नयी दिल्ली: उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) निजी क्षेत्र की कंपनियों को खारी जमीन (साल्ट लैंड) की नीलामी के लिए नीति पर काम कर रहा है. सूत्रों ने बताया कि विभाग निजी कंपनियों को खारी जमीन की नीलामी के लिए नीति के मसौदे को अंतिम रूप दे रहा है. इस तरह की जमीन के लिए ड्रोन सर्वे भी किया जा रहा है. 


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क्या होती है साल्ट लैंड
नमक स्रोत वाले नदी, तालाब आदि सूखने से प्राप्त जमीन को साल्ट लैंड कहा जाता है. डीपीआईआईटी को विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, राज्य सरकारों, केंद्रीय और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से मुंबई और उसके उपनगरों के अलावा अन्य स्थानों पर नमक आयुक्त के कार्यालय के जरिये भारत सरकार के स्वामित्व वाली जमीन के हस्तांतरण के लिए अनुरोध मिले हैं. नमक आयुक्त कार्यालय का मुख्यालय जयपुर में है. यह डीपीआईआईटी के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत आता है. 


60,000 एकड़ खारी जमीन
पिछले साल मई में डीपीआईआईटी ने पांच साल की अवधि के लिए नमक आयुक्त संगठन (एससीओ) में मूल्यांककों के पैनल के लिए आवेदन मंगाए थे. विभिन्न राज्यों में लगभग 60,000 एकड़ खारी जमीन उपलब्ध है. डीपीआईआईटी ने मूल्यांककों के लिए आवेदन आमंत्रित करते हुए एक दस्तावेज में कहा था कि एससीओ की जरूरत से अधिशेष जमीन का सामान्य वित्तीय नियमों के तहत सार्वजनिक उद्देश्य के लिए हस्तांतरण पर विचार किया जाएगा. मूल्यांककों को तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा के साथ-साथ राजस्थान के तटीय क्षेत्रों में स्थित खारी जमीन के मूल्यांकन के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी होगी. 

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