हामिद अंसारी को 'राष्ट्रवाद' से परेशानी क्यों?

पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने राष्ट्रवाद को कोरोना से बड़ी बीमारी बताया और कहा कि देश कोरोना से पहले 'धार्मिक कट्टरता' और 'आक्रामक राष्ट्रवाद' जैसी महामारी का शिकार.. लेकिन सवाल तो ये है कि आखिर हामिद अंसारी को 'राष्ट्रवाद' से परेशानी क्यों है?

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 21, 2020, 08:12 PM IST
  • हामिद अंसारी को 'राष्ट्रवाद' से परेशानी!
  • 'कोरोना से बड़ा आक्रामक राष्ट्रवाद'
  • अंसारी की 'कट्टरता' वाली महामारी
हामिद अंसारी को 'राष्ट्रवाद' से परेशानी क्यों?

नई दिल्ली: पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने विवादित बयान दिया, जिसके बाद सियासत में उबाल आना लाजमी था. अंसारी ने राष्ट्रवाद को कोरोना से बड़ी बीमारी बता दिया, जिसके बाद वो खुद ही सवालों में घिर गए. पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि बोले कोरोना से पहले ही देश 'धार्मिक कट्टरता' और 'आक्रामक राष्ट्रवाद' की महामारी का शिकार है.

हामिद अंसारी का विवादित बयान

  • धार्मिकता और स्पष्ट राष्ट्रवाद को महामारी बताया
  • पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की 'धार्मिक कट्टरता'
  • 'कोरोना से पहले देश 2 महामारियों का शिकार हुआ' 
  • कोरोना से पहले देश 'धार्मिक कट्टरता' का शिकार: हामिद
  • देश 'आक्रामक राष्ट्रवाद' की महामारी का शिकार: हामिद
  • कांग्रेस नेता शशि थरूर की किताब के विमोचन पर बयान
  • धार्मिकता को आडंबर से परिभाषित किया गया: हामिद
  • 'धार्मिक गतिविधि सरकारी दबाव के माध्यम से लागू'

पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने शुक्रवार को यहां कहा कि आज देश ऐसे 'प्रकट और अप्रकट' विचारों औार विचारधाराओं से खतरे में दिख रहा है जो उसको 'हम और वो' की काल्पनिक श्रेणी के आधार पर बांटने की कोशिश करती हैं. अंसारी ने यह भी कहा कि कोरोना वायरस संकट से पहले ही भारतीय समाज दो अन्य महामारियों- 'धार्मिक कट्टरता' और 'आक्रामक राष्ट्रवाद' का शिकार हो चुका, जबकि इन दोनों के मुकाबले देशप्रेम अधिक सकारात्मक अवधारणा है क्योंकि यह सैन्य और सांस्कृतिक रूप से रक्षात्मक है.

पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर की नई पुस्तक 'द बैटल ऑफ बिलॉन्गिंग' के डिजिटल विमोचन के मौके पर बोल रहे थे. उनके मुताबिक, चार सालों की अल्प अवधि में भी भारत ने एक उदार राष्ट्रवाद के बुनियादी नजरिए से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की एक ऐसी नई राजनीतिक परिकल्पना तक का सफर तय कर लिया जो सार्वजनिक क्षेत्र में मजबूती से घर कर गई है.

'समाज धार्मिक कट्टरता और आक्रामक राष्ट्रवाद का शिकार'

पूर्व उप राष्ट्रपति ने कहा कि कोविड एक बहुत ही बुरी महामारी है, लेकिन इससे पहले ही हमारा समाज दो महामारियों- धार्मिक कट्टरता और आक्रामक राष्ट्रवाद का शिकार हो गया था. उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक कट्टरता और उग्र राष्ट्रवाद के मुकाबले देशप्रेम ज्यादा सकारात्मक अवधारणा है.

हामिद अंसारी के बयान पर घमासान तेज हो गया है. राजकुमार चहर ने साफ शब्दों में कहा कि "अंसारी जी को ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए, इस देश ने उन्हें बहुत कुछ दिया है." वहीं गौतम गंभीर ने भी हामिद अंसारी के बयान की निंदा करते हुए कहा कि "मैं हामिद अंसारी जी की बात से सहमत नहीं हूं. हम अपनी आइडियोलॉजी से काम करेंगे और देश को आगे बढ़ाएंगे."

विजय शंकर तिवारी ने कहा कि "यह हामिद अंसारी धार्मिक कट्टरता की बात कर रहे हैं, जो 1990-92 में ईरान के राजदूत रहते हुए अपने देश के रॉ के जांबाजों को मरने के लिए छोड़ दिया था और देश में मुसलमानों को डर लग रहा है कहकर साम्प्रदायिकता फैलाते रहे हैं. वाह #हामिदअंसारी तुम्हें तो देश का उप राष्ट्रपति कहने में ही देश वासियों को शर्म आती है."

पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बयान पर शिया धर्म गुरु यासूब अब्बास उठाए सवाल-कहा देश कट्टर नहीं हो सकता, अगर कोई एक शख्स कट्टरता कर रहा उसका नाम लेकर बोलिये, देश एकता के गुलदस्ते की तरह है. हामिद अंसारी के इस बयान से कई सवाल खड़े होते हैं.

सवाल नंबर 1). अंसारी को दिखती है सिर्फ 'कट्टरता' की महामारी?

सवाल नंबर 2). कोरोना के बहाने कट्टरता, ये कैसी आक्रामकता?

सवाल नंबर 3). राष्ट्रवाद की बात को 'महामारी' कैसे कह दिया?

सवाल नंबर 4). हामिद अंसारी को 'राष्ट्रवाद' से परेशानी क्यों?

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