Indian Air Force Jets: वायुसेना प्रमुख ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राफेल उन विकल्पों में से एक है जिसे वायुसेना अपनी जरूरतों के लिए देख रही है. बता दें कि यह कदम ऐसे समय पर उठाया जा रहा है जब वायुसेना के फाइटर स्क्वाड्रन की संख्या घटकर बस 31 ही रह गई है जबकि इसकी संख्या 42 स्क्वाड्रन की होनी चाहिए.
सबसे बड़ा रक्षा सौदा
भारत सरकार 114 मल्टीरोल फाइटर जेट्स की खरीद के लिए, दुनिया के सबसे बड़े रक्षा सौदों में से एक को पूरा करने वाली है. इस प्रोजेक्ट के लिए 2019 में Request for Information जारी की गई थी. इसमें कई विदेशी कंपनियां भी हिस्सा ले रही हैं, जिनमें फ्रांस की Dassault Aviation (Rafale), अमेरिका की Lockheed Martin (F-21), Boeing (F/A-18) और यूरोप की Eurofighter Typhoon शामिल हैं.
राफेल बना पसंदीदा विकल्प
एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने कहा कि पहले के Medium Multi-Role Combat Aircraft प्रोजेक्ट में राफेल को सबसे महत्वपूर्ण विमान पाया गया था. उन्होंने कहा कि राफेल भारत के लिए आसानी से easy to absorb है. क्योंकि इसके संचालन और तकनीकी अनुभव भारत के पास पहले से ही है. उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि “हमारे लिए सबसे जरूरी यह है कि जो कंपनी भारत में निर्माण करने और तकनीक साझा करने को तैयार हो उसी को चुना जाना चाहिए.”
आगे जब उनसे पूछा गया कि क्या रूस का Sukhoi Su-57 भी इस योजना में शामिल है, तो एयर चीफ ने कहा कि “सभी विकल्पों पर विचार किया जाएगा और भारतीय वायुसेना किसी भी सिस्टम को अपनाने से पहले तय प्रक्रिया का पालन करती है.” सुखोई SU-57 एक एडवांस स्टील्थ मल्टीरोल फाइटर जेट है जिसे रूस ने बनाया है.
AMCA की प्रगति
उन्होंने यह भी बताया कि भारत का महत्वाकांक्षी Advanced Medium Combat Aircraft (AMCA) प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस स्वदेशी स्टील्थ फाइटर की पहली उड़ान परीक्षण 2028 में होने की उम्मीद है, और 2035 तक इसे वायुसेना में शामिल किया जा सकता है.
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