Google Doodle on Subhdra Kumari Chauhan: सुभद्रा कुमारी चौहान को कितना जानते हैं आप

Google Doodle on Subhdra Kumari Chauhan: सुभद्रा कुमारी चौहान एक कवियित्री होने के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थीं. वो देश की पहली महिला सत्याग्रही थीं. गूगल ने आज एक लेखक और स्वतंत्रता सेनानी सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन और उपलब्धियों का सम्मान करने के लिए एक डूडल बनाया है, जिनके काम को साहित्य के पुरुष-प्रधान युग के दौरान राष्ट्रीय प्रमुखता मिली.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 16, 2021, 09:07 AM IST
  • सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 मे हुआ था.
  • सिर्फ 9 साल की उम्र में उनकी पहली कविता प्रकाशित हुई
Google Doodle on Subhdra Kumari Chauhan: सुभद्रा कुमारी चौहान को कितना जानते हैं आप

नई दिल्लीः Google Doodle on Subhdra Kumari Chauhan: मिडिल क्लास फैमिली में जिनका बचपन गुजरा है, उनमें से ऐसा कौन होगा, जिसने ..खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी, नहीं सुना होगा. क्रांतिकारियों की वीरगाथाओं में लक्ष्मीबाई की वीरता को हमारे रग-रग में घोलने वाली थीं 'सुभद्रा कुमारी चौहान'. आज उनकी बात इसलिए, क्योंकि देश सुभद्रा कुमारी चौहान की 117वीं जयंती मना रहा है और Google ने Doodle बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है.  

प्रभा माल्या ने बनाया डूडल
सुभद्रा कुमारी चौहान एक कवियित्री होने के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थीं. वो देश की पहली महिला सत्याग्रही थीं. गूगल ने आज एक लेखक और स्वतंत्रता सेनानी सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन और उपलब्धियों का सम्मान करने के लिए एक डूडल बनाया है, जिनके काम को साहित्य के पुरुष-प्रधान युग के दौरान राष्ट्रीय प्रमुखता मिली.

इस इंडियन एक्टिविस्ट और लेखक के लिए डूडल ने एक साड़ी में कलम और कागज के साथ बैठीं सुभद्रा कुमारी चौहान को दिखाया है. यह डूडल न्यूजीलैंड की गेस्ट आर्टिस्ट प्रभा माल्या ने बनाया है.

कई बार जेल भी गईं सुभद्रा

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म आज ही के दिन 1904 में निहालपुर गांव में हुआ था. जिस दिन उनका जन्म हुआ तब नागपंचमी का त्योहार था. परिवार शुरू से ही राष्ट्रवादी विचारों से प्रेरित था. नन्हीं सुभद्रा को बचपन से ही ऐसे संस्कार मिले और वे आंदोलनों की ओर मुड़ गईं. वह घोड़ा गाड़ी में बैठकर रोज स्कूल जाती थीं और इस दौरान भी लगातार लिखती रहती थीं.

सिर्फ 9 साल की उम्र में उनकी पहली कविता प्रकाशित हो गई थी. भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में भागीदारी के दौरान उन्होंने अपनी कविता के जरिए दूसरों को अपने देश की संप्रभुता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया. सुभद्रा के परिवार में चार बहनें और दो भाई थे. उन्होंने स्‍वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लिया और कई बार जेल भी गईं.

सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएं

कहानी संग्रह
बिखरे मोती, उन्मादिनी, सीधे-साधे चित्र, 

कविता संग्रह
मुकुल, त्रिधारा

बाल-साहित्य
झाँसी की रानी, कदम्ब का पेड़, सभा का खेल

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