परमाणु बम बनाने वाला DAE अब देगा 'जीवनदान'! विशाखापत्तनम में शुरू होना जा रहा है भारत का पहला 'न्यूक्लियर हॉस्पिटल'

Nuclear Medicine: देश का पहला मेडिकल परमाणु रिएक्टर अब विशाखापत्तनम में स्थापित होने वाला है. इसे भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (DAE) तैयार कर रहा है. इस रिएक्टर से रेडियो आइसोटोप बनाए जाएंगे. जो कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होंगे.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 13, 2025, 09:41 PM IST
  • BARC बना रहा, कैंसर इलाज होगा सस्ता-असरदार
  • रिएक्टर से रेडियो आइसोटोप बनेंगे, निर्यात भी होगा
परमाणु बम बनाने वाला DAE अब देगा 'जीवनदान'! विशाखापत्तनम में शुरू होना जा रहा है भारत का पहला 'न्यूक्लियर हॉस्पिटल'

भारत अपने मेडिकल विज्ञान में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाने जा रहा है. देश का पहला मेडिकल परमाणु रिएक्टर अब विशाखापत्तनम में स्थापित होने वाला है. इसे भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (DAE) तैयार कर रहा है. इस रिएक्टर से रेडियो आइसोटोप बनाए जाएंगे. जो कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होंगे. इससे न सिर्फ इलाज का खर्च कम होगा. बल्कि उपचार और भी अधिक असरदार होगा.

इस मेडिकल परमाणु रिएक्टर को चार से पांच सालों में तैयार कर लिया जाएगा, जिसका उपयोग सार्वजनिक और निजी तौर पर होगा. इससे कैंसर को खत्म करने में एक क्रांति साबित होगी. यह रिएक्टर भारत के भीतर सभी जरूरतों को पूरा करेगा, साथ ही निर्यात को भी बढ़ावा देगा. इसके लिए मंजूरी भी मिल गई है. इसका बजट पास होते ही इस दिशा में कार्य शुरू हो जाएगा. जिसका न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) और BAEC रिएक्टर के डिजाइन और निर्माण का काम करेंगे.

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यह कैसे काम करेगा?

परमाणु रिएक्टर में इन प्रक्रियाओं का इस्तेमाल होता है. जिनमें यूरेनियम या थोरियम शामिल हैं. इनके नाभिक (nucleus) में बहुत ऊर्जा होती है.

नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission)

जब रिएक्टर में न्यूट्रॉन भेजे जाते हैं. तो यूरेनियम के नाभिक फटते हैं. इससे बहुत सारी ऊर्जा निकलती है. साथ ही अतिरिक्त न्यूट्रॉन निकलते हैं. जो अन्य नाभिकों को फोड़ते हैं. यह Chain Reaction लगातार चलती रहती है.

रेडियो आइसोटोप का निर्माण
फ्यूल रॉड्स या टारगेट मटीरियल में रेडियोधर्मी आइसोटोप बनते हैं. जैसे-

  • Technetium-99m (Tc-99m): कैंसर और हृदय संबंधी जांच में काम आता है.
  • Iodine-131 (I-131): थायरॉइड कैंसर और अन्य थायरॉइड रोगों के इलाज में.

आइसोटोप को प्रोसेस करना
रिएक्टर से निकलने वाले रेडियोधर्मी पदार्थ को सुरक्षित तरीके से निकाला और तैयार किया जाता है. इन्हें अस्पतालों तक भेजा जाता है. जहां ये स्कैनिंग (PET, SPECT) या ट्रीटमेंट (Radiotherapy) में इस्तेमाल होते हैं.

Medical Reactor का मुख्य लाभ
कैंसर का इलाज सस्ता और असरदार होगा. रेडियो आइसोटोप ट्यूमर की पहचान करके उसे आसानी से डैमेज करेगा. यह रोग का जल्दी पता लगाएगा, क्योंकि PET और SPECT स्कैन में ये आइसोटोप शरीर में फैलते हैं और कैमरे से बीमारी दिखाते हैं. बता दें कि नया रिएक्टर भारत को रेडियोआइसोटोप उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएगा. यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और एशिया से आयात पर निर्भरता घट जाएगी.

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