नई दिल्ली: पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान की सीमा पर और तनाव नजर आ रहा है. हालांकि, इससे पहले ही भारत सरकार ने देश की सुरक्षा में इजाफा करते हुए एक बड़ा कदम उठा लिया है. दरअसल, फ्रांस के साथ हुए रक्षा सौदे को अब सरकार अंतिम रूप देने जा रही है. भारतीय नौसेना लंबे वक्त से फ्रांस के साथ 26 राफेल समुद्री लड़ाकू विमानों को खरीदने पर चर्चा कर रही है. अब आखिरकार दोनों देशों के बीच आज यानी सोमवार को हस्ताक्षर होने जा रहे हैं. हालांकि, अब सवाल ये उठ रहे हैं कि राफेल समुद्री लड़ाकू विमान भारत 26 ही क्यों खरीद रहा है, इससे कम या ज्यादा क्यों नहीं.
63,000 करोड़ रुपये का है सौदा
बता दें कि भारत और फ्रांस के बीच आज नई दिल्ली में इन विमानों को लेकर सौदा होने वाला है. यह समझौता 63,000 करोड़ रुपये का है. कहा जा रहा है कि इस बड़ी डील को लेकर नई दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया है. इस सौदे का प्रतिनिधित्व भारतीय रक्षामंत्रालय के अधिकारी और भारत में फ्रांस के राजदूत करने जा रहे हैं. वहीं, भारत और फ्रांस के रक्षा मंत्री डिजिटली इसमें हिस्सा ले सकते हैं.
26 मरीन ही क्यों खरीद रहा भारत
दूसरी ओर अब अगर बात करें कि भारतीय नौसेना ने 26 राफेल समुद्र लड़ाकू विमानों के लिए ही क्यों सौदा किया? तो इसका कारण है 2022 में लॉन्च हुआ भारत का सबसे नया एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत. सरकार ने 26 राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने का फैसला बहुत सारी चीजों को देखते हुए लिया है. ऐसे में जान लेते हैं कि ये स्पेशल 26 है क्या.
क्यों INS विक्रांत बना कारण
दरअसल, यह एयरक्राफ्ट सिर्फ 26 राफेल लड़ाकू विमानों को ही लेकर चल सकता है. इसकी जगह अगर 25 राफेल एम विमान खरीदे जाते हैं तो INS विक्रांत पर एक जेट की जगह खाली रह जाएगी और अगर इससे 26 से ज्यादा खरीदे जाते हैं तो उन्हें रखने के लिए विक्रांत पर जगह ही नहीं बना पाएगी. इन 26 राफेल लड़ाकू विमानों में से 22 एक सीट वाले और 4 दो सीटों वाले विमान होंगे. भारत और फ्रांस के बीच हुआ ये बड़ा सौदा अब पाकिस्तान के लिए भी चिंता का कारण बन सकता है.
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