समुद्री दुश्मनों के लिए काल बनेंगे ये इंडियन ‘साइलेंट किलर्स’, भारतीय नौसेना में शामिल होने के लिए तैयार

Indian Navy Warships: भारतीय नौसेना के बेड़े में दो और वॉरशिप हिमगिरी और एंड्रोथ शामिल होने के लिए पूरी तरीके से तैयार हैं. गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स द्वारा निर्मित दोनों वॉरशिप का, फाइनल स्टेप कॉन्ट्रैक्टर सी ट्रायल रहा सफल रहा है. जिसको सीनियर अधिकारियों ने मॉनिटर किया है.

Written by - Prashant Singh | Last Updated : Mar 25, 2025, 04:06 PM IST
  • हिमगिरि और अंद्रोथ वॉरशिप की टेस्टिंग रही सफल
  • भारतीय नेवी के बेड़े में शामिल होंगे दोनों वॉरशिप
समुद्री दुश्मनों के लिए काल बनेंगे ये इंडियन ‘साइलेंट किलर्स’, भारतीय नौसेना में शामिल होने के लिए तैयार

Indian Navy Warships: भारत तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है. ऐसे में जमीनी और हवाई सुरक्षा के इतर, भारत सुमद्र में भी अपनी ताकत बरकरार रखना चाहता है. ऐसे में भारतीय नौसेना के बेड़े में, दो एडवांस वॉरशिप शामिल होने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. जिनका कोलकाता मे ट्रायल सफल रहा, वहीं जवनरी 2025 तक मीडिया रिपोर्ट की मानें तो भारत के पास फिलहाल 145 वॉरशिप हैं. जिनमें अब दो और वॉरशिप जुड़ने जा रहे हैं.

कॉन्ट्रैक्टर सी ट्रायल रहा सफल
भारत की अग्रणी वॉरशिप निर्माता कंपनी मानी जाने वाली,  गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा कोलकाता में दो टॉप क्वालिटी वाले युद्धपोतों का निर्माण किया जा रहा है. कंपनी ने 3 मार्च को दोनों वॉरशिप हिमगिरी और एंड्रोथ के लिए कॉन्ट्रैक्टर सी ट्रायल (CST) सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है.

वहीं GRSE के एक वरिष्ठ अधिकारी ने CST को लेकर जानकारी दी, और कहा ‘कॉन्ट्रैक्टर सी ट्रायल या CST को मैन्यूफैक्चरिंग का फाइनल स्टेप माना जाता है, जहां किसी जहाज की समुद्री क्षमता की टेस्टिंग की जाती है. जिसमें स्पीड, मूवमेंट और जहाज पर लगे डिवाइसों के परफॉरमेंस जैसे कई कारकों का मूल्यांकन किया जाता है’

सोनार सिस्टम से लैस वॉरशिप
भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने वाली, दोनों वॉरशिप अपनी क्षमता के चलते खास हैं. पहला वॉरशिप हिमगिरी एक एडवांस फ्रिगेट है, जिसे कोलकाता में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स द्वारा निर्मित तीन प्रोजेक्ट-17A एडवांस फ्रिगेट में से पहला है.

इस वॉरशिप को ब्रह्मोस एंटी-शिप और एंटी-सर्फेस मिसाइलों से लैस है, जिसमें बराक-8 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल भी लगी हैं। इससे पहले, प्रोजेक्ट 17-ए का पहला फ्रिगेट INS नीलगिरि मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स ने बनाया था.

वहीं एंड्रोथ वॉरशिप तटीय जल में संचालन के लिए डिजाइन किए गए , 8 एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटरक्राफ्ट (ASW SWC) में से दूसरा है. यह एंटी-सबमरीन वारफेयर पर केंद्रित है, जो पानी के नीचे के खतरों का पता लगाने और उन्हें बेअसर करने के लिए एडवांस सोनार सिस्टम और हल्के टॉरपीडो से लैस है. यह वॉरशिप छोटे आकार का है, लेकिन यह आधुनिक हथियारों से लैस है। यह तटीय इलाकों में पानी के अंदर छिपे खतरों का पता लगाने और उसे आसानी से नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है.

बता दें कि सोनार सिस्टम दुश्मनों को गुमराह करने के लिए काम आते हैं, जिससे वॉरशिप की सही लोकेशन नहीं मालूम चलती है.

सीनियर ऑफिसर्स ने किया मॉनिटर
दोनों जहाजों के लिए CST का सफलतापूर्वक पूरा होना भारत की समुद्र में बढ़ती ताकत की ओर इशारा है. GRSE के अनुसार, भारतीय नौसेना और क्लासीफिकेशन सोसाइटी के सीनियर अधिकारियों ने, नौसेना के स्टैंडर्ड पर खरा उतरने के लिए दोनों वॉरशिप की टेस्टिंग को मॉनिटर किया. इसके अलावा, इस सीरीज में बन रहे पहली ASW SWC, INS अर्नाला ने भी अपनी टेस्टिंग पूरी कर ली है, जिसे जल्द ही नौसेना को सौंप दिया जाएगा.

बता दें GRSE के पास, भारत में शिप निर्माण का एक लंबा इतिहास रहा है, जिसने भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल दोनों को 110 युद्धपोतों सहित 790 से अधिक प्लेटफॉर्म दिए हैं. यह कंपनी 1961 में, देश की आजादी के बाद भारतीय नौसेना के लिए युद्धपोत बनाने वाली पहली कंपनी थी. जो भारतीय नौसेना के समुद्र में बढ़ती ताकत के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखती है.

ऐसे में साइलेंट किलर कही जाने वाली ये दोनों वॉरशिप, भारतीय नौसेना की ताकत को कई गुना बढ़ाने में मददगार साबित होंगी.

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