक से NIA प्रमुख तक: कौन हैं सदानंद दाते, जिन्होंने संभाला हुआ है तहव्वुर राणा के खिलाफ जांच का जिम्मा?

Who is Sadanand Date: 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को आखिरकार भारत लाया गया है. अब वह सीधे सदानंद दाते की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के सामने पेश है. मुंबई हमले के मास्टरमाइंड माने जाने वाले व्यक्ति से पूछताछ का नेतृत्व करने वाले वरिष्ठ अधिकारी दाते खुद घटना के दौरान आतंकवादियों से लोहा लेते हुए घायल हो गए थे.

अदालतों के माध्यम से प्रत्यर्पण को रोकने के उनके प्रयासों के विफल होने के बाद राणा को संयुक्त राज्य अमेरिका से एक विशेष उड़ान से भारत लाया गया था.

इस रिपोर्ट में हम यह बताएंगे कि सदानंद दाते कौन हैं, मुंबई हमलों के दौरान उन्होंने क्या किया और तहव्वुर राणा के खिलाफ जांच में दाते के नेतृत्व वाली एनआईए क्या महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है?

कौन हैं सदानंद दाते?

1. दाते महाराष्ट्र कैडर से भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के 1990 बैच के अधिकारी हैं. वे वर्तमान में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के महानिदेशक के रूप में कार्यरत हैं.

2. NIA में कार्यभार संभालने से पहले उन्होंने कई वर्षों तक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), खुफिया ब्यूरो (IB) और महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) में प्रमुख पदों पर कार्य किया है.

3. महाराष्ट्र के पुणे में पले-बढ़े दाते को जीवन के शुरुआती दिनों में आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, उनकी मां घरेलू सहायिका के रूप में काम करती थीं और वे अखबार बेचकर परिवार का भरण-पोषण करते थे.

4. एक होनहार छात्र के रूप में उन्होंने UPSC परीक्षा पास की और IPS बन गए. उन्होंने आर्थिक और संगठित अपराध में विशेषज्ञता हासिल की और पुणे विश्वविद्यालय से आर्थिक अपराधों में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की. उन्हें प्रतिष्ठित हम्फ्री फेलोशिप के लिए भी चुना गया था.

5. 26 नवंबर, 2008 की रात को दाते मुंबई में आतंकवादियों को तुरंत जवाब देने वाले पहले लोगों में से थे और हमलावरों से सीधे भिड़ गए.

6. हमलों के दौरान उनके साहस के लिए उन्हें वीरता के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया.

7. उन्हें 2007 में सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक और 2014 में विशिष्ट सेवा के लिए पदक भी मिला.

8. रिपोर्टों के अनुसार, मुंबई में संयुक्त पुलिस आयुक्त के रूप में दाते ने सोशल मीडिया कंटेंट की निगरानी के लिए एक प्रयोगशाला की स्थापना की और मुंबई पुलिस की विशेष शाखा में अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए एक समर्पित केंद्र की स्थापना की.

मुंबई हमलों के दौरान सदानंद दाते ने आतंकवादियों का सामना कैसे किया?
2008 में मुंबई आतंकवादी हमलों में 166 लोगों की जान चली गई, जिनमें छह अमेरिकी भी शामिल थे. दस पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने शहर भर में प्रमुख स्थानों पर मिलकर हमले किए, जिससे मुंबई 60 घंटे से अधिक समय तक खतरे में रहा.

हमले के दौरान घायल हुए दाते, ऑपरेशन के दौरान अजमल कसाब और अबू इस्माइल का सामना करने वाले पहले लोगों में से थे. 26 नवंबर, 2008 को रात करीब 9:30 बजे जब हमले शुरू हुए, दाते मध्य क्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के रूप में कार्यरत थे. हालांकि हमले दक्षिण मुंबई में हुए, जो उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर था, लेकिन खबर सुनते ही वे मालाबार हिल में अपने आवास से निकल गए और सीधे CST रेलवे स्टेशन की ओर चल दिए.

