नई दिल्ली: करतारपुर कॉरिडोर के जीरो प्वाइंट पर भारत और पाकिस्तान के अफसरों के बीच सात दशकों से बंद रास्ते के खुलने की आखिरी औपचारिकता भी पूरी हो गई. भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर सहमति पत्र पर आज दोनों देशों की ओर से वरिष्ठ अधिकारियों ने हस्ताक्षर किए. जिसके साथ ही आस्था के कॉरिडोर के रास्ते का आखिरी रोड़ा भी हट गया.
कॉरिडोर का काम करीब-करीब पूरा
भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर साहिब कॉरिडोर पर साइन करने के लिए पिछले दिनों ही औपचारिक सहमति बन गई थी. पहले दोनों देशों के बीच ये हस्ताक्षर 23 अक्टूबर को साइन किया जाना तय था, लेकिन आखिरी वक्त पर इसे एक दिन और आगे बढ़ा दिया गया. आज आखिरकार दशकों का इंतजार खत्म हुआ और दोनों देशों के बीच आखिरी समझौते पर मुहर लग गई. भारत की ओर से गृह मंत्रालय के अधिकारी एससीएल दास और पाकिस्तान की ओर से विदेश मंत्रालय के अधिकारी मोहम्मद फैसल ने आधिकारिक पत्र पर हस्ताक्षर किया. भारत की ओर से कॉरिडोर के निर्माण का काम करीब-करीब पूरा भी हो चुका है.
Joint Secy MHA SCL Das, after India & Pakistan signed agreement on #KartarpurCorridor : With the signing of this agreement, a formal framework has been laid down for operationalisation of the Kartarpur Sahib Corridor. pic.twitter.com/DABZodD7KK
— ANI (@ANI) October 24, 2019
एससीएल दास ने बताया कि 'कॉरिडोर का तय वक्त पर उद्घाटन करने के लिए हमारी तरफ से हाईवे और यात्री टर्मिनल बिल्डिंग समेत सभी जरुरी इंफ्रास्ट्रेक्चर तय वक्त पर पूरा होने को है. भारत के सभी धर्मों के श्रद्धालु और भारतीय मूल के सभी लोग करतारपुर कॉरिडोर का इस्तेमाल कर सकेंगे. यात्रा वीजा फ्री होगा, श्रद्धालुओं को सिर्फ वैध पास्टपोर्ट साथ लेकर जाना होगा.
जरूरी होगा वैध पासपोर्ट
आस्था का ये कॉरिडोर करतारपुर के दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से जोड़ेगा. सिख और अन्य धर्मों के श्रद्धालु इस कॉरिडोर से बिना वीजा के आवाजाही कर सकेंगे. श्रद्धालुओं को करतारपुर साहिब जाने के लिए बस एक परमिट लेना होगा. हालांकि करतारपुर जाने के लिए वैध पासपोर्ट जरुरी होगा.
करतारपुर कॉरिडोर 9 नवंबर से खोला जाएगा. भारत की ओर से इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. खास बात ये है कि कुछ विशेष दिनों को छोड़कर ये कॉरिडोर साल भर खुला रहेगा. हालांकि, जो श्रद्धालु सुबह के वक्त करतारपुर साहिब जाएंगे उन्हे उसी दिन वापस लौटना होगा. कॉरिडोर सुबह से शाम तक खुलेगा, श्रद्धालु सुबह जाएंगे और उसी दिन शाम को वापस लौटेंगे.
करतारपुर साहिब गुरुद्वारा लाखों-करोड़ों सिखों की आस्था से जुड़ा है. सिखों के पहले गुरु गुरुनानक देव ने अपने जीवन का आखिर वक्त करतारपुर में ही बिताया था. ऐसे में गुरुनानक देव की 550वीं वर्ष जयंती मनाने के लिए भारत से बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन के लिए इस कॉरिडोर का प्रयोग कर सकेंगे. श्रद्धालुओं के लिए आज से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी शुरू हो गया है. हालांकि, भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान यात्रियों से 20 डॉलर की फीस लेने पर अड़ा है.