मुसलमानों का 'राष्ट्रवादी' होना गुनाह? यहां पढ़ें: पूरा इतिहास

नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान छीन के लेंगे आजादी वाले नारे हर किसी ने सुना. लेकिन इस तरह के प्रदर्शन की साजिश रचने वाले 'असहिष्णुता गैंग' को दूसरों की 'अभिव्यक्ति' की आजादी पसंद नहीं है. मोदी सरकार के खिलाफ देश का 'असहिष्णुता गैंग' काफी समय से सक्रिय है. पूरा हिसाब-किताब यहां पढ़ें,

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Dec 30, 2019, 01:59 AM IST
    1. मोदी सरकार के खिलाफ 'असहिष्णुता गैंग' सक्रिय
    2. अब राज्यपाल की 'अभिव्यक्ति' की आजादी छीनेंगे?
    3. CAA के समर्थन में बोलने पर हंगामा है क्यों बरपा?
    4. आरिफ मोहम्मद खान का विरोध कर रहा है 'टुकड़े गैंग'

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मुसलमानों का 'राष्ट्रवादी' होना गुनाह? यहां पढ़ें: पूरा इतिहास

नई दिल्ली: कन्नूर यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के साथ बदसलूकी हुई. आरिफ मोहम्मद नागरिकता कानून के समर्थन में बोल रहे थे तभी इतिहासकार इरफान हबीब जबरन मंच पर चढ़ गए और उन्होंने राज्यपाल के भाषण को रोकने की कोशिश की.

अब राज्यपाल की 'अभिव्यक्ति' की आजादी छीनेंगे?

इरफान हबीब ने मौलाना अब्दुल कलाम आजाद को कोट करने पर आपत्ति जताई. राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने हबीब पर अपने एडीसी और सिक्यॉरिटी ऑफिसर को धक्का देने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मुद्दा उठाने वाले उसका जवाब नहीं सुनना चाहते हैं. असहिष्णुता गैंग किसी को बोलने नहीं देना चाहता है.

सवाल ये है कि नागरिकता कानून के समर्थन में बोलने पर आरिफ मोहम्मद खान का विरोध क्यों हो रहा है. ये समझने के लिए आपको उनके बारे में जानना होगा

राष्ट्रवादी मुसलमान से 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' परेशान!

राजीव गांधी सरकार में मंत्री रह चुके हैं आरिफ मोहम्मद खान ने शाहबानो केस में राजीव गांधी सरकार के फैसले का विरोध किया था. उन्होंने राजीव गांधी सरकार के विरोध में मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. आरिफ मोहम्मद ने ट्रिपल तलाक का हर मंच पर खुलकर विरोध किया. वो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में बदलाव की वकालत करते हैं.

नागरिकता का सच 'असहिष्णुता गैंग' को कबूल नहीं?

जाहिर है ट्रिपल तलाक से लेकर नागरिकता कानून पर अफवाह वाली राजनीति कर मुसलमान को भटकाने का काम करने वालों को आरिफ मोहम्मद खान के बोल पसंद नहीं आएंगे.

राष्ट्रवादी मुसलमान से 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' परेशान क्यों?

अगर सरकार नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे तो 'असहिष्णुता गैंग' कहता है कि अभिव्यक्ति की आजादी छीनी जा रही है. लेकिन अगर किसी को अपनी बात कहने से रोका जाए तो वो इसे लोकतंत्र के नाम पर जायज ठहराते हैं.

क्या कहता है इतिहास?

गरिकता कानून पर पीएम मोदी के मुसलमानों को भटकाने वाले भ्रमजाल के तोड़े जाने के बाद क्या 'टुकड़े गैंग' बौखला गया है. ये पहली बार नहीं जब देश के 'असहिष्णुता गैंग' ने दूसरों की अभिव्यक्ति की आजादी छीनने को कोशिश की है. मोदी सरकार के खिलाफ देश का असहिष्णुता गैंग' काफी समय से सक्रिय है.

जुलाई 2019

  • 49 मशहूर हस्तियों की पीएम मोदी को चिट्ठी. लिंचिंग और जय श्रीराम नारे के दुरुपयोग पर चिंता जताई.

अप्रैल 2019

  • आम चुनाव से पहले 650 से ज्यादा थिएटर कलाकारों ने भाजपा को वोट नहीं देने की अपील की

जुलाई 2017

  • 114 पूर्व सैनिकों ने लिंचिंग जैसी घटनाओं के खिलाफ ओपन लेटर लिखा

जून 2017

  • 65 पूर्व अफसरों ने सरकार को ओपन लेटर लिखा. बढ़ती असहिष्णुता की बात कही.

अक्टूबर 2015

  • पीएम मोदी के विरोध में 41 लेखकों ने अवॉर्ड वापस किए. मोदी के पीएम बनने के बाद असहिष्णुता बढ़ने की बात कही.

अप्रैल 2014

  • फिल्मकारों ने 12 भाषाओं में अपील जारी की. भाजपा और सहयोगी दलों को वोट न देने को कहा.

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