Kerala fighting with drug addiction: केरल में युवाओं के खिलाफ नशीले पदार्थों के बढ़ते उपयोग के साथ नशीली दवाओं के खिलाफ एक जबरदस्त युद्ध चल रहा है. राज्य में पिछले तीन सालों में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के मामलों में अचानक वृद्धि हुई है. केरल उच्च न्यायालय ने 'ड्रग माफिया' को लेकर चेतावनी दी है.
नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ स्कूलों और कॉलेजों में 'लव-ए-थॉन' (Love-a-Thon) जैसे कई अभियान चलाए जा रहे हैं, जिसमें मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने पुलिस से नशीली ड्रग्स के व्यापार पर कड़ी कार्रवाई करने को कहा है.
पिछले महीने केरल विधानसभा को भी इस मुद्दे पर सस्पेंड कर दिया गया था. दरअसल विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों ने युवाओं पर नए जमाने की नशीली दवाओं के बढ़ते प्रभाव तो रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाने पर जोर दिया था.
केरल में ड्रग्स किस हद तक बढ़ा?
केरल, भारत का सबसे पढ़ा लिखा कहा जाने वाला राज्य है. राज्य में ड्रग्स का संकट बढ़ रहा है, जो देश के नशीली दवाओं के केंद्र पंजाब से भी आगे निकल गया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, 2024 में केरल में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम के तहत 27,701 मामले दर्ज किए गए, जो पंजाब के 9,025 मामलों से तीन गुना अधिक है.
राज्य में ड्रग के मामले 2021 में 5,695 से बढ़कर 2022 में 26,619 हो गए हैं और 2023 में 30,000 को पार कर गए हैं.
राज्य सरकार के अनुसार, पिछले चार वर्षों में राज्य में ड्रग से संबंधित 87,101 मामले दर्ज किए गए हैं, जो पिछले चार साल की अवधि के 37,228 मामलों की तुलना में 130% अधिक है.
केरल में ड्रग्स कैसे आ रहे हैं?
केरल में ड्रग तस्करी के रास्ते जमीन और समुद्र दोनों तरफ फैले हुए हैं, जिसमें बेंगलुरु एक मुख्य जगह के रूप में उभरा है.
2019 में, कोच्चि में सिंथेटिक ड्रग जो जब्त किया गया था वह 2.49 किलोग्राम था. लेकिन 2023 में जब खेप पकड़ी गई तो ये बढ़कर 2,525 किलोग्राम मेथम्फेटामाइन मिला. वहीं, एर्नाकुलम, केरल में ड्रग्स का गढ़ बन गया है. वहां से जनवरी 2023 से जून 2024 तक 8,567 ड्रग्स से जुड़े मामले दर्ज किए गए. यह पंजाब के 2024 के कुल 9,025 मामलों से लगभग बराबर है.
हमेशा के तरीकों से अगल, जहां बड़ी संख्या में नशीले पदार्थों की तस्करी की जाती थी, अब इन दिनों एक बार में सारा माल किसी जगह नहीं पहुंचा दिया जाता है. यह अब सीधा बड़े आपूर्तिकर्ताओं के बजाय स्थानीय अनौपचारिक संपर्कों के नेटवर्क के माध्यम से सेल किया जाता है.
सरकार क्या कर रही?
बड़े पैमाने पर चलाए जा रहे नशा विरोधी अभियान से पुलिस और साइबर विंग को मदद मिलनी शुरू हो गई है. अब पुलिस के पास फोन आ रहे हैं, जो कि ड्रग्स से जुड़ी शिकायतें देती हैं. बताया गया कि अकेले मार्च में पुलिस को 1793 कॉल किए गए हैं.
पुलिस को शिकायत मिलने पर कई जगह ड्रग्स जब्त किए गए हैं और गिरफ्तारियां भी की गई हैं. नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ बढ़ते जन आक्रोश ने अभूतपूर्व कार्रवाई को बढ़ावा दिया है, इस महीने पुलिस को तस्करों और उपयोगकर्ताओं के बारे में रिकॉर्ड संख्या में सूचनाएं मिली हैं.
जनवरी और फरवरी 2025 में, ANCR (एंटी नारकोटिक कंट्रोल रूम) को क्रमशः केवल 17 और 13 विशिष्ट सूचनाएं मिलीं. हालांकि, अकेले मार्च में 636 सूचनाएं मिलीं.
पुलिस और साइबर विंग विभागों के सूत्रों ने पुष्टि की है कि हाल ही में हुई छापेमारी में जनता से मिली जानकारी अहम रही है. विशेष अभियान 'डी-हंट' के तहत अधिकारियों ने 72,980 छापे मारे, 7,265 मामले दर्ज किए और 7,539 लोगों को गिरफ्तार किया.
अन्य राज्यों से सहयोग मांगा
केरल पुलिस ने दक्षिणी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सात अन्य पुलिस इकाइयों के साथ मिलकर एक समन्वय केंद्र बनाने का फैसला किया है, ताकि ड्रग्स और भगोड़ों के बारे में जानकारी साझा की जा सके, जिसका उद्देश्य अंतर-राज्यीय कनेक्शन वाले ड्रग और आपराधिक रैकेट पर नकेल कसना है.
राज्य पुलिस ने ड्रग रैकेट पर इनपुट साझा करने और उनके खिलाफ मिलकर कार्रवाई करने के लिए गोवा पुलिस के साथ भी इसी तरह की सहमति बनाई है. पुलिस को लंबे समय से संदेह है कि कर्नाटक और गोवा से राज्य में सिंथेटिक ड्रग्स लाए जा रहे हैं.
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.