गलत नहीं बोल रहे हैं सिब्बल, 'राज्य नहीं कर सकते CAA से इनकार'! पढ़ें: 5 ठोस वजह

नागरिकता कानून पर देश भर में प्रदर्शन चल रहा है. कांग्रेस शासित कई राज्यों ने नए कानून को लागू करने से इनकार कर दिया है. लेकिन इस बीच कांग्रेस के ही नेता कपिल सिब्बल ने राज्यों को ये कह कर आईना दिखाने की कोशिश की है कि उनका फैसला असंवैधानिक है. आपको समझाते हैं कि आखिरकार सिब्बल की ये बात क्यों सही है.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Jan 19, 2020, 12:34 PM IST
    1. CAA विरोधी राज्यों को सिब्बल ने दिखाया 'आईना'
    2. कहा- 'राज्य नहीं कर सकते CAA से इनकार'
    3. नागरिकता संशोधन कानून पर कांग्रेस में दो फाड़?
    4. सिब्बल के बयान से पी. चिदंबरम को लग गई मिर्ची
गलत नहीं बोल रहे हैं सिब्बल, 'राज्य नहीं कर सकते CAA से इनकार'! पढ़ें: 5 ठोस वजह

नई दिल्ली: 22 दिसंबर 2019 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 'ये लोग सिर्फ और सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर सकते हैं अपने इसी वोट बैंक के लिए ये राजनीतिक दल लगातार लोगों को भड़का रहे हैं.' नागरिकता कानून के विरोध में विपक्ष की राजनीति पर दिल्ली के रामलीला मैदान से प्रधानमंत्री मोदी ने जो बातें कहीं थीं. उस पर अब खुद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल ने मुहर लगा दी है.

CAA विरोधी राज्यों को सिब्बल ने दिखाया 'आईना'

कपिल सिब्बल ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने से कोई राज्य इनकार नहीं कर सकता. कोझिकोड में केरल लिट्रेचर फेस्टिवल के दौरान उन्होंने कहा कि संसद में पास होने के बाद राज्य अगर कानून लागू करने से इनकार करते हैं, तो यह असंवैधानिक होगा.

कपिल सिब्बल ने ये बातें उस राज्य केरल में ही कहीं जिसने सबसे पहले इस कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास किया है. इतना ही नहीं कपिल सिब्बल ने ये भी कहा कि संवैधानिक रूप से ये कहना कि नागरिकता कानून को लागू नहीं करूंगा, अधिक समस्याएं पैदा कर सकता है.

साफ है कि कपिल सिब्बल का ये संदेश उन राज्यों के लिए था जिन्होंने नागरिकता कानून को लागू करने से मना कर दिया है. सिब्बल ने कहा कि जब कोई राज्य ऐसा कहता है कि वो CAA को लागू नहीं करेंगे तो उनका क्या मंतव्य होता है और वो ऐसा कैसे करेंगे. उन्होंने कहा कि राज्यों का कहना है कि वो राज्य के अधिकारियों को भारत संघ के साथ सहयोग नहीं करने देंगे. सिब्बल की ये बात आखिर क्यों सही है इसके पीछे की 5 ठोस वजह समझाते हैं.

राज्य क्यों नहीं कर सकते CAA से इनकार ?

वजह नंबर 1-

नागरिकता का मुद्दा 7वीं अनुसूची में केंद्रीय विषय के तहत आता है

वजह नंबर 2-

नागरिकता, इमीग्रेशन, वीजा पर कानून बनाना केंद्र का अधिकार है

वजह नंबर 3-

घुसपैठियों को बाहर निकालने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है

वजह नंबर 4-

CAA के साथ NRC भी लागू होता है तो राज्य उसे ठुकरा नहीं सकते

वजह नंबर 5-

अनुच्छेद 73 में केंद्र को राज्य पर अपने आदेश लागू कराने का अधिकार

सिबब्ल ने कहा कि व्यावहारिक तौर पर ऐसा कैसे संभव है, ये उन्हें नहीं पता लेकिन संवैधानिक रूप से किसी राज्य सरकार की ओर से ये कहना बहुत कठिन है कि वो संसद से पारित कानून को लागू नहीं करेगी. कपिल सिब्बल ने नागरिकता कानून के विरोध में देशभर में जारी आंदोलन को नेता और आम लोगों के बीच की लड़ाई करार दिया.

कांग्रेस में दो फाड़?

सिब्बल का बयान इसलिए भी काफी अहम है क्योंकि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर विपक्ष को एकजुट करके सरकार पर दबाव बनाने में जुटी है. अपने ही नेता के बयान पर कांग्रेस बैकफुट पर आ गयी है. क्योंकि इस कानून को अपने राज्य में लागू नहीं करने का ऐलान करने वाले ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस की ही सरकार है. ऐसे में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कुछ इस तरह सिब्बल के बयान का बचाव किया. खुर्शीद ने कहा है कि सिब्बल ने जो भी कहा होगा वो इस संदर्भ में कहा होगा कि आज की स्थिति क्या है हमारी अपेक्षा क्या है? हमारी उम्मीद क्या है? हम आशा क्या करते हैं?

चिदंबरम को लग गई मिर्ची!

वहीं पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि नागरिकता कानून की वैधता पर अब सुप्रीम कोर्ट फैसला लेगा. उन्होंने कहा हम सभी पार्टियों से सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ आने की अपील करते हैं. चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार ने असम में एनआरसी विफल होने के बाद इस पर गियर बदल लिया है. अब सरकार एनआरसी की जगह पर एनपीआर लाने की बात कह रही है. एनपीआर कुछ नहीं बल्कि इसकी शक्ल में एनआरसी को लाने की कोशिश है. चिदंबरम ने तो यहां तक कहा कि राज्यों की ओर से नागरिकता कानून के विरोध में कोई संवैधानिक बाधा नहीं है. उन्होंने कहा कि कहा कि कांग्रेस कार्य समित की ओर से सीएए, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के साथ ही उनकी पार्टी के शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्री इस बारे में कदम उठाएंगे.

एक तरफ कपिल सिब्बल संविधान के हवाले से कह रहे हैं कि राज्य नागरिकता कानून को लागू करने के लिए बाध्य हैं. तो चिदंबरम इस बारे में राज्यों के कदम को उचित ठहरा रहे हैं. सवाल ये कि क्या क्या राज्यों को नागरिकता संशोधन कानून खारिज करने का अधिकार है? विरोध करने वालों के पास क्या विकल्प हैं? कांग्रेस से ऐसे ही कुछ सवाल हैं.

कांग्रेस से 5 बड़े सवाल

  • CAA विरोधी राज्यों को सिब्बल ने दिखाया 'आईना'?
  • नागरिकता कानून पर कांग्रेस में FULL कन्फ्यूजन?
  • संविधान बचाने के नाम पर मोदी विरोध वाली राजनीति?
  • नागरिकता कानून से बंटवारे के 'पाप' का प्रायश्चित?
  • नागरिकता पर विपक्ष की दलित विरोधी वाली राजनीति?

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ऐसे में कपिल सिब्बल की बात पूरी तरह सही है. और नागरिकता कानून पर विपक्ष की भ्रम और अफवाह वाली राजनीति पर करारी चोट भी. लेकिन इन सबके बीच ये भी सबसे बड़ा सवाल है कि क्या CAA को लेकर कांग्रेस में दो फाड़ हो गया है.

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