CST पहुंचने पर उन्हें पता चला कि दो हमलावर (कसाब और इस्माइल) पास के कामा और अल्बलेस अस्पताल में चले गए हैं, जहां महिलाएं और बच्चे हैं. उन्हें डर था कि वे उन्हें बंधक बना सकते हैं, इसलिए वे अस्पताल पहुंचे और छत से आतंकवादियों को गोलीबारी करते देखा.

दाते ने अपनी कार्बाइन से जवाबी फायरिंग की, लेकिन ऊंचाई पर तैनात आतंकवादी बचने में कामयाब रहे. जैसे ही वे इमारत में घुसने की तैयारी कर रहे थे, कसाब ने छत से एक ग्रेनेड फेंका. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, यह विस्फोट मात्र तीन फीट की दूरी पर हुआ, जिसमें उनके साथ मौजूद सब-इंस्पेक्टर प्रकाश मोरे की मौत हो गई.

विस्फोट में दाते और तीन अन्य अधिकारी घायल हो गए. अपने घावों के बावजूद, दाते ने घटनास्थल पर ही रहने का फैसला किया और अन्य घायल अधिकारियों से वहां से निकलकर इलाज कराने को कहा.

शेष कर्मियों के साथ, वह अस्पताल में दाखिल हुए और छठी मंजिल पर पहुंचे, जो छत की ओर जाती थी. सीढ़ी के पास एक स्थान से उन्होंने आतंकवादियों पर गोलीबारी जारी रखी और उन्हें लगभग 40 मिनट तक रोके रखा.

तब आतंकवादियों ने उनके करीब एक और ग्रेनेड फेंका. इसमें विस्फोट से छर्रे दाते के पैरों और चेहरे में जा लगे, जिससे बहुत खून निकल आया.

विस्फोट के कारण दाते कुछ समय के लिए बेहोश हो गए, जिससे कसाब और इस्माइल भाग गए. उनकी आंखों, गले, छाती, दाहिने घुटने में गंभीर चोटें आईं और उनके बाएं टखने पर गहरे घाव थे.

बाद में जांच में पुष्टि हुई कि दाते की एक गोली आतंकवादियों में हेड अबू इस्माइल को लगी थी. उनके प्रयासों ने हमलावरों की थोड़ा रोक दिया. साथ बंधकों को बचाने में मदद मिली और एक प्रमुख आतंकवादी घायल हो गया.

उनकी बहादुरी के सम्मान में, सदानंद दाते को वीरता के लिए राष्ट्रपति के पुलिस पदक से सम्मानित किया गया.

26/11 के नायक से तहव्वुर राणा की जांच का नेतृत्व करने तक
राणा शाम करीब 7 बजे दिल्ली पहुंचे और उनसे पूछताछ करने वाले पहले अधिकारियों में से एक वही अधिकारी होगा जो 26/11 के हमलों के दौरान घायल हुआ था और जिसने खतरे का सामना करते हुए साहस दिखाया था.

राणा का प्रत्यर्पण संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग दो साल की अदालती कार्यवाही के बाद हुआ है. मई 2023 में एक प्रत्यर्पण अदालत ने अपनी मंजूरी दे दी. राणा ने कई कानूनी चैनलों के माध्यम से आदेश का विरोध किया, अंततः नवंबर 2024 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील की. लेकिन बाद में उसकी वो चाल भी ना चल सकी.

2008 के मुंबई हमलों के सत्रह साल बाद, तहव्वुर राणा के अमेरिका से प्रत्यर्पित होने के बाद एक बार फिर ध्यान सदानंद दाते की ओर चला जाता है.

इस मामले की प्रभारी एजेंसी NIA है और आतंकी हमले की साजिश रचने के आरोपी पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक के खिलाफ मुकदमा चलाने की जिम्मेदारी उसी की होगी.

2008 के हमले के बाद एक साक्षात्कार में दाते ने कहा, '26/11 का हमला मेरे करियर की सबसे चुनौतीपूर्ण घटना है और यह जीवन भर मेरे साथ रहेगी. मैंने अपनी क्षमताओं के अनुसार अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश की.'

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