नई दिल्लीः तेलंगाना में राज्य के राजस्व विभाग की एक महिला अधिकारी को उसके कार्यालय में एक व्यक्ति ने जिंदा जला दिया. बताया जा रहा है कि आरोपी हमलावर अपने भूमि रिकॉर्ड में गलतियां ठीक नही किए जाने से महिला अधिकारी से नाराज था. पुलिस ने कहा कि अब्दुल्लापुरमेट तहसील की तहसीलदार विजया रेड्डी अपने ऑफिस में थीं, उसी समय हमलावर वहां पहुंचा और उसने उनके ऊपर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी. महिला अधिकारी की घटनास्थल पर ही मौत हो गई और उन्हें बचाने की कोशिश में दो अन्य कर्मचारी घायल हो गए. इनमें से एक की हालत गंभीर है.
लंच के दौरान हुई घटना
पुलिस के अनुसार जिस समय घटना हुई कार्यालय में लंच चल रहा था. हमलावर की पहचान सुरेश मुदिराजू के रूप में हुई है और इस घटना में वह भी झुलस गया और कार्यालय से बाहर भाग गया. झुलसे शख्स को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. सुरेश इस बात से गुस्से में था कि अदालत के आदेश के बावजूद अधिकारी उसके भूमि दस्तावेज में त्रुटियों को दुरुस्त नहीं कर रहे थे. इस घटना से सरकारी अधिकारियों के बीच दहशत का माहौल पैदा हो गया. कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और उन्होंने सुरक्षा की मांग की. यह पहला मामला नहीं है, जब ड्यूटी के दौरान किसी अधिकारी पर जानलेवा हमला किया गया है, इसके पहले भी कई सनसनीखेज वारदात हो चुकी हैं, डालते हैं एक नजर-
मंजुनाथ षणमुगम
वारदात के इन सिलसिलों में मंजूनाथ का नाम सबसे ऊपर है. उनकी हत्या का मामला 2005 का है. मंजूनाथ इंडियन ऑयल के सेल्स मैनेजर थे. लखीमपुर खीरी में मिलावