नई दिल्लीः तमिलनाडु में बुधवार को हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना में एकमात्र जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के बारे में कहा जाता है कि वह काफी आशावान रहते हैं. इसकी एक झलक उनके एक पत्र से मिलती है जो सितंबर में उन्होंने अपने प्रधानाचार्य को लिखा था. इसमें उन्होंने छात्रों को कई अच्छी सीख दी थी. इसमें उन्होंने छात्रों से कहा था कि 'औसत दर्जे का होना ठीक होता है.' 


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'स्कूल में हर कोई 90% अंक नहीं ला पाता'
हरियाणा के चंडी मंदिर में स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य को लिखे पत्र में ग्रुप कैप्टन सिंह ने कहा, 'औसत दर्जे का होना ठीक बात है. स्कूल में हर कोई उत्कृष्ट नहीं होता और सभी 90 प्रतिशत अंक नहीं ला पाते. अगर आप ऐसा कर पाते हैं तो यह एक उपलब्धि है उसकी सराहना होनी चाहिए.' 


पत्र में कहा गया, 'लेकिन आप ऐसा नहीं कर पाते तो यह मत सोचिए कि आप औसत दर्जे का होने के लिए बने हैं. आप स्कूल में औसत दर्जे के हो सकते हैं, लेकिन इसका कतई मतलब नहीं है कि जीवन में आने वाली चीजें भी ऐसी ही होंगी.' 


'अपने मन की आवाज सुनिए'
उन्होंने लिखा था, “अपने मन की आवाज सुनिए. यह कला हो सकती है, संगीत हो सकता है, ग्राफिक डिजाइन, साहित्य इत्यादि. आप जो भी काम कीजिए, उसके प्रति समर्पित रहिए, अपना सर्वोत्तम दीजिए. कभी यह सोचकर सोने मत जाइए कि आपने कम प्रयास किया.”


शौर्य चक्र से सम्मानित हैं वरुण सिंह
ग्रुप कैप्टन सिंह अभी बेंगलुरु के सैन्य अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पिछले साल वह एक तेजस विमान उड़ा रहे थे, जिसमें एक बड़ी तकनीकी खामी आ गई थी.


लेकिन उन्होंने अपने साहस और सूझबूझ का परिचय देते हुए उड़ान के बीच एक भीषण दुर्घटना को टाल दिया, जिसके लिए उन्हें अगस्त में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. 


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