तो इसलिए भीमा कोरेगांव मामले की NIA जांच से घबरा रहे थे शरद पवार

पिछले दिनों महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार से एनसीपी प्रमुख शरद पवार बेहद नाराज हो गए थे. क्योंकि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भीमा कोरेगांव मामले की जांच केन्द्र सरकार की एजेन्सी NIA को सौंप दी थी. इस मुद्दे पर पवार और ठाकरे के बीच की तल्खी बहुत ज्यादा बढ़ गई थी. अब भीमा कोरेगांव मामले की जांच कर रहे न्यायिक आयोग ने शरद पवार को तलब किया है. जिससे पता चलता है कि इस मामले में पवार की भूमिका संदिग्ध है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 26, 2020, 04:41 PM IST
    • शरद पवार को मिला समन
    • भीमा कोरेगांव मामले में न्यायिक आयोग ने बुलाया
    • भीमा कोरेगांव मामला एनआईए को सौंपने के खिलाफ थे पवार
    • मुख्यमंत्री ठाकरे को पवार ने पिलाई थी डांट
तो इसलिए भीमा कोरेगांव मामले की NIA जांच से घबरा रहे थे शरद पवार

मुंबई: एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की मुसीबतें बढ़ गई हैं. भीमा कोरेगांव मामले की जांच कर रहे न्यायिक आयोग ने जातिगत हिंसा के इस मामले में बयान देने के लिए पवार को तलब किया है.

पवार को जारी हुआ समन
भीमा कोरेगांव की जांच कर रहे आयोग के वकील आशीष सतपुते ने मंगलवार को बताया कि आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जेएन पटेल ने कहा कि पवार ने पैनल के समक्ष एक हलफनामा दायर किया है और उन्हें बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया जाएगा. उन्होंने कहा, 'इस संबंध में एक सम्मन जारी किया जाएगा।'
वकील के मुताबिक शरद पवार को सुनवाई के अंतिम चरण में बुलाने की संभावना है. इस महीने की शुरुआत में शिवसेना के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने इस साल 8 अप्रैल तक आयोग को अंतिम विस्तार दिया है और पैनल को अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है.

इसलिए बुलाया गया पवार को
पिछले हफ्ते सामाजिक समूह विवेक विचार मंच के सदस्य सागर शिंदे ने आयोग के सामने एक आवेदन दायर किया था. जिसमें 2018 जाति हिंसा के बारे में मीडिया में उनके द्वारा दिए गए कुछ बयानों के मद्देनजर पवार को तलब करने की मांग की थी. अपनी याचिका में शिंदे ने 18 फरवरी को प्रेस कांफ्रेंस में पवार द्वारा दिए बयान का हवाला दिया था.
शरद पवार ने अपने हलफनामे में कहा है कि मैं घटना का तथ्यात्मक रूप से बताने की स्थिति में नहीं रहूंगा. क्योंकि यह मौजूदा कानून व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है. पवार ने कहा कि राज्य सरकार और कानून भीमा कोरेगांव और इसके आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा करने में विफल रहे.

भीमा कोरेगांव की जांच NIA को सौंपने से भड़क गए थे पवार
शरद पवार ने कोल्हापुर में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की आलोचना करते हुए कहा कि 'मामले की जांच एनआईए को सौंपकर केंद्र सरकार ने ठीक नहीं किया और इससे भी ज्यादा गलत बात यह हुई कि राज्य सरकार ने इसका समर्थन किया. भीमा-कोरेगांव मामले में महाराष्‍ट्र पुलिस के कुछ अधिकारियों का व्‍यवहार आपत्तिजनक था.  मैं चाहता था कि इन अधिकारियों के व्‍यवहार की भी जांच की जाए. लेकिन जिस दिन सुबह महाराष्‍ट्र सरकार के मंत्रियों ने पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की, उसी दिन शाम को 3 बजे केंद्र ने पूरे मामले को एनआईए को सौंप दिया. संविधान के मुताबिक यह गलत है क्‍योंकि आ‍पराधिक जांच राज्‍य के क्षेत्राधिकार में आता है.'

पवार की आलोचना से बैकफुट पर आ गए थे उद्धव
उद्धव ठाकरे पर भीमा कोरेगांव केस में शरद पवार का दवाब काम कर गया है. केंद्रीय एजेंसी NIA को जांच सौंपे जाने से नाराज शरद पवार को मनाने की कोशिश के तहत अब उद्धव ठाकरे ने सफाई दी है कि भीमा कोरेगांव हिंसा केस की जांच NIA को नहीं दी जाएगी.
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि "यलगार परिषद और भीमा कोरेगांव दोनों अलग-अलग विषय है. दलित भाइयों से संबंधित जो मामला वह भीमा कोरेगांव केस है. भीमा कोरेगांव से संबंधित जांच अभी तक केंद्र को नहीं दी गई है और इसे केंद्र को सौंपा भी नहीं जाएगा." उद्धव ने कहा कि एल्गार परिषद का केस देशद्रोह की साजिशों से संबंधित है.

लेकिन शरद पवार को जिस तरह से न्यायिक आयोग ने समन जारी किया है. उससे साफ पता चलता है कि इस मामले में शरद पवार क्यों NIA जांच का विरोध कर रहे थे.

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