भारतीय सेना को मिलेंगी हाइपरसोनिक मिसाइलें, मैक 5 की तेज गति संभाल नहीं पाएगा दुश्मन का 'रडार'

Hypersonic missile system: हाइपरसोनिक मिसाइलें मैक 5 (Mach 5) की गति से वार करती हैं. आसान शब्दों में कहें तो मैक 5 गति का एक माप है, जो कि ध्वनि की गति से पांच गुना तेज होती है. जैसे अगर समुद्र स्तर पर आवाज की गति लगभग 1,230 किमी प्रति घंटा है तो इस हाइपरसोनिक मिसाइल की रफ्तार घंटे भर में  6,100 किलोमीटर से अधिक की होती है.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : May 17, 2025, 06:25 PM IST
भारतीय सेना को मिलेंगी हाइपरसोनिक मिसाइलें, मैक 5 की तेज गति संभाल नहीं पाएगा दुश्मन का 'रडार'

Hypersonic missile system: भारत हर दिन के साथ अपनी डिफेंस व अटैक करने की पावर को बढ़ाता जा रहा है. इस बीच एक और अच्छी खबर है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुधीर कुमार मिश्रा के अनुसार, भारत को जल्द स्वदेशी हाइपरसोनिक मिसाइल मिलने जा रही है. उन्होंने बताया कि भारत रक्षा के मामले में यह बड़ी व महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने के करीब है.

हाइपरसोनिक मिसाइलें मैक 5 (Mach 5) की गति से वार करती हैं. आसान शब्दों में कहें तो मैक 5 गति का एक माप है, जो कि ध्वनि की गति से पांच गुना तेज होती है. जैसे अगर समुद्र स्तर पर आवाज की गति लगभग 1,230 किमी प्रति घंटा है तो इस हाइपरसोनिक मिसाइल की रफ्तार घंटे भर में  6,100 किलोमीटर से अधिक की होती है.

दुश्मन के लिए कैसे खतरनाक?
इस मिसाइल की एक सबसे बड़ी खासियत है कि ये तेजी से अपनी दिशा बदल सकती है. यानी खुद को नष्ट करने आ रहे डिफेंस सिस्टम को गच्चा दे सकती है. इसके अलावा, ये मिसाइलें इतनी तेज होती हैं, जो दुश्मन के रडार को भी चकमा देती हैं. इनपर निशाना लगाना बहुत कठिन हो जाता है.

एक कार्यक्रम में बोलते हुए, पूर्व डीआरडीओ प्रमुख (सुधीर कुमार मिश्रा) ने कहा कि DRDO ने हाल ही में एक हाइपरसोनिक इंजन के लिए सफल परीक्षण पूरे किए हैं और अब मिसाइल सिस्टम को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है.

'हमारा सिस्टम सबसे अच्छा'
मिश्रा पहले DRDO के महानिदेशक और ब्रह्मोस एयरोस्पेस के एमडी और सीईओ के रूप में काम कर चुके हैं. वे वर्तमान में DRDO के अध्यक्ष हैं. मिश्रा ने कहा, 'दो-तीन हफ्ते पहले, हमने एक हाइपरसोनिक इंजन का परीक्षण किया. जल्द ही, हम एक हाइपरसोनिक मिसाइल लेकर आएंगे जो मैक 5 की गति तक पहुंचेगी. ब्रह्मोस के लिए सभी तकनीकें DRDO द्वारा इन-हाउस विकसित की गई थीं, हमने दुनिया का सबसे बड़ा लॉन्चर भी खुद बनाया है.

उन्होंने कहा कि जब दूसरे देश मिसाइल सिस्टम की तुलना करते हैं और भारत के सिस्टम को शामिल करना चुनते हैं, तो इसका मतलब है कि हमारा सिस्टम सबसे अच्छा है.

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