Jayant Narlikar dies: साइंस को दी अलग पहचान, भारत में वैज्ञानिक संस्थानों में निभाई बड़ी भूमिका...जानें- जयंत नार्लीकर के बारे में 5 बातें

Jayant Narlikar dies:  डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर ने अंतर-विश्वविद्यालय खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी केंद्र (IUCAA) की स्थापना की और इसके संस्थापक निदेशक थे.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : May 20, 2025, 01:37 PM IST
Jayant Narlikar dies: साइंस को दी अलग पहचान, भारत में वैज्ञानिक संस्थानों में निभाई बड़ी भूमिका...जानें- जयंत नार्लीकर के बारे में 5 बातें

Jayant Narlikar dies: प्रख्यात एस्ट्रो साइंटिस्ट (astrophysicist) और विज्ञान को लोकप्रिय बनाने वाले डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर (Dr Jayant Vishnu Narlikar) का मंगलवार को पुणे में निधन हो गया. वह 87 वर्ष के थे. उनके परिवार के अनुसार, नार्लीकर सोते ही रह गए, उनका निधन हो गया.

जयंत नार्लीकर को पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने भारत में कई वैज्ञानिक संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वे ब्रह्मांड विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी थे और उन्हें विज्ञान को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है. उनके परिवार में उनकी तीन बेटियां हैं.

जयंत विष्णु नार्लीकर के बारे में 5 बड़ी बातें

1. जयंत विष्णु नार्लीकर का जन्म 19 जुलाई, 1938 को हुआ था और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में प्रवेश लिया. उनके पिता विष्णु वासुदेव नार्लीकर उस समय विश्वविद्यालय में गणित विभाग के प्रमुख थे. इसके बाद, नार्लीकर ने उच्च शिक्षा के लिए प्रतिष्ठित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया, जहां उन्होंने बेहतरीन रिजल्ट दिया.

2. भारत लौटने पर नार्लीकर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में शामिल हो गए और सैद्धांतिक खगोल भौतिकी (Theoretical Astrophysics) समूह के विस्तार की देखरेख की, जहां इससे उन्हें वैश्विक मान्यता मिली.

3. नारलीकर ने खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी के लिए अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र (IUCAA) की स्थापना की और इसके संस्थापक निदेशक थे. उन्हें 1988 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा संस्थान की स्थापना के लिए आमंत्रित किया गया था. नार्लीकर ने IUCAA में एमेरिटस प्रोफेसर के रूप में कार्य किया, जिनके निर्देशन में, संस्थान को खगोल विज्ञान, भौतिकी और खगोल भौतिकी में अनुसंधान के क्षेत्र में दुनिया भर में मान्यता मिली.

4. अपने शैक्षणिक जीवन के अलावा नार्लीकर ने विज्ञान पर फिक्शन स्टोरिज भी लिखी हैं और वे एक विज्ञान संचारक के रूप में जाने जाते थे. वे कई टेलीविजन या रेडियो कार्यक्रमों में भी दिखाई दिए थे और विज्ञान के बारे में बात करते हुए कई लेख लिखे थे.

5. नारलीकर के नाम कई पुरस्कार और सम्मान थे. 1996 में यूनेस्को ने उन्हें लोकप्रिय विज्ञान कार्यों के लिए Kalinga  पुरस्कार से सम्मानित किया. इससे पहले उन्हें 1965 में 26 साल की उम्र में पद्मभूषण और 2004 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया जा चुका था. उनके गृह राज्य महाराष्ट्र की सरकार ने भी उन्हें 2011 में राज्य के सर्वोच्च नागरिक सम्मान महाराष्ट्र भूषण से सम्मानित किया था.

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