India Strategy on POK: भारत और पाकिस्तान विवाद के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्यस्थता की इच्छा जताई है. उन्होंने 'कश्मीर' मुद्दे को हल करने का ऑफर दिया, लेकिन भारत को ये प्रस्ताव कतई मंजूर नहीं है. लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस मामले में किसी तीसरे देश का हस्तक्षेप नहीं सहेगा. साथ ही ये भुई कहा है कि कश्मीर पर नहीं बातचीत नहीं होगी, चर्चा तो PoK की वापसी पर होगी. ये बात रखकर भारत ने दूर की कौड़ी खेली है.
PoK पर बात कहकर भारत ने एजेंडा बदला
भारत ने अपने बयान से स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर तो कोई मुद्दा है ही नहीं, क्योंकि ये तो भारत का अभिन्न अंग है. 'कश्मीर' पर तो बातचीत की गुंजाइश भी नहीं है. लेकिन PoK की वापसी पर चर्चा करने के लिए भारत तैयार है. PoK को मुद्दा बनाकर भारत ने बातचीत का एजेंडा बदल दिया है. अब पाकिस्तान को कश्मीर राग अलाप छोड़, बजाय PoK के अवैध कब्जे पर सफाई देनी होगी.
दुनिया में दिया साफ संदेश
भारत ने 'कश्मीर' को विवादित मुद्दा ना मानते हुए दुनिया में साफ संदेश दिया कि जिस पर हमारा अधिकार है, वो 'विवाद' का विषय ही नहीं है. भारत ने अमेरिका, यूरोप, खाड़ी देशों समेत संयुक्त राष्ट्र (United Nations) को बता दिया कि यह मामला पूरी तरह द्विपक्षीय है. तीसरे देशों को इसमें पड़ने की जरूरत नहीं है.
पाक कैसे देगा मानवाधिकार उल्लंघन का जवाब?
यदि पाक अधिकृत कश्मीर यानी POK की चर्चा विश्व पटल पर होती है तो पाकिस्तान साफ तौर पर फंस जाएगा. पाक को को PoK में हुए मानवाधिकार उल्लंघनों ला जवाब देना होगा. इससे पहले भी ये मुद्दा UN मानवाधिकार परिषद में उठा, तब भी पाक ने अपनी भद पिटवाई थी. 2016 में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा था- 'वहां (PoK में) मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर हम चिंतित हैं. हमने अपनी मानवाधिकारों की रिपोर्ट में इसका जिक्र कई वर्षों तक किया है.' ऐसे बयान और रिपोर्ट्स पाक का PoK पर पक्ष कमजोर करेंगी.
रक्षा विशेषज्ञों का क्या कहना है?
कई रक्षा विशेषज्ञों का तो ये भी मानना है कि POK को वापस लेने का एकमात्र रास्ता सैन्य कार्रवाई है. विशेषज्ञ कहते हैं कि भारत 'सलामी स्लाइसिंग' रणनीति अपनाकर छोटे-छोटे क्षेत्रों पर अधिकार जमा सकता है. फिलहाल PoK और बलूचिस्तान में विरोध चल रहे हैं, पाक आर्मी भी इन्हें काबू नहीं कर पा रही है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है और BLA उनकी सैन्य शक्ति को कमजोर कर रहे हैं, ऐसे में भारत की आक्रामक नीति का जवाब देना उसके लिए चुनौतीपूर्ण होगा.