India Defence Missile: भारत की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को नई ताकत मिलने जा रही है. DRDO प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने जानकारी दी है कि आने वाले 6 से 12 महीनों में दो स्वदेशी मिसाइल सिस्टम भारतीय सेना में शामिल किए जाएंगे. इनमें VSHORAD (Very Short Range Air Defence) और MPATGM (Man-Portable Anti-Tank Guided Missile) शामिल हैं. VSHORAD को हेलिकॉप्टर, ड्रोन और कम ऊँचाई पर उड़ने वाले विमानों से रक्षा के लिए बनाया गया है, वहीं MPATGM दुश्मन के टैंकों को खत्म करने में सक्षम है. ये मिसाइलें ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक बड़ा कदम हैं.
भारतीय सेना को मिलेंगी कई देसी मिसाइलें
DRDO देश की रक्षा तैयारियों को नए मुकाम पर लेकर जा रही है. DRDO प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने बताया कि आने वाले 6 से 12 महीनों में कई स्वदेशी हथियार और मिसाइल भारतीय सेना में शामिल किए जाएंगे. इनमें VSHORAD और MPATGM मिसाइल सिस्टम प्रमुख हैं.
कामत ने आगे बताया कि ये मिसाइलें न केवल भारत की लड़ाकू क्षमता को मजबूत करेंगी, बल्कि विदेशी सिस्टम पर निर्भरता को भी कम करेंगी. यह आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव है.
VSHORAD का हुआ सफल परीक्षण
VSHORAD यानी Very Short Range Air Defence System को DRDO के हैदराबाद स्थित रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) ने डेवलप किया है. यह सिस्टम कंधे पर रखकर फायर करने वाला है और इसे विशेष रूप से हेलिकॉप्टर, ड्रोन और निचली उड़ान वाले फाइटर जेट से बचाव के लिए डिजाइन किया गया है.
इसमें ड्यूल थ्रस्ट रॉकेट मोटर, रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम और एडवांस्ड एवियोनिक्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकें शामिल हैं. हालिया परीक्षणों की सफलता के बाद इसका प्रोडक्शन शुरू होने जा रहा है, जिससे देश की सीमावर्ती इलाकों में इसकी तैनाती जल्द संभव होगी.
MPATGM बनेगा दुश्मन टैंकों का काल
MPATGM (Man-Portable Anti-Tank Guided Missile) DRDO की तीसरी पीढ़ी की मिसाइल है जो ‘फायर एंड फॉरगेट’ टेक्नोलॉजी पर आधारित है. इसका मतलब है कि एक बार लॉन्च होने के बाद इसे कंट्रोल करने की जरूरत नहीं होती. यह सीधे अपने टारगेट को हिट करती है. यह मिसाइल दुश्मन के Explosive Reactive Armour वाले टैंकों को भी नष्ट कर सकती है.
MPATGM वजन में हल्की, कॉम्पैक्ट और दो सैनिकों की टीम द्वारा आसानी से ऑपरेट की जा सकती है. यह खासकर पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में सेना को बड़ी ताकत देगी. इसके कई सफल परीक्षण हो चुके हैं और इसे जल्द ही सेना में शामिल किया जाएगा.
ऐसे में भारतीय सेना स्वेदेशी हथियारों से लैस होगी. जिससे न केवल विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम होगी, बल्कि मेक इन इंडिया को भी बढ़ावा मिलेगा.
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