नई दिल्ली: गालवान में भारतीय सेना के हाथों बुरी तरह से पिटा चीन अब साइबर हैकर्स की मदद से भारत की रक्षा, टेलीकाम और एयरोस्पेस से जुड़ी संवेदनशील जानकारियों को चोरी करने में लगा हुआ है. साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि चीनी सेना की खुफिया यूनिट जो भारत से लगी सीमा पर नजर रखती है.


अमेरिकी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा


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भारत अब चीन के साइबर हैकर्स के निशाने पर है. चीनी सेना की खुफिया यूनिट के निशाने पर देश के संवेदनशील एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी, डिफेंस काट्रेक्ट और टेलीकॉम सेक्टर हैं.


अमेरिका की साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी Recorded Future ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि चीनी सेना PLA की मिलट्री इंटेलिजेंस यूनिट 69010 भारत की जासूसी के लिए साइबर हैकर्स की मदद ले रही है और पिछले कुछ महीनों भारत के एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी, डिफेंस काट्रेक्ट और टेलीकॉम सेक्टर पर चीनी हैकर्स ने टारगेट किया है.


साइबर हैकर्स की टीम का नाम जानिए


Recorded Future ने रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत समेत दुनिया के देशों के खिलाफ साइबर हैकर्स की टीम जिन्हें Red Foxtrot नाम दिया गया है, वो पिछले साल से ही सक्रिय हैं. चीनी मिलट्री इंटेलिजेंस यूनिट 69010 का हेडक्वार्टर जिनजियांग में हैं. जिसे साल 2015 में बनाया गया था जो कि PLA Strategic Support Force (PLA -SSF)  के तहत काम करती है.


सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े जानकारों के मुताबिक चीनी हैकर्स की गतिविधियों में पिछले कुछ सालों में बड़ा इजाफा हुआ है और देश के रक्षा प्रतिष्ठान समेत क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर चीनी साइबर अटैक का खतरा बढ़ा है. चीनी साइबर हैकर्स DRDO समेत भारत के स्पेस और न्यूक्लियर प्रोग्राम में सेंध लगाने के लिए साइबर हमले का सहारा ले रहे हैं.


सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक चीन के साइबर हैकर्स जिस तरह से भारत के डिफेंस और टेलीकॉम सेक्टर को निशाना बनाने में लगे हुए हैं उससे साफ पता चलता है कि चीन भारत की बढ़ती शक्ति से परेशान है. चीन ये पता लगाने में लगा हुआ है कि भारत की रक्षा तैयारियां क्या-क्या है साथ ही एयरोस्पेस से लेकर न्यूक्लियर के क्षेत्र में भारत के पास किस तरह की टेक्नोलॉजी है.


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चीन सीमा विवाद के दौरान भारत के पावर ग्रिड से लेकर टेलीकॉम सेक्टर को भी निशाना बना सकता है. ऐसे में हमें चीन से सावधान रहने की जरूरत है. क्योंकि इतिहास गवाह है पीठ पर छुरा घोंपने में चीन का कोई जवाब नहीं है.


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