India Anti Ship Missiles: भारत ने चीनी नौसेना से मुकाबला करने के लिए अपनी ताकत बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाया है. भारत अपनी अपनी निम्न-उच्च (Lo-Hi) एंटी-शिप क्षमताओं को मजबूत किया है. भारतीय नौसेना अपनी समुद्री ताकत को बढ़ाने के लिए नई हथियार प्रणालियों को अपना रही है. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को रोकने के लिए ये जरूरी कदम उठाया जा रहा है.
ये एंटी शिप मिसाइलें दिखाएंगी दम
IDRW की रिपोर्ट बताती है कि भारतीय नौसेना दो उन्नत एंटी-शिप हथियार प्रणालियों को अपनी समुद्री ताकत का आधार बना रही है. ये नेवल एंटी-शिप मिसाइल-मध्यम दूरी (NASM-MR) और लॉन्ग रेंज स्टैंड-ऑफ वेपन (LRSOW) हैं, जिसे रुद्रएम-चतुर्थ (RudraM-IV) नाम भी दिया गया है. ये मिसाइलें चीनी नौसेना के
एयरक्राफ्ट को निष्प्रभावी करने के लिए डिजाइन की गई हैं. ये लंबी दूरी से सटीक हमले करने में सक्षम हैं.
भारत रणनीति के तहत कर रहा काम
भारत पहले से ही चीन की रणनीति का मुकाबला करने के लिए तैयारियां कर रहा है. भारतीय नौसेना के पास पहले से ही सुपरसोनिक ब्रह्मोस-ए (BrahMos-A) और अगली पीढ़ी की ब्रह्मोस-एनजी (BrahMos-NG Mini) मिसाइलें हैं. स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत की तैनाती और MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टरों को भी शामिल करना दर्शाता है कि भारत अपनी नौसेना को ताकतवर बनाने में जुटा है. अब NASM-MR और LRSOW जैसी मिसाइलें भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण प्रयासों का हिस्सा मानी जा रही हैं
इधर भारत, उधर जापान
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीनी नौसेना ने भारत के लिए कई चुनौतियां खड़ी की हैं. अब इंडियन नेवी अपनी शक्ति को बढ़ाकर क्षेत्र में संतुलन बनाए रखना चाहती है. दक्षिणी चीनी सागर में जापान चीन के लिए चुनौती पेश कर रहा है, जिसमें अमेरिका का सहयोग भी मिल सकता है. ऐसे में चीन के लिए आने वाले दिन मुश्किल हो सकते हैं.
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