Jaffar Express Hijack: 440 यात्रियों को ले जा रही जाफर एक्सप्रेस को बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के सदस्यों ने तब अपहरण कर लिया था, जब यह बलूचिस्तान की प्रांतीय राजधानी क्वेटा से उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी पेशावर जा रही थी.
12 मार्च को क्वेटा से लगभग 160 किलोमीटर दूर सिबी शहर के पास विस्फोटकों का इस्तेमाल करके बीएलए ने ट्रेन को पटरी से उतार दिया. यह दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत के माच में एक सुदूर पहाड़ी इलाका है.
बंधकों का इस्तेमाल 'मानव ढाल' के रूप में किया गया. BLA ने यात्रियों को रिहा करने के लिए पाकिस्तानी जेल में बंद उनके लड़ाकों को रिहा करने की मांग की थी.
एक समाचार ब्रीफिंग में, लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने कहा कि शुरुआती हमले में 18 ऑफ-ड्यूटी सैन्य और अर्धसैनिक फ्रंटियर कोर के जवान, तीन रेलवे कर्मचारी और पांच यात्री मारे गए. आतंकवादियों के साथ हुई लड़ाई में फ्रंटियर कोर के पांच जवान मारे गए.
वहीं, पाकिस्तान के सुरक्षा बलों ने धावा बोला और 30 घंटे बाद ट्रेन की BLA के लड़ाकों घेराबंदी खत्म करने के लिए 33 हमलावरों को मार गिराने का दावा किया. लेकिन प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, आंकड़े बताते हैं कि कई यात्री अभी भी लापता हैं या उन्हें BLA द्वारा मार दिया गया है.
यूरेशियन टाइम्स को भेजे गए एक ईमेल में BLA ने 214 बंधकों को मारने का दावा किया, जबकि 12 लड़ाकों के मारे जाने की बात स्वीकार की.
BLA आर्मी ने ट्रेन हाइजैक कर क्या किया?
यात्रियों को एक-एक करके ट्रेन से बाहर आने के लिए कहा गया. बंदूकधारियों ने पहचान पत्रों के आधार पर यात्रियों को छांटा. बलूचिस्तान के निवासियों को मुक्त कर दिया गया. उन्होंने महिलाओं को अलग किया और उन्हें जाने के लिए कहा. उन्होंने बुजुर्गों को भी छोड़ दिया. वहीं, उन्होंने सैनिकों और सुरक्षाकर्मियों को गोली मार दी.
भारत क्या करेगा ट्रेन हाईजैकिंग से बचने के लिए?
अब बलूचिस्तान में लड़ाकों ने ट्रेन को रोका और क्या मकसद था, वह अलग चीज है, लेकिन जो पाकिस्तान में हुआ, उस ट्रेन हाईजैकिंग को भारत में कैसे रोका जा सकता है? अगर ऐसा भारत में हुआ तो वह कैसे निपटेगा? यूरेशियन टाइम्स में भारतीय वायु सेना के रिटायर्ड एयर मार्शल अनिल चोपड़ा कहते हैं.'खुफिया जानकारी ही कुंजी है!'
कहा गया कि भारत को ऐसे खतरों के शुरुआती संकेतों का पता लगाने के लिए अपने मानव और तकनीक-आधारित खुफिया नेटवर्क को मजबूत करने की आवश्यकता है. इसका मतलब है कि संवेदनशील क्षेत्रों में मुखबिरों को शामिल करना, एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म पर निगरानी करना और आतंकवादी गतिविधि के पैटर्न का विश्लेषण करने के लिए AI-संचालित टूल का उपयोग करना. उदाहरण के लिए, बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने वाले समूहों, जैसे माओवादी या अलगाववादी संगठन पर लगातार नजर रखी जानी चाहिए.
खुफिया एजेंसियों को राज्य पुलिस और स्थानीय मुखबिरों के साथ समन्वय करना चाहिए ताकि किसी भी योजना के साकार होने से पहले ही उसकी भनक लग जाए. ड्रोन या सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग करके उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में रेलवे मार्गों की नियमित रूप से जांच करने से भी संदिग्ध गतिविधि का पता लगाने में मदद मिल सकती है.
रोकथाम अगला कदम
उन्होंने कहा कि एक्शन अगला कदम है. भारत का रेलवे नेटवर्क, जो दुनिया में सबसे बड़ा है. इसलिए उसपर हमला करना भी असमाजिक तत्वों का आसान लक्ष्य है. तो ऐसे में प्रमुख स्टेशनों और ट्रेनों, खासकर राजधानी या शताब्दी एक्सप्रेस जैसी लंबी दूरी की ट्रेनों में चेहरे की पहचान वाले CCTV कैमरे लगाना.
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) कर्मियों द्वारा अचानक चैकिंग होनी चाहिए. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत उच्च जोखिम वाले मार्गों पर सादे कपड़ों में मार्शल तैनात कर सकता है.
प्रशिक्षण और समन्वय महत्वपूर्ण हैं. आरपीएफ और राज्य पुलिस को विशेष आतंकवाद विरोधी प्रशिक्षण की आवश्यकता है, जो ट्रेन अपहरण जैसी स्थितियों पर ध्यान दे. राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के साथ संयुक्त अभ्यास हो सकता है.
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