ना केदारनाथ, ना अमरनाथ...ये है भारत का सबसे ऊंचा मंदिर, बादलों में बसा शिव का धाम

यह मंदिर भारत का सबसे ऊंचाई पर स्थित मंदिर है, जो समुद्र तल से करीब 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां तक पहुंचने के लिए ट्रेकिंग करनी पड़ती है. पौराणिक मान्यता है कि यह स्थान महाभारत काल से जुड़ा है और शिव भक्ति का प्रमुख केंद्र माना जाता है.

Written by - Shantanu Singh | Last Updated : Jun 19, 2025, 01:51 PM IST
  • समुद्र तल से 3,680 मीटर की ऊंचाई
  • महाभारत काल से जुड़ा पवित्र तीर्थ स्थल
ना केदारनाथ, ना अमरनाथ...ये है भारत का सबसे ऊंचा मंदिर, बादलों में बसा शिव का धाम

भारत में हजारों मंदिर हैं, जिनमें से कुछ अपनी भव्यता के लिए, कुछ चमत्कारों के लिए, और कुछ अपनी रहस्यमयी जगहों के लिए प्रसिद्ध हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत का सबसे ऊंचाई पर स्थित मंदिर कौन सा है? एक ऐसा मंदिर जो हिमालय की गोद में बसा है, जहां पहुंचने के लिए भक्तों को पहाड़ों की कठिन चढ़ाई पार करनी पड़ती है. इस मंदिर तक पहुंचना आसान नहीं, लेकिन जो एक बार वहां पहुंचता है, उसे न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि प्रकृति का ऐसा रूप देखने को मिलता है, जो शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.

यह मंदिर क्यों खास है?
यह मंदिर न तो किसी महानगर में है, न ही इसके चारों ओर भीड़भाड़ है. यह जगह इतनी शांत और पवित्र है कि वहां जाकर इंसान खुद से मिल पाता है. यहां हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन ये कोई आम यात्रा नहीं होती, ये एक आध्यात्मिक और प्राकृतिक यात्रा होती है. यह मंदिर समुद्र तल से 3,680 मीटर यानी 12,073 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. ये ऊंचाई इसे भारत का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर बनाती है.

तुंगनाथ मंदिर: भारत का सबसे ऊंचा मंदिर
तुंगनाथ मंदिर, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है. यह मंदिर पंच केदार मंदिरों में से एक है और माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारत काल में पांडवों ने भगवान शिव को मनाने के लिए की थी.

पौराणिक कथा और महत्व
ऐसा माना जाता है कि युद्ध के बाद पांडव अपने कर्मों के प्रायश्चित के लिए भगवान शिव को ढूंढ रहे थे. शिव उनसे रूठ गए और शरीर के अलग-अलग हिस्सों को पांच जगहों पर प्रकट किया. तुंगनाथ वही जगह है जहां भगवान शिव की भुजाएं प्रकट हुई थीं. इसीलिए यह स्थान आध्यात्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है.

यहां तक कैसे पहुंचें?
तुंगनाथ के लिए आखिरी मोटर मार्ग चोपता है, वहां से करीब 3.5 किलोमीटर का ट्रेक करके इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है. रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन जितनी कठिनाई होगी, अनुभव उतना ही गहरा और यादगार होगा.

मौसम और यात्रा का सही समय
यह मंदिर मई से नवंबर के बीच खुला रहता है. बाकी समय बर्फ की वजह से बंद रहता है. सर्दियों में भगवान शिव की पूजा मुक्तेश्वर में होती है. निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार है और नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट, देहरादून.

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