Karnataka में बड़ा उलटफेर: सीएम बीएस येदियुरप्पा ने किया इस्तीफे का ऐलान

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला कर लिया है.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 26, 2021, 12:24 PM IST
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Karnataka में बड़ा उलटफेर: सीएम बीएस येदियुरप्पा ने किया इस्तीफे का ऐलान

नई दिल्लीः कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला कर लिया है. उन्होंने कहा कि लंच के बाद मैं राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा दूंगा. बता दें येदियुरप्पा पिछले दो साल से कर्नाटक के सीएम थे. इस्तीफे पर नाराजगी की बातों को खारिज करते हुए येदियुरप्पा ने कहा कि मैं इस फैसले से निराश नहीं हूं बल्कि खुश हूं. अग्निपरीक्षा से गुजरता रहा हूं.

ढाई दिन भी रहे हैं सीएम

येदियुरप्पा ने 31 जुलाई 2011 को भाजपा से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने 30 नवंबर 2012 को कर्नाटक जनता पक्ष नाम से अपनी पार्टी बनाई थी. दरअसल, येदियुरप्पा के इस कदम के पीछे लोकायुक्त द्वारा अवैध खनन मामले की जांच थी. इसी जांच में येदियुरप्पा का नाम सामने आया था. इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा था. 2014 में येदियुरप्पा फिर भाजपा में शामिल हो गए.

इसके बाद 2018 में कर्नाटक में सियासी नाटक के दौरान पहले ढाई दिन के लिए मुख्यमंत्री बने और इमोशनल स्पीच के बाद सत्ता छोड़ दी. फिर दोबारा 2019 में बहुमत साबित कर मुख्यमंत्री बनने की प्रक्रिया ने भी आलाकमान के सामने येदियुरप्पा का कद बढ़ा दिया था.

लिंगायत संतों का प्रदर्शन जारी
 कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा अपने समुदाय के संतों और समर्थकों से भाजपा के केंद्रीय नेताओं के फैसले का विरोध नहीं करने की अपील करते रहे, गुरुवार को सौ से अधिक वीरशैव-लिंगायत संतों ने अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए उनके आवास पर एक लाइन बनाई.

पिछले तीन दिनों से वीरशिव-लिंगायत सहित विभिन्न समुदायों के साधु उनसे मिल कर एकजुटता व्यक्त कर रहे हैं. संतों के एक वर्ग ने यहां तक कि धमकी दी है कि अगर केंद्रीय नेताओं ने येदियुरप्पा की जगह दूसरे को लाने का फैसला किया, तो राज्य में आगामी चुनावों के दौरान भाजपा को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.

पिछले कुछ दिनों में पहली बार, येदियुरप्पा ने खुले तौर पर संकेत दिया था कि वह 26 जुलाई को कार्यालय में दो साल पूरे करने के बाद इस्तीफा दे देंगे. मैसूर क्षेत्र के 100 से अधिक वीरशैव-लिंगायत संतों ने गुरुवार को कुमार कृपा गेस्ट हाउस से एक प्रतीकात्मक मौन मार्च निकालते हुए मुख्यमंत्री को अपना बिना शर्त समर्थन व्यक्त किया, जो येदियुरप्पा के आधिकारिक निवास कावेरी से सिर्फ 250 मीटर की दूरी पर है.

 

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