T-72 and T-90 Tanks Update: भारतीय सेना अपनी बख्तरबंद ताकत को बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है. दिल्ली के आर्मी बेस वर्कशॉप में रूस की तकनीक से बने टैंक टी-72 और टी-90 को ओवरहॉल किया जा रहा है. इस प्रक्रिया के किए जाने से ये टैंक नई ऊर्जा या नई ताकत पाने वाले हैं. इनकी मारक क्षमता, स्पीड और सुरक्षा बढ़ेगी. फिर ये आधुनिक युद्ध की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होंगे.
ओवरहॉल प्रक्रिया क्या है?
दिल्ली में आर्मी बेस वर्कशॉप में होने वाला ओवरहॉल एक तरह की तकनीकी प्रक्रिया है, इसमें टैंकों को पूरी तरह से खोलकर उनके हर हिस्से को नया बनाया जाता किया जाता है. इसे आप रेनोवेशन की तरह भी समझ सकते हैं. भारत इन टैंकों को अक्टूबर 2024 से ही रेनोवेट करने में लगा हुआ है. इस प्रक्रिया के दौरान टैंक के घिसे हुए हिस्सों का बदला जा रहा है. इसके अलावा, पुराने और खराब हो चुके हिस्सों की जगह को नए और आधुनिक पार्ट्स लगाए जा रहे हैं. ओवरहॉल की प्रक्रिया से गुजरने के लिए हरेक टैंक को 6 माह लगते हैं. 1,200 से अधिक तकनीशियनों की एक टीम इन टैंकों को अपडेट करने में लगी हुई है.
चीन पाक से करेंगे मुकाबला
चीन के साथ LAC पर लंबे समय से भारत का तनाव चल रहा है. 2020 के गलवान संघर्ष के बाद लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में टैंकों की तैनाती जरूरी हो गई है. यहां पर टी-90 और टी-72 टैंक चीन के टाइप 15 लाइट टैंक और टाइप 99 MBTs के खिलाफ प्रभावी हो सकते हैं. इसके अलावा, पाकिस्तान के साथ LoC पर, ये टैंक अल-खालिद टैंकों के खिलाफ पूरी ताकत के साथ लड़ सकते हैं.
भारत के पास 3000 से अधिक टी-72 और टी-90 टैंक
भारतीय सेना के पास लगभग 4,200 टैंकों का बेड़ा है. इनमें जिसमें टी-72 और टी-90 टैंकों की संख्या 3,000 से अधिक है.
टी-72: यह टैंक 1970 के दशक के अंत में भारतीय सेना में शामिल किया गया था. इसे 'अजेय' के नाम से भी जाना जाता है. इसकी उम्र और आधुनिक दौर को देखते हुए इसे अपडेट करना जरूरी था.
टी-90 भीष्म: 2003 से सेवा में है. टी-90 भीष्म तीसरी पीढ़ी का टैंक है, जो टी-72 का अपडेटेड वर्जन है. यह 125 मिमी स्मूथबोर गन, लेटेस्ट कवच, और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग सिस्टम से लैस है, भारत ने इसे रूस से खरीदा और चेन्नई के पास अवादी में हेवी व्हीकल्स फैक्ट्री (HVF) में इसका उत्पादन भी किया.
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