Gujrat: जानिए कौन हैं विजय रुपाणी जिन्होंने छोड़ा सीएम पद, इन वजहों से देना पड़ा इस्तीफा!

Gujrat cm vijay rupani resign:जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस वक्त रुपाणी ने गुजरात वित्त बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. उन्होंने भाजपा की गुजरात भाजपा के महासचिव के रूप में भी काम किया.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 11, 2021, 04:14 PM IST
  • जानिए विजय रुपाणी का सियासी सफर
  • गुजरात में बड़ा सियासी उलटफेर
Gujrat: जानिए कौन हैं विजय रुपाणी जिन्होंने छोड़ा सीएम पद, इन वजहों से देना पड़ा इस्तीफा!

Gujrat cm vijay rupani resign: नई दिल्लीः गुजरात में अगले साल दिसंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. लेकिन बीजेपी के इस मजबूत गढ़ में चुनाव से पहले बड़ा उलटफेर हुआ है. गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने शनिवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. 7 अगस्त 2016 को उन्हें गुजरात की कमान सौंपी गई थी. पिछला विधानसभा चुनाव रुपाणी के नेतृत्व में बीजेपी ने लड़ा था और जीत हासिल की थी. लेकिन अब चुनाव से ठीक पहले रुपाणी का इस्तीफा सियासी गलियारे में कई अटकलों को जन्म दे रहा है. आइए जानते हैं कि आखिर विजय रुपाणी कौन हैं और किन परिस्थितियों के चलते उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.

जानिए कौन हैं विजय रुपाणी
विजय रुपाणी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत अखिल भारतीय विदयार्थी परिषद (ABVP) के सदस्य के तौर पर की थी. वे भाजपा के पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के भी सदस्य रहे. वर्ष 1971 में रुपाणी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की इसकी राजनीतिक शाखा जनसंघ से भी जुड़ गए. इंदिरा सरकार में लगे इमरजेंसी के दौरान वो वर्ष 1976 में 11 महीने तक भुज और भावनगर की जेलों में भी बंद रहे. Vijay Rupani ने 1978 से 1981 तक राष्ट्रीय सेवक संघ के प्रचारक के रूप में भी काम किया है.

पार्षद से सीएम तक का सफर
वर्ष 1987 में विजय रुपाणी राजकोट नगर निगम के पार्षद चुने गए थे.
वर्ष 1988 से 1986 तक वे राजकोट नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन रहे.
वर्ष 1995 में विजय रुपाणी एक बार फिर राजकोट नगर निगम के पार्षद चुने गए.
वर्ष 1996 से 1997 तक Vijay Rupani राजकोट नगर निगम के मेयर भी रहे.

रुपाणी के सियासी सफर पर एक नजर
विजय रुपाणी ने काफी निचले स्तर से अपने सियासी सफर की शुरुआत की. एक पार्षद से सीएम तक के सफर में उन्होंने राजनीति के कई पड़ाव देखे. वो वियाधक, राज्यसभा सांसद के साथ-साथ पार्टी के कई अहम पदों पर रह चुके हैं.

मोदी जब सीएम थे तब भी थे मजबूत चेहरा
जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस वक्त रुपाणी ने गुजरात वित्त बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. उन्होंने भाजपा की गुजरात भाजपा के महासचिव के रूप में भी काम किया. आंनदीबेन पटेल की सरकार में विजय रुपाणी परिवहन, जल आपूर्ति, श्रम और रोजगार विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे.

सियासत के मंझे खिलाड़ी हैं रुपाणी
रुपाणी को गुजरात की सियासत का मंझे हुआ खिलाड़ी माना जाता हैं, जो प्रदेश की राजनीति बखूबी समझते हैं. रुपाणी को केशुभाई पटेल के जमाने में पार्टी ने मेनिफेस्‍टो कमेटी का अध्‍यक्ष बनाया था. उन्हें चुनाव में जोड़-तोड़ और गणित का मास्टर भी कहा जाता है. पीएम मोदी के नेतृत्व में लड़े गए 2007 और 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में विजय रुपाणी ने सौराष्‍ट्र-कच्‍छ इलाके में चुनाव का संचालन किया था, जहां उस वक्त पार्टी को भारी मतों से जीत हासिल हुई थी.

कानून की पढ़ाई
सियासत में विजय रुपाणी की छवि स्वच्छ मानी जाती है. उनका जन्म 2 अगस्त 1956 को बर्मा के रंगून में जन्म हुआ. उन्होंने बीए, एलएलबी की पढ़ाई की है. जैन समुदाय से ताल्लुक रखने वाले रुपानी सौराष्‍ट्र क्षेत्र से आते हैं, जहां जैन बनिया समुदाय काफी बड़ी संख्‍या में है. विजय रुपाणी का विवाह अंजलि रूपाणी से हुआ है. वो भी राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय हैं.

जानिए क्यों देना पड़ा इस्तीफा

विजय रुपाणी के इस्तीफे की असली वजह समझने से पहले हमें थोड़ा पीछे चलना होगा. यानी की साल 2016 के उस दौर में जब गुजरात में विधानसभा चुनाव होने थे. उस वक्त सीएम पद आनंदीबेन पटेल के पास था. लेकिन उन्होंने अपना इस्तीफा अचानक सौंप दिया था. कहा जाता है कि तब आनंदीबेन पटेल ने सीएम पद के लिए जो नाम सुझाया था वो नाम था नितिन पटेल का. माना जा रहा था कि नितिन पटेल सीएम बन जाएंगे. क्योंकि गुजरात में पटेल वोट की काफी सियासी अहमियत भी है. 

लेकिन हुआ इसके उलट. अमित शाह के नजदीकी कहे जाने वाले विजय रुपाणी को पार्टी की कमान सौंप दी गई. फिर उनके नेतृत्व में चुनाव भी हुए और बीजेपी ने सरकार भी बनाई. लेकिन अब सवाल ये कि आखिर विजय का इस्तीफा क्यों हुआ. दरअसल, माना जा रहा है कि रुपाणी की संगठन से बन नहीं रही थी. यहां तक कि मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बीजेपी गुजरात प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल और उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल से भी कुछ मतभेद थे. साथ ही ऐसा भी कहा जा रहा है कि बीजेपी अब चुनाव के मद्देनजर जातिगत वोट को साधने के लिए पार्टी किसी दूसरे चेहरे को आजमा सकती है.

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