'डिकोय सिस्टम' से चकमा देगा भारत का T-90 टैंक, बाल भी बांका नहीं कर पाएगा दुश्मन!

भारतीय सेना ने T-90 टैंकों के लिए डिकोय सिस्टम खरीदने की प्रक्रिया शुरू की है. ये सिस्टम असली टैंकों की तरह दिखेंगे और ड्रोन व दुश्मन की निगरानी को गुमराह करने में सक्षम होंगे. रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए भारतीय कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं. इस सिस्टम से असली टैंकों की सुरक्षा कई गुना बढ़ जाएगी.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 13, 2025, 10:41 PM IST
  • दुश्मन ड्रोन को चकमा देने के लिए बनेगा डिकोय टैंक सिस्टम
  • दिखने, सुनने और ताप में असली T-90 जैसा होगा नकली टैंक
 'डिकोय सिस्टम' से चकमा देगा भारत का T-90 टैंक, बाल भी बांका नहीं कर पाएगा दुश्मन!

Decoy system for T-90 tanks: भारतीय सेना अपने मुख्य युद्धक टैंक T-90 S/SK की सुरक्षा को और मजबूत करने जा रही है. इसके लिए डिकोय सिस्टम्स की खरीद का रास्ता खोल दिया गया है. बता दें, रक्षा मंत्रालय ने 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत एक सूचना अनुरोध (RFI) जारी किया है. ये डिकोय सिस्टम्स ड्रोन और अन्य निगरानी तकनीकों को गुमराह करने में सक्षम होंगे, क्योंकि ये असली टैंकों की तरह ही ध्वनि, ताप और आकार का संकेत देंगे. इन नकली टैंकों का उद्देश्य, दुश्मन के हमलों को असली टैंकों से हटाकर इन पर केंद्रित करना है. इन्हें किसी भी मौसम और इलाके में तैनात किया जा सकेगा.

ड्रोन खतरों से निपटने की तैयारी
दुनिया में युद्ध के तौर-तरीके पूरी तरह बदल चुके हैं. ऐसे में, भारतीय सेना ने भी T-90 S/SK टैंकों की सुरक्षा मजबूत करने का फैसला लिया है. इसके लिए डिकोय सिस्टम की प्लानिंग बनाई गई है. हाल के वर्षों में ड्रोन और निगरानी तकनीकों की ताकत काफी बढ़ी है, जिसके चलते बख्तरबंद यूनिट्स पर खतरा काफी बढ़ गया है. सेना अब ऐसे नकली टैंकों की मांग कर रही है, जो इन खतरों को गुमराह कर सकें.

रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत भारतीय कंपनियों और रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों को सूचना अनुरोध (RFI) जारी किया है. इसका उद्देश्य ऐसे विक्रेताओं की पहचान करना है, जो असली T-90 टैंकों के जैसे दिखने वाले नकली टैंक डेवलप कर सकें.

क्या है डिकोय सिस्टम का उद्देश्य?
डिकोय सिस्टम यानी नकली टैंक, असली टैंकों की ध्वनि, ताप और संरचना की नकल करते हैं. इनका उद्देश्य दुश्मन की मिसाइल, ड्रोन और रडार जैसे हथियारों को गुमराह करना होता है, ताकि वे असली टैंकों की बजाय इन डिकोय टैंकों को निशाना बनाएं.

इन नकली टैंकों में एंटी-एयरक्राफ्ट मशीन गन, स्मोक ग्रेनेड लॉन्चर, रेडियो एंटीना, एक्सटर्नल फ्यूल टैंक जैसी हर वह चीज जो असली टैंक पर होती है, उसकी हूबहू नकल होगी. इससे वे दुश्मन की निगरानी और सटीक हमलों से असली टैंकों को बचा पाएंगे.

क्या होगी इन टैंकों की खासियत?
सेना ने जो तकनीकी मांगें रखी हैं, उनके अनुसार ये डिकोय टैंक T-90 S/SK के सटीक आकार, ऊंचाई, चौड़ाई, ग्राउंड क्लीयरेंस और कवच की ढलानों तक को शामिल करेंगे. इनका बाहरी डिजाइन इतना सटीक होगा कि ड्रोन और रडार भी इन्हें असली टैंक समझेंगे.

सिर्फ दिखने में ही नहीं, ये सिस्टम ध्वनि और तापमान के लिहाज से भी असली टैंकों जैसे सिग्नल देंगे. यानी जब ये मैदान में होंगे, तब दुश्मन की निगरानी सिस्टम इन्हें वास्तविक मानकर मिसाइल या हमला कर सकती है.

हर मौसम में इस्तेमाल के लायक
इन डिकोय टैंकों को भारत की भगौलिक स्थिति को ध्यान में रखकर डिजाइन किया जा रहा है. चाहे वह थार के तपते रेगिस्तान हों या लद्दाख की बर्फीली ऊंचाइयां, इन्हें हर इलाके में तैनात किया जा सकेगा. सेना चाहती है कि ये नकली टैंक मैदानी स्थितियों में जल्दी तैनात किए जा सकें और युद्ध के दौरान असली टैंकों को सुरक्षित रखने में मदद करें.

हाल ही में रूस-यूक्रेन जंग के बीच देखा गया है कि, महंगे और एडवांस टैकों को मामूली से ड्रोन ने चंद सेकेंड में ध्वस्त कर दिया, ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि इस रणनीतिक कदम से भारतीय सेना की बख्तरबंद ताकत को एक बड़ा सुरक्षात्मक कवच मिलेगा.

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