ज्ञानवापी पर सुनवाई में अब तक क्या हुआ, आगे क्या होगा? एक क्लिक में मिलेगी सारी जानकारी

ज्ञानवापी और श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. माना जा रहा है कि कल (मंगलवार को) फैसला आ सकता है. आपको यहां ये समझने की जरूरत है कि कोर्ट की सुनवाई में किस पक्ष का कितना पलड़ा भारी है.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : May 23, 2022, 05:49 PM IST
  • जिला कोर्ट में आज की सुनवाई खत्म
  • सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई एक और याचिका
ज्ञानवापी पर सुनवाई में अब तक क्या हुआ, आगे क्या होगा? एक क्लिक में मिलेगी सारी जानकारी

नई दिल्ली: ज्ञानवापी केस पर वाराणसी की जिला कोर्ट में आज सुनवाई हुई और 45 मिनट में खत्म हो गई. सुप्रीम कोर्ट से मामला ट्रांसफर होने के बाद सवाल ये था कि किन अर्जियों पर सुनवाई की जाए. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट इस पर कल फैसला दे सकती है. आज दोनों पक्षों ने दलीलें रखी. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि किस पक्ष का पलड़ा कितना भारी है.

ज्ञानवापी पर सुनवाई में आज क्या हुआ?

वाराणसी जिला कोर्ट में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में सुनवाई पूरी हो गई है. कोर्ट ने कल तक फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट कल फैसला सुना सकता है.

ज्ञानवापी पर सुनवाई में कल क्या होगा?

कल यानी मंगलवार को आगे की सुनवाई पर फैसला होगा. किस मामले की सुनवाई कब, ये तय होगा. कल 2 बजे फिर सुनवाई होगी. सुनवाई की नई तारीख तय हो सकती है. शिवलिंग की पूजा पर भी आदेश संभव है. वुजूखाने की शिफ्टिंग पर भी आदेश संभव है.

हिंदू पक्ष का इस पूरे मामले पर कहना है कि 'अंदर मंदिर है, हमारा दावा मजबूत है. हमने सर्वे की रिपोर्ट मांगी है. हमने सर्वे की सीडी, फोटो की मांग की. आगे की सुनवाई पर कल फैसला होगा. जिला जज ने दोनों पक्षों को सुना.'

बता दें, ज्ञानवापी की सुनवाई के दौरान कुल 23 लोगों को कोर्ट रूम में जाने की इजाजत मिली. सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी याचिकाकर्ता कोर्ट रूम में मौजूद रहीं. कोर्ट के कर्मचारियों ने बाहर आकर कहा कि जिसका नाम सूची में है, सिर्फ वही कोर्ट के अंदर जा सकता है. इसके बाद हिंदू पक्ष के सुभाष चतुर्वेदी कोर्ट रूम में पहुंचे. दोपहर 2 बजे हिंदू पक्ष, मुस्लिम पक्ष के वकील के साथ-साथ यूपी सरकार के वकील भी पेश हुए.

कोर्ट में किसने क्या कहा?

हिंदू पक्ष: सर्वे रिपोर्ट की CD, तस्वीरें हमें दी जाए. ऑर्डर 7/11 की हियरिंग पर कमीशन रिपोर्ट साथ पढ़ी जाए. आपत्ति हो तो उस पर सुनवाई हो. सबसे पहले ज्ञानवापी का धार्मिक स्वरूप तय हो.

मुस्लिम पक्ष: SC ने कहा है ऑर्डर 7/11 पर पहले सुनवाई होगी. 1991 एक्ट के मुताबिक केस रद्द हो. मुकदमे के ट्रेंड के मुताबिक सुनवाई हो. किसी कमीशन की कोई जरूरत नहीं है.

कोर्ट में सुनवाई पर किसने क्या कहा?

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा कि 'मैंने यह बहस रखी थी कोर्ट के सामने कि ऑर्डर 26 रूल 10 के तहत जो कमीशन की रिपोर्ट है. वो 7/11 के साथ पढ़ी जाए, मुस्लिम पक्ष का ये कहना था 7/11 सिर्फ आइसोलेशन में पढ़ा जाए.'

इसके अलावा हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन ने कहा कि 'हम लोगों की मांग थी मामले को इंटरकनेक्ट किया जाए, सारे साक्ष्यों का पहले नेचर तय हो जाए. नेचर पर भी बहस हो जाए. जो रिकॉर्ड आ गए हैं, साक्ष्य आ गए हैं, उनको इंटरकनेक्ट करते हुए उसके बाद क्या सही है, क्या गलत है. 1991 का उल्लंघन है की नहीं, माननीय न्यायालय को कल निर्णय लेना है.'

वहीं मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव ने कहा कि 'सीधी-सीधी बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने यह तय कर दिया है कि ऑर्डर 7/11 की एप्लीकेशन पहले डिसाइड होगी. इस पर माननीय न्यायालय ने कल के लिए आदेश पारित करने के लिए फाइल सुरक्षित कर ली है.'

हिंदू पक्ष के पैरोकार डॉ. सोहनलाल आर्य ने कहा कि 'सबूतों की भरमार है, एक नहीं हजार हैं. जो विश्वनाथ मंदिर में प्रमाण, जीवंत प्रमाण चीख-चीख कर चिल्ला रहे हैं कि मैं मंदिर हूं, मैं मंदिर का अंश हूं इससे ज्यादा प्रमाण क्या है.'

हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि 'मुस्लिम पक्ष ने केवल एक बात उठा रखी है. कोई और कमेंट नहीं है उनके पास, केवल इतना कहते हैं प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत बाधित है. क्यों बाधित है, इसका कोई जवाब उनके पास नहीं है. प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अभी कहा है कि धार्मिक स्वरूप क्या है. 15 अगस्त 1947 को उस जगह का धार्मिक स्वरूप क्या था, यह निश्चित होना है. और यह निश्चित होगा, केवल एक एप्लीकेशन पर नहीं होगा, केवल कह देने मात्र से नहीं होगा. उसमें मुस्लिम पक्ष को दिखाना होगा कि 15 अगस्त 1947 को ये पूर्ण रूप से मस्जिद थी. और हमें दिखाना होगा कि 15 अगस्त 1947 को इसका जो धार्मिक स्वरूप था वह मंदिर का था.'

इस मामले पर जेडीयू नेता केसी त्यागी ने बोला कि 'किसी भी पार्टी के किसी भी नेता को अतिरिक्त बयानबाजी नहीं करनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के फैसले सभी के लिए हैं.'

वाराणसी के जिला जज को जानिए

नाम- अजय कृष्णा विश्वेश
पद- डिस्ट्रिक्ट, सेशन जज 
निवासी- हरिद्वार
कुरुक्षेत्र में रहता है परिवार
शिक्षा- LLM (1986)
करियर की शुरुआत- 20 जून, 1990
30 जगहों पर कई पदों पर नियुक्ति रही
बुलंदशहर में जिला जज रहे हैं
इलाहाबाद HC में स्पेशल ऑफिसर विजिलेंस रहे
रिटायरमेंट- 31 जनवरी, 2024

ज्ञानवापी पर अपने-अपने दावे

हिंदू पक्ष
श्रृंगार गौरी की रोजाना पूजा की मांग
वुजूखाने में शिवलिंग, पूजा की मांग
नंदी के उत्तर की दीवार तोड़ी जाए
दावे वाले शिवलिंग की नाप के लिए सर्वे हो
वुजूखाने में मुस्लिमों पर प्रतिबंध लगे

मुस्लिम पक्ष
वुजूखाने को सील करने का विरोध
वुजूखाना सील करना 1991 एक्ट का उल्लंघन
ज्ञानवापी का सर्वे, हिंदू पक्ष की याचिका पर सवाल
वुजूखाने में फव्वारा है शिवलिंग नहीं
मंदिर का हिस्सा नहीं है ज्ञानवापी मस्जिद

ओवैसी ने क्यों की औरंगजेब की वकालत

वहीं दूसरी ओर, असदुद्दीन ओवैसी ने कुछ ऐसा कहा जिसपर संग्राम छिड़ गया है. AIMIM के अध्यक्ष बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी अब औरंगजेब की वकालत करते दिखे हैं. ओवैसी ने गुजरात के सूरत की अपनी सभा का एक वीडियो ट्वीट करके कहा कि सम्राट अशोक ने भी तो मंदिर तोड़े थे, तो फिर हल्ला-गुल्ला सिर्फ औरंगजेब पर ही क्यों?

AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि 'अशोक ने हजारों लोगों का कत्ल किया. बोलो RSS वालों तुम्हारी राय क्या है? पुण्यमित्र ने बौद्धों के मंदिरों को तोड़ा, इसकी बात क्यों नहीं करते बीजेपी और संघ परिवार के लोग? मगर बोलेंगे नहीं, ताजमहल के नीचे जाकर देखेंगे. तो क्या मैं भी कह दूं देश के प्रधानमंत्री मोदी जिस घर में रहते हैं उसके नीचे भी मस्जिद है, खोदी जाए?'

सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई एक और याचिका

ज्ञानवापी मामले में अब SC में अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर मांग की है कि उनका पक्ष भी सुना जाए. उन्होंने कहा है 'ये मामला सीधे तौर पर उनकी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा है. सदियों से वहां भगवान आदि विशेश्वर की पूजा होती रही है. ये संपत्ति हमेशा से उनकी रही है. किसी सूरत में संपत्ति से उनका अधिकार नहीं छीना जा सकता.'

याचिका में उन्होंने आगे कहा कि 'एक बार प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के बाद, मन्दिर के कुछ हिस्सों को ध्वस्त करने और यहाँ तक कि नमाज पढ़ने से भी मंदिर का धार्मिक स्वरूप नहीं बदलता, जब तक कि विसर्जन की प्रकिया द्वारा मूर्तियों को वहां से शिफ्ट न किया जाए. इस्लामिक सिद्धान्तों के मुताबिक भी मंदिर तोड़कर बनाई गई कोई मस्जिद वैध मस्जिद नहीं है. 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट किसी धार्मिक स्थल के स्वरूप को निर्धारित करने से नहीं रोकता. मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज की जाए.'

इन दिनों ज्ञानवापी पर छिड़े संग्राम ने सियासी रूप ले ली है. हर दूसरा शख्स अपनी बयानबाजी से सियासी रोटियां सेंक रहा है. फिलहाल मामला अदालत में है, हर किसी को इंतजार है कि आखिर अदालत इस विवाद का निपटारा कैसे करती है.

इसे भी पढ़ें- औरंगजेब ने तुड़वाया था मंदिर, मशहूर इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब का खुलासा

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