नई दिल्ली: देश की सुरक्षा के लिए निरंतर नए प्रयास किए जाते रहते हैं. ऐसे में हथियारों की किसी भी तरह की कमी से निपटने के लिए लगातार दूसरे देशों से अत्याधुनिक हथियार खरीदें भी जा रहे हैं और भारत खुद भी अपने हथियार तैयार कर रहा है. इस दिशा में भारत ने हाल ही में एक ऐसा 'ब्रह्मास्त्र' बनाकर तैयार कर लिया है, जो दुनिया के किसी भी संकट से सामना करने के लिए काफी है.बता दें कि इस 'ब्रह्मास्त्र' का नाम है लॉन्ग रेंज एंटी शिप मिसाइल (LRAShM).
हाइपरसोनिक ग्लाइड हथियार है LRAShM
आपको बता दें कि LRAShM एक हाइपरसोनिक ग्लाइड हथियार है. इसकी स्पीड 12,144 किमी प्रति घंटे की है. यानी इसकी स्पीड से मात्र एक घंटे में ही दिल्ली से अमेरिका के वॉशिंगटन में पहु्ंचा जा सकता है. LRAShM को DRDO ने विकसित किया है. इस मिसाइल को खासतौर पर समुद्र जहाजों के लिए तैयार किया गया है, लेकिन तकनीकी तौर पर जमीनी लक्ष्यों के लिए भी इसे संशोधित किया जा सकता है. इसकी मारक क्षमता की बात करें तो यह 1500 किमी है. यानी अगर समुंद्र में भारतीय तट से 1500 किमी की दूरी पर भी दुश्मन का कोई जहाज दिखा तो ये मिसाइल उसे केवल 4-5 मिनट में तबाह कर सकती है.
आवाज से 10 गुना तेजी से वार करने में सक्षम
शुरुआती तौर पर रक्षा विशेषज्ञों का कहना था कि LRAShM की अधिकतम गति 6-7 मैक होगी. आपको पहले बता दें कि मैक, ध्वनि की गति मापने की यूनिट को कहा जाता है, जबकि ये मिसाइल किसी आवाज से भी 10 गुना तेजी से वार करने में सक्षम है. जब भी हम कुछ बोलते हैं तो वो ध्वनि दूसरे शख्स तक 1,235 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पहुंचती हैं, वहीं, LRAShM इससे 10 गुना और तेजी से दौड़ पाएगी.
हो चुका है सफल परीक्षण
LRAShM का 16 नवंबर, 2024 को ओडिशा में डॉक्टर एपीजे अब्दुल कमाल आईलैंड में सफल परीक्षण हो चुका है. इसके बाद कहा जा सकता है कि भारतीय नौसेना को हिंद महासागर में एक बड़ी ताकत मिल गई है. इस दमदार मिसाइल की वजह से चीन के प्रभाव को काउंटर करना काफी हद तक आसान होने वाला है. बता दें कि भारत को समुद्र के रास्ते सबसे ज्यादा चुनौती चीन और पाकिस्तान से ही मिलती है.
चीन के पास भी है ताकतवर मिसाइल
दूसरी ओर चीन के पास भी DF-17 ऐसी ताकतवर मिसाइल है. बताया जाता है कि इसकी स्पीड भी 10-12 मैक तक है. चीनी का दावा है कि वह इस साल भी ऐसी ही एक मिसाइल बनाने जा रहा है. हालांकि, चीनी की इन दोनों ही मिसाइलों की रेंज लगभग 1000 किमी बताई जाती है, जबकि भारत के LRAShM की बात करें तो इसकी रेंज 1500 किमी है, जो कि चीन की दोनों ही मिसाइलों से काफी ज्यादा है.
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