भारत की डीजल सबमरीन 2033 में मचाएगी तहलका! समुद्र में छिपे दुश्मनों का चुन-चुनकर करेगी खात्मा

Indigenous diesel submarine: भारत सरकार मंजूरी दे तो पहली पनडुब्बी की डिलीवरी लगभग 8 वर्ष बाद मिल सक सकती है. यानी 2033 में.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Apr 19, 2025, 06:50 PM IST
भारत की डीजल सबमरीन 2033 में मचाएगी तहलका! समुद्र में छिपे दुश्मनों का चुन-चुनकर करेगी खात्मा

Indian navy news: भारत की नौसैनिक महत्वाकांक्षाओं के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में देश की प्रमुख पनडुब्बी निर्माता कंपनी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) स्वतंत्र रूप से एक पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी डिजाइन कर रही है, जो रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के इसी तरह के प्रयास को टक्कर देगी.

MDL ने कहा कि वह DRDO के प्रोजेक्ट-76 के तहत प्रपोजल को टक्कर देने वाली पनडुब्बी बना रहा है. दरअसल, DRDO परियोजना-76 के अंतर्गत स्वदेशी पारंपरिक पनडुब्बी विकास कार्यक्रम के लिए सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति (CCS) से अनुमोदन लेने की तैयारी कर रहा है.

बता दें कि घरेलू स्तर पर उन्नत पारंपरिक पनडुब्बियों का विकास और निर्माण करके पनडुब्बी प्रौद्योगिकी में भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा. भारतीय नौसेना के लिए स्वदेशी डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बियों की एक नई श्रेणी विकसित करने की पहल है. बताया जा रहा है कि CCS से जल्द मंजूरी मिल सकती है.

बात पहली पनडुब्बी की डिलीवरी की करें तो यह मंजूरी के बाद लगभग 8 वर्ष बाद मिल सकेगी. यानी 2033 में.

हालांकि, MDL और DRDO जो पनडुब्बी बना रही हैं, उसमें भारतीय नौसेना को फायदा मिल सकता है, जिससे वह अपने पास दो अलग-अलग स्वदेशी विकल्प रख सकती है. साथ ही बेहतर टेक्नोलॉजी के साथ आगे के खतरों से निपट सकती है और नई पीढ़ी के हथियारों को अपने बेड़े में शुमार कर सकती है. 

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