know india's low: भारत एक विकसित देश बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. इसमें अहम योगदान देश के युवाओं का है. भारत में स्टार्टअप का दौर चल रहा है. हर युवा नौकरी के बदले खुद कुछ करना चाहता है. इसके लिए पूजी की जरूरत होती है, जिसके लिए उसे लोन लेना पड़ता है. ऐसा अक्सर होता है कि जिस योजना के साथ व्यक्ति बैंक से लोन लेता है. वह योजना फेल हो जाती है. इसके बाद युवक को बैंक को लोन की राशि लौटाने में काफी परेशानी होती है.
ऐसे में कई बार होता है कि बैंक वाले युवक को काफी परेशान करते हैं. यदि सरकारी बैंक है तो पुलिस और बैंक मैनेजर परेशान करता है. अगर कोई निजी क्षेत्र की फाइनेंस कंपनी है तो युवक साथ गुंडागर्दी भी होती है. ऐसे में यदि आपको इसी तरह से कोई फाइनेंसर परेशान कर रहा है. आप लोन नहीं चुका पाने के कारण प्रताड़ना झेल रहे हैं तो डरें नहीं बल्कि कानूनी रूप से अधिकारों की लड़ाई लड़ें.
फाइनेंसर या वसूली एजेंट की प्रताड़ना के खिलाफ उठाएं आवाज
फाइनेंसर या बैंक की प्रताड़ना के खिलाफ कैसे और कहां आवाज उठानी है वो हम बताएंगे. फाइनेंसर या वसूली एजेंट को आपके साथ मारपीट, धमकी या जबरदस्ती करते हैं तो अपराध है. उनको कानून हाथ में लेने का कोई अधिकार नहीं है. ऐसा करना भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita - BNS, 2023) के तहत गंभीर अपराध है.ऐसे में आरोपी को पुलिस बिना वारंट के भी एजेंट या फाइनेंसर को गिरफ्तार कर सकती है और सीधे कार्रवाई शुरू कर सकती है.
रिकवरी एजेंट के खिलाफ इन धाराओं में कराएं FIR
भारतीय न्याय संहिता के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति आपको लोन की किश्त के लिए प्रताड़ित कर रहा है तो आप उस पर धारा 351, धारा 326 और धारा 329 के तहत थाने में मामला दर्ज करवा सकते हैं. अगर एजेंट ने लोन लेने वाले व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाई या उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, तो उसके खिलाफ धारा 111 भी लगाई जा सकती है. इसके अलावा व्यक्ति को फाइनेंस कंपनी के खिलाफ रिजर्ब बैंक में लिखित शिकायत करनी चाहिए. ऐसे मामले में फाइनेंस कंपनी का लाइसेंस तक रद्द किया जा सकता है.
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