इंडियन नेवी का नाम सुनते ही क्यों 'बाप-बाप' करने लगता है पाकिस्तान? जानिए डर की असल वजह

Indian Navy: क्या आप जानते हैं कि आखिर इंडियन नेवी का नाम सुनते ही दुश्मन देश पाकिस्तान के रौंगटे क्यों खड़े हो जाते हैं? आखिर भारतीय नौसेना से पाक सेना और पाकिस्तानी नौसेना इतना डरती क्यों है? इसकी पीछे की असल वजह आपको जरूर जाननी चाहिए. पड़ोसी मुल्क के डर की पूरी कहानी आपको सिलसिलेवार तरीके से समझाते है.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Jun 16, 2025, 03:23 PM IST
    • भारतीय नौसेना का गौरवशाली इतिहास
    • 1971 के युद्ध में इंडियन नेवी की थी भूमिका
इंडियन नेवी का नाम सुनते ही क्यों 'बाप-बाप' करने लगता है पाकिस्तान? जानिए डर की असल वजह

India vs Pakistan: पाकिस्तान, उसकी सेना और उसके हुक्मरान भले ही बड़ी-बड़ी डींगे हांकते हैं, लेकिन जब-जब भारत से सामना हुआ उन्हें अपनी औकात का अंदाजा लग गया. हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर इस बात का सबसे बड़ा गवाह है. वैसे भारत की तीनों सेनाओं (इंडियन आर्मी, एयरफोर्स और नेवी) से पाकिस्तान खौफ खाता है. लेकिन इन दिनों भारतीय नौसेना से पाकिस्तान कुछ ज्यादा ही डरा हुआ नजर आ रहा है. पाक नेवी एक्सपर्ट मुहम्मद शारह काजी ने हाल ही में अपने दे पाकिस्तान को इंडियन नेवी के वार से बचकर रहने की सलाह दी थी. उन्होंने ये चेतावनी दी थी कि भविष्य के संघर्ष में भारतीय नौसेना भीषण तबाही मचा सकती है. आखिर पाकिस्तान को किस बात का खौफ सता रहा है. चलिए आपको समझाते हैं.

इंडियन नेवी से आखिर क्यों थर्राता है पाकिस्तान?
भारतीय नौसेना की ताकत से पूरी दुनिया वाकिफ है. पाकिस्तान को भी मालूम है कि अगर वो भारत को छेड़ेगा तो भारत की तीनों सेनाएं उसे कहीं का नहीं छोड़ेंगी. युद्ध के मैदान में भारत ने बार-बार पाकिस्तान को ये समझाया है कि उसे अपनी हद नहीं भूलनी चाहिए. सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि आखिर इंडियन नेवी से पाकिस्तान इतना थर्राता क्यों है? इसका जवाब जानने के लिए आपको साल 1971 के भारत-पाक युद्ध की कुछ दिलचस्प कहानियों से रूबरू होना होगा. चलिए पहले ये जान लेते हैं कि कैसे इंडियन नेवी समु्द्री सीमा की रक्षा करती है?

इंडियन नेवी कैसे करती है समु्द्री सीमा की रक्षा?
भारत की समुद्री सीमा करीब 7,500 किलोमीटर लंबी है. इतनी विशाल समुद्री सीमा की रक्षा करना, किसी चुनौती से कम नहीं है. देश की रक्षा के लिए यहां 24 घंटे और 7 दिन मुस्तैद रहना पड़ता है. समुद्र के रास्ते होने वाले आपराधों और घुसपैठ को रोकने की जिम्मदारी भारतीय नौसेना की है. भारतीय सेना, भारत के गौरव, इतिहास, सभ्यता और संस्कृति की रक्षक है. समुद्र में रहकर भारत के आनबानशान की रक्षा करती है. कुछ ऐसा ही हुआ था साल 1971 के युद्ध में, जब इंडियन नेवी ने पाकिस्तान की कमर तोड़ दी थी.

जब पाकिस्तान के घर में इंडियन नेवी ने मचाई तबाही
भारतीय नौसेना का युद्ध इतिहास भी पराक्रम और वीरता से भरा है. भारत-पाक के बीच हुए 1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना ने अपनी वीरता का परिचय दिया था. 4 दिसंबर, 1971 को भारतीय नौसेना ने कराची पोर्ट को तबाह कर पाकिस्तानी सेना की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी थी. इस युद्ध में पाकिस्तान के करीब 90 हजार सैनिकों को आत्मसमर्पण करना पड़ा था. 1971 के युद्ध में भारतीय सेना के तीनों अंगों यानी थल सेना, वायु सेना और नौसेना ने जबर्दस्त काम किए.

इंडियन नेवी का ऑपरेशन ट्राइडेंट से दहल उठा पाक
इस युद्ध में भारतीय नौसेना का अहम योगदान था. भारतीय वायु सेना और भारतीय थल सेना ने दुश्मन के सैनिकों को रोकने का काम किया. दूसरी तरफ भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के पूर्वी और पश्चिमी बंदरगाह वाले रास्तों को बंद कर एक ही रात में पाकिस्तान के तीन बड़े पानी के जहाज तबाह कर दिए थे. भारतीय नौसेना के इस मिशन का ऑपरेशन ट्राइडेंट कहा गया. इस मिशन के तहत भारतीय नौसेना के मिसाइल युक्त पानी के जहाजों ने कराची पोर्ट पर जबरदस्त हमला बोला.

आखिर किसने बनाई थी इस पूरी मिशन की योजना?
कराची पोर्ट के एक तरफ पाकिस्तानी नौसेना का मुख्यालय था और दूसरी ओर पाकिस्तान का तेल भंडार. इस साहसिक मिशन का नेतृत्व एडमिरल सरदारीलाल मथरादास नंदा कर रहे थे. इंडियन नेवी के बेड़ा संचालन अधिकारी गुलाब मोहनलाल हीरानंदानी ने इस पूरे मिशन की प्लानिंग बनाई थी. इस मिशन में सबसे बड़ी कामयाबी थी सबसे ताकतवर पाकिस्तनी सबमरीन पीएनएस गाजी का तबाह करना. अमेरिका से लीज पर ली गयी गाजी का जवाब दक्षिण एशिया में किसी देश के पास नहीं था. इस लड़ाई में शिकारी खुद शिकार हो गया था. दरअसल पाकिस्तानी सबमरीन गाजी, भारतीय नौसेना के विमानवाहक जहाज आईएनएस विक्रांत को तबाह करने आयी थी और खुद ही निशान बन गयी थी.

उम्मीद है कि आपको ये समझ आ गया होगा कि आखिर भारतीय नौसेना का नाम सुनते ही पाकिस्तान के पसीने क्यों छूटने लगते हैं. जब कभी दुश्मन देश अपनी हद भूलने लगे उसे ये याद कर लेना चाहिए कि कैसे बार-बार युद्ध के मैदान पर उसे मुंह की खानी पड़ी.

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