भारत के फाइटर जेट को 'बाहुबली' बनाएगा 6वीं पीढ़ी का इंजन, दुश्मन के पलक झपकते ही खेल कर देगा तमाम!

भारत AMCA फाइटर जेट के लिए 6वीं पीढ़ी के इंजन की डील जुलाई 2025 तक फाइनल करेगा. GE, Safran और Rolls-Royce में से सबसे प्रबल दावेदार Rolls-Royce है, जो पूरी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और भारत में निर्माण की पेशकश कर रही है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 21, 2025, 06:48 PM IST
  • भारत पहली बार बनाएगा 6वीं पीढ़ी का लड़ाकू जेट इंजन
  • रोल्स रॉयस ने पेश की पूरी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की डील
भारत के फाइटर जेट को 'बाहुबली' बनाएगा 6वीं पीढ़ी का इंजन, दुश्मन के पलक झपकते ही खेल कर देगा तमाम!

Fighter Jet: भारत अपनी फाइटर जेट की ताकत सातवें आसमान पर लेकर जा रहा है. इसके लिए अभी से 6वीं पीढ़ी के फाइटर जेट बनाने की कवायद तेज कर दी है. IDRW की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत जल्द ही अपनी पहली 6वीं पीढ़ी के फाइटर जेट इंजन के लिए लगभग 5 अरब डॉलर की डील को अंतिम रूप देने जा रहा है. यह इंजन ‘एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट’ (AMCA) के Mk-2 वर्जन के लिए बनाया जाएगा. जो सुपरक्रूज, स्टील्थ और एडवांस हथियारों से लैस होगा. अमेरिका की GE, फ्रांस की Safran और ब्रिटेन की Rolls-Royce तीन बड़ी कंपनियों के बीच बात पूरी हो चुकी है. डील पर निगरानी खुद प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) कर रहा है. सबसे मजबूत दावेदार Rolls-Royce मानी जा रही है, जो पूरी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और भारत में निर्माण का वादा कर रही है.

5 अरब डॉलर की डील होगी फाइनल
भारत के डिफेंस सेक्टर में एक बड़ा बदलाव आने वाला है, क्योंकि 6वीं पीढ़ी के फाइटर जेट इंजन के लिए एक मेगा डील जुलाई 2025 तक फाइनल हो सकती है. इस डील की अनुमानित लागत लगभग 5 अरब डॉलर है और यह भारत के AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) प्रोग्राम का अहम हिस्सा होगी. 

IDRW की रिपोर्ट के मुताबिक, यह इंजन विशेष रूप से AMCA Mk-2 वर्जन के लिए बनाया जाएगा, जो 2040 तक भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाएगा. इस इंजन से जेट को सुपरक्रूज, स्टील्थ और AI-ड्रिवन ड्रोन जैसी क्षमताएं मिलेंगी, जिससे यह भविष्य के युद्धों के लिए पूरी तरह तैयार होगा.

दुनिया के तीन ताकतवर देश आए सामने
भारत ने इस इंजन के विकास के लिए, दुनिया के तीन सबसे ताकतवर देश की कंपनिया सामने आई हैं. बता दें, भारत ने अमेरिका की GE, फ्रांस की Safran और ब्रिटेन की Rolls-Royce से बातचीत की है. इन सभी तीन कंपनियों से टेक्निकल और लागत से जुड़ी चर्चा पूरी हो चुकी है और अब बल फाइनल डिसीजन लेना बाकी है.

यह प्रोजेक्ट इतना महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) इस पर खुद नजर रख रहा है, ताकि प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ तेज और रणनीतिक हो. इंजन के विकास में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, प्रोडक्शन डील, और IP राइट्स जैसी शर्तें शामिल हैं, जिससे भारत को लंबे समय तक किसी और देश पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा.

रोल्स रॉयस की दावेदारी सबसे मजबूत
इन सभी कंपनियों में Rolls-Royce इस रेस में सबसे आगे मानी जा रही है. कंपनी ने इंजन के लिए एक नया डिजाइन देने, पूरी IPR ट्रांसफर करने और भारत में प्रोडक्शन फैसिलिटीज़ स्थापित करने की पेशकश की है. इससे भारत को न केवल घरेलू जरूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी, बल्कि भविष्य में निर्यात का रास्ता भी खुलेगा.

रोल्स रॉयस ने ब्रिटेन के Tempest प्रोजेक्ट में भी अहम भूमिका निभाई थी. साथ ही इसके पास 6वीं पीढ़ी के इंजन की टेक्निकल समझ भी है. ऐसे में, इस डील को भारत एक रणनीतिक लाभ में बदल सकता है. कंपनी ने टेस्टिंग फैसिलिटीज़ और फ्यूचर अपग्रेड में भी भारत के साथ सहयोग का वादा किया है.

क्या होगी इस इंजन की खासियत?
इस इंजन की ताकत 110-130 kN होगी, जो AMCA Mk-2 को सुपरक्रूज और स्टील्थ मिशनों में सक्षम बनाएगी. इसमें वेरिएबल सायकल टेक्नोलॉजी, बेहतर थर्मल मैनेजमेंट और फ्यूल एफिशिएंसी जैसी खूबियां होंगी.

यह इंजन सिर्फ AMCA के लिए नहीं, बल्कि भविष्य के 6वीं पीढ़ी के भारतीय लड़ाकू विमानों की नींव रखेगा. इसका डिजाइन इतना लचीला होगा कि इसे AI आधारित हथियारों और डायरेक्ट एनर्जी वेपन्स के साथ जोड़ा जा सकेगा. जो आधुनिक युद्ध में गेमचेंजर साबित हो सकते हैं.

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