भारत ने रूस-चीन से कहा, सुनिश्चित हो कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल न करें पाक के आतंकी संगठन

रूस, भारत और चीन (RIC) त्रिपक्षीय ढांचे की 18वीं बैठक के दौरान तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने आपसी समन्वय और सहयोग पर जोर दिया.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 27, 2021, 03:01 PM IST
  • मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने का लिया संकल्प
  • आरआईसी देशों के बीच समन्वय आवश्यकः भारत
भारत ने रूस-चीन से कहा, सुनिश्चित हो कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल न करें पाक के आतंकी संगठन

नई दिल्ली: भारत, रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शुक्रवार को रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय ढांचे की 18वीं बैठक हुई. इसमें भारत ने रूस और चीन से कहा कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों की तरफ से अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

इस बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और चीनी विदेश मंत्री वांग यी मौजूद थे. 

जयशंकर ने अफगानिस्तान में समावेशी और प्रतिनिधि सरकार होने पर भारत के रुख को दोहराते हुए कहा, 'आरआईसी देशों के लिए आतंकवाद, कट्टरपंथ, मादक पदार्थों की तस्करी आदि के खतरों पर संबंधित दृष्टिकोणों का समन्वय करना आवश्यक है.' 

भारत ने अफगान को मदद की पेशकश की
मंत्री ने मास्को और बीजिंग के अपने दो समकक्षों को बताया कि अफगान लोगों की भलाई के लिए भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप, नई दिल्ली ने देश में सूखे की स्थिति से निपटने के लिए अफगानिस्तान को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं की आपूर्ति की पेशकश की थी. हालांकि, मानवीय पहल में रुकावट आ गई थी, क्योंकि बुधवार तक पाकिस्तान इस खेप को अपने क्षेत्र से गुजरने की अनुमति देने के लिए प्रतिबद्ध नहीं था.

तीनों मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई कि आरआईसी देशों के बीच सहयोग न केवल उनके अपने विकास में बल्कि वैश्विक शांति, सुरक्षा, स्थिरता में भी योगदान देगा. जयशंकर ने कहा कि 'मेरा मानना है कि व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और राजनीति आदि क्षेत्रों में हमारा सहयोग वैश्विक विकास, शांति और स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.'

आतंकी संगठनों के सफाए पर दिया जोर
बाद में जारी संयुक्त बयान में तीनों देशों ने अफगानिस्तान और क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों जैसे अल-कायदा, आईएसआई और अन्य के तत्काल उन्मूलन की आवश्यकता पर बल दिया.

तीनों मंत्रियों ने अफगानिस्तान और उसके बाहर से अफीम और मेथामफेटामाइन में अवैध मादक पदार्थों की तस्करी के प्रसार का मुकाबला करने के लिए अपना दृढ़ संकल्प भी व्यक्त किया, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा है और आतंकवादी संगठनों के लिए धन प्रदान करता है.

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