2030 तक रिटायर हो जाएगा 'हिंद हेलीकॉप्टर', फिर इस फाइटर चॉपर पर दांव खेलने वाली है भारतीय वायुसेना!

LCH Prachand Helicopters: भारत अपने Mi-35 हिंद हेलीकॉप्टर को रिटायर करने वाला है, इसकी जगह पर भारत के देसी प्रचंड हेलीकॉप्टर लेंगे. दूसरी ओर Mi-35 Hind सोवियत निर्मित हेलीकॉप्टर है, जो अब आधुनिक दौर में पुराना पड़ चुका है. ये एंटी-ड्रोन क्षमताओं से लैस नहीं है, इसलिए इसे आउट ऑफ सर्विस किया जा रहा है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 22, 2025, 02:53 PM IST
  • प्रचंड में हेलीकॉप्टर 20 mm की नेक्सटर तोप
  • Mi-35 Hind हेलीकॉप्टर पुराना हो चुका है
2030 तक रिटायर हो जाएगा 'हिंद हेलीकॉप्टर', फिर इस फाइटर चॉपर पर दांव खेलने वाली है भारतीय वायुसेना!

LCH Prachand Helicopters: भारतीय वायुसेना में आधुनिकीकरण का दौर चल रहा है. पुराने फाइटर जेट्स और चॉपर की जगह नए लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर लाए जा रहे हैं. अब इंडियन एयरफोर्स ने पुराने Mi-35 Hind फाइटर हेलीकॉप्टरों को 2030 के दशक तक रिटायर करने का फैसला किया है. 2030 के दशक तक Mi-35 को हटाने के साथ-साथ नए हेलीकॉप्टर की संख्या बढ़ाने और इसे और इन्हें उन्नत बनाने पर काम कर रही है.

ये हेलीकॉप्टर रिप्लेस करेगा
दरअसल, IDRW की एक रिपोर्ट बताती है कि Mi-35 Hind फाइटर हेलीकॉप्टरों को एयरफोर्स को स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर-LCH प्रचंड से रिप्लेस किया जाएगा. इंडियन एयरफोर्स स्वदेशी तकनीक पर भरोसा कर रही है, ताकि अपनी ताकत को बढ़ा सके. 

Mi-35 Hind को क्यों रिप्लेस किया जा रहा? 
Mi-35 Hind सोवियत निर्मित हमलावर हेलीकॉप्टर है, इसे भारतीय वायुसेना ने कई दशकों तक इस्तेमाल किया है. यह हेलीकॉप्टर भारी हथियारों को ले जाने की क्षमता के लिए जाना जाता है. आधुनिक दौर में ये हेलीकाप्टर एंटी-ड्रोन क्षमताओं से लैस नहीं है. इसके रखरखाव की लागत भी बढ़ती जा रही है. लिहाजा इसे 2030 के दशक तक पूरी तरह से हटाने का फैसला किया गया है.

LCH प्रचंड हेलीकॉप्टर में क्या खास?
- प्रचंड हेलीकॉप्टर करीब 6,500 मीटर यानी लगभग 21,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है.
- प्रचंड हेलीकॉप्टर 20 mm की नेक्सटर तोप, 70mm रॉकेट, हेलिना एंटी-टैंक मिसाइलें और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस है.
- LCH प्रचंड हेलीकॉप्टर का हल्का डिजाइन और शक्तिशाली इंजन इसे तेज बनाता है.
- प्रचंड हेलीकॉप्टर को बनाने के लिए 55% से अधिक स्वदेशी मटेरियल का उपयोग हुआ है.

दो दशक की रिसर्च के बाद बना
प्रचंड हेलीकॉप्टर को बनाने की जरूरत 1999 के कारगिल युद्ध के बाद पड़ी. दरअसल, युद्ध के दौरान ऊंचाई से हमला करने वाले हेलीकॉप्टरों की कमी महसूस की गई थी. दो दशक की रिसर्च और टेस्टिंग के बाद ये पूरी तरह तैयार हुआ. अंतरराष्ट्रीय युद्ध अभ्यासों में इसने अपनी ताकत लोहा मनवाया है.

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