नई दिल्लीः अब यब जरूरी नहीं होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट का निश्चित पदेन सदस्य हो. मंगलवार को जलियांवाला बाग नैशनल मेमोरियल संशोधन बिल को राज्यसभा से मंजूरी मिलने के बाद यह तय हो गया. अभी तक कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष इस ट्रस्ट का पदेन सदस्य रहा है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब नए एक्ट और मंजूर बिल के मुताबिक लोकसभा में नेता विपक्ष इस ट्रस्ट में शामिल होंगे.
क्या है जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल एक्ट
जलियांवाला बाग नैशनल मेमोरियल ऐक्ट, 1951 के तहत ट्रस्ट को मेमोरियल के निर्माण और प्रबंधन का अधिकार है. इसके अलावा इस ऐक्ट में ट्रस्टियों के चयन और उनके कार्यकाल के बारे में भी बताया गया है. राज्यसभा में मंगलवार को जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने जलियांवाला बाग से कांग्रेस के भावनात्मक लगाव को इतिहास का सच बताया. उन्होंने कहा कि 13 अप्रैल 1919 को हुए इस भीषण हत्याकांड के बाद कांग्रेस की पहल पर जलियांवाला बाग ट्रस्ट का गठन किया गया था. उन्होंने कहा कि इस हत्याकांड के खिलाफ देश भर में जो गुस्से की लहर दौड़ी. उसके बाद ही आजादी की संग्राम शुरू हुआ. जलियांवाला बाग की कड़वी यादों को संजोने के लिए बने ट्रस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया.
अब कांग्रेस अध्यक्ष नहीं होगा जलियांवाला बाग मेमोरियल ट्रस्ट का सदस्य@INCIndiahttps://t.co/RLGvo5YTsZ
— Zee News Hindi (@ZeeNewsHindi) November 19, 2019
बिना खड्ग-बिना ढाल नहीं पाई आजादीः सुधांशु त्रिवेदी
राज्यसभा में इस मसले पर भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जलियांवाला बाग में हजारों लोगों ने बलिदान दिया था. उन्होंने कहा, भविष्य में यह नहीं कहा जाना चाहिए कि हमने आजादी बिना रक्त बहाए पाई है. उन्होंने कहा कि हम कभी यह नहीं कहेंगे कि आजादी हमें बिना खड्ग और ढाल के मिल गई. आजादी का संघर्ष ही तब शुरू हुआ, जब हजारों लोगों ने गोलियां झेलीं और अपना खून बहाया. इस मौके पर कांग्रेस ने अध्यक्ष को सदस्य पद न हटाने की मांग की.
Sudhanshu Trivedi, BJP, in Rajya Sabha, on Jallianwala Bagh National Memorial (Amendment) Bill: We'll never have to say that we gained freedom without 'khadag, dhaal', the freedom struggle began when thousands of people faced bullets and shed their blood. https://t.co/IiYHnwe2yz
— ANI (@ANI) November 19, 2019
इसलिए अभी तक शामिल रहे हैं गांधी परिवार के सदस्य
कांग्रेस अध्यक्ष को पदेन सदस्यता से हटाने के चलते अब गांधी परिवार का कोई सदस्य इसका हिस्सा नहीं रहेगा. इससे पहले सोनिया गांधी, राहुल गांधी इसके पदेन सदस्य रहते आए हैं. इस तरह अब सोनिया के ही कांग्रेस अध्यक्ष बनने के चलते लंबे समय से गांधी परिवार का कोई न कोई सदस्य इस ट्रस्ट में शामिल रहता था.
नए एक्ट संशोधन के मुताबिक नेता विपक्ष के तौर पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी सदस्य होंगे. सरकार ने मॉनसून सत्र के दौरान इस बिल को लोकसभा में पेश किया था, जिसे ध्वनिमत से पारित करा लिया गया था. सदन में विपक्ष का नेता न होने की स्थिति में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को यह जगह दी जाएगी.
प्रधानमंत्री होंगे ट्रस्ट के मुखिया
बिल में जो नए प्रावधान किए गए हैं उनके तहत केंद्र सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह ट्रस्ट के किसी मेंबर को उसका कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटा सकती है. इससे पहले 2006 में यूपीए सरकार ने ट्रस्ट के सदस्यों को 5 साल का तय कार्यकाल देने का प्रावधान किया था.
अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस ट्रस्ट के मुखिया हैं. उनके अलावा अभी इस ट्रस्ट में कांग्रेस प्रेजिडेंट राहुल गांधी, कल्चर मिनिस्टर और लोकसभा में नेता विपक्ष शामिल हैं. इसके अलावा पंजाब के सीएम भी ट्रस्टी हैं.
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