Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को करेगा सुनवाई

Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के सर्वेक्षण के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल 17 मई दिन मंगलवार को सुनवाई करेगा. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 16, 2022, 02:18 PM IST
  • डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी
  • अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका
Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को करेगा सुनवाई

नई दिल्ली: Gyanvapi Masjid Case: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के सर्वेक्षण के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनवाई करेगा. ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करने वाली समिति अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका पर जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी.

याचिका में क्या है मांग
याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद में वाराणसी की अदालत द्वारा दिए गए सर्वे के आदेश को चुनौती दी गयी है.सीजेआई एन वी रमन्ना, जस्टिस जे के माहेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली की बैंच ने शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए यथास्थिति बनाए रखने का अंतरिम आदेश देने से इंकार किया था. लेकिन सीजेआई ने सुनवाई के लिए याचिका को सूचीबद्ध करने के निर्देश दिये थे.

वाराणसी की अदालत ने 12 मई को अपने आदेश में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के वीडियोग्राफी सर्वेक्षण का कार्य 17 मई तक पूर्ण करने का आदेश दिया है. अदालत द्वारा नियुक्त आयुक्त को पक्षपात के आरोप में हटाने संबंधी याचिका को भी खारिज कर दिया गया था. 

साथ ही अदालत ने अपने आदेश में सर्वेक्षण करने में अधिवक्ता आयुक्त की मदद के लिए दो और वकीलों को भी नियुक्त किया था. अदालत के आदेश के अनुसार सर्वेक्षण का कार्य आज पूरा हो सकता है. इसी बीच कमेटी की याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध हो गयी है.

क्या है याचिका का आधार
मुस्लिम पक्षकार ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) कानून, 1991 और उसकी धारा 4 का जिक्र किया करते हुए याचिका दायर की हैं. इसके अनुसार 15 अगस्त, 1947 को विद्यमान किसी भी उपासना स्थल के धार्मिक स्वरूप में बदलाव को लेकर कोई भी वाद दायर करने या कोई कानूनी कार्रवाई शुरू करने पर रोक लगाती हैं. 

याचिका में कमेटी की ओर से कहा गया है कि 1991 में दाखिल किए गए वाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही रोक लगा चुका है. उस याचिका में भी सर्वेक्षण कराने को लेकर कोर्ट कराने को लेकर कोर्ट का आदेश भी था. हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी.

याचिकाकर्ता ने ये भी सवाल उठाया है कि मामले में पहले से ही हाईकोर्ट द्वारा लगाया स्टे दिया हुआ है. फिर भी निचली अदालत में याचिका कैसे दर्ज की गई और अदालत ने फिर से वीडियोग्राफी के साथ सर्वेक्षण कराने का आदेश कैसे दे दिया?

कमेटी ने आरोप लगाया है कि उपासना स्थल कानून 1991 के खिलाफ होने के बावजूद श्रृंगार गौरी के पक्षकारों ने पिछले दरवाजे से उसी भाव में ये वाद दाखिल किया जिस पर 1991 में हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी.

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