J-35 WS-21 engine issue: वर्तमान में किसी भी देश की हवाई ताकत, उसके लड़ाकू विमान पर निर्भर करती है. ऐसे में, भारत भी अपनी ताकत में इजाफा करने के लिए 5वीं पीढ़ी का AMCA लड़ाकू विमान बना रहा है. हालांकि, चीन ने पहले ही फिफ्थ-जेनरेशन का लड़ाकू विमान J-35 बना चुका है. जिसे पाकिस्तान भी खरीदने वाला है. हालांकि, रक्षा विश्लेषकों ने बताया है कि चीन-निर्मित इस विमान में लगे WS-21 जेट इंजन में कुछ खामियां है. जिससे इंडियन एयरफोर्स को भारी बढ़त मिल सकती है. दरअसल, यह विमान समुद्र-स्तर (sea-level) के संचालन के लिए बेस्ट है, लेकिन भारतीय वायु सेना (IAF) के भूभाग के मुकाबले इसकी मारक क्षमता कम हो सकती है.
ऊंचाई पर घटेगी J-35A की ताकत
पाकिस्तान वायु सेना (PAF) के लिए सबसे बड़ी चुनौती उच्च ऊंचाई वाले हवाई अड्डों पर संचालन करना होगा, जैसे कि स्कर्दू (7,500 फीट). दरअसल, कम हवा के घनत्व (air density) के कारण, इसके इंजन की दक्षता कम हो जाती है, जिससे थ्रस्ट 20 से 30 प्रतिशत तक घट जाता है.
इस कमी के चलते, J-35A को भारी पेलोड और ईंधन ले जाने में भारी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, विश्लेषकों का कहना है कि उच्च ऊंचाई पर यह 28 टन का विमान अपने नाममात्र पेलोड का आधा ही ले जा पाएगा. इससे IAF के Su-30MKI जैसे विमानों को लाभ होगा जो लद्दाख जैसे क्षेत्रों में युद्ध के लिए ज्यादा अनुकूलित हैं.
धूल और उमस की चुनौती
मैदानी इलाकों में भी J-35A को गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी पंजाब का परिचालन केंद्र, जहां पाकिस्तान एयरफोर्स के Sargodha और Rafiqui जैसे बेस हैं, लगातार धूल भरे तूफानों और मानसूनी उमस की चपेट में रहते हैं.
ऐसे में, धूल के कारण इंजन का घिसाव बढ़ जाता है और कंप्रेसर स्टाल का खतरा पैदा होता है. वहीं, WS-21 जैसे चीनी इंजनों में पश्चिमी इंजनों (जैसे F135) की तरह एडवांस कण-पृथक्करण तकनीक (particle-separating technology) की कमी होती है. इससे इंजन के जीवनकाल पर बुरा असर पड़ सकता है.
इतना ही नहीं, उमस से स्टील्थ कोटिंग पर जंग लग सकती है. ये सभी वास्तविक दुनिया की चुनौतियां J-35A की ताकत होने के दावे पर सवाल खड़े करती हैं.
Su-30 लड़ाकू विमान चटा देगा धूल?
इंडियन एयरफोर्स के पास पहले से करीब 272 Su-30 लड़ाकू विमान हैं. यह चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान भले ही हैं. लेकिन, घातक ब्रह्मोस व अस्त्र मिसाइलों से लैस हैं. इनकी सबसे बड़ी खासियत पाकिस्तान-चीन सीमा के ऊंचाई इलाकों में घातक वार करने की क्षमता है. जहां यह कई हजार मीटर की ऊंचाई पर भी अपनी ताकत नहीं खोता है.
ऐसे में, भले ही पाकिस्तान 5वीं पीढ़ी के चीनी J-35 को अपने खेमे में शामिल कर ले, जो फिलहाल अगले कुछ सालों तक संभव नहीं है. फिर भी भारत के लिए कोई बड़ी चिंता की बात नहीं होगी. जब तक पाकिस्तान को ये विमान हासिल होगा, तब तक भारत भी AMCA बनाने के बेहद करीब पहुंच चुका होगा.
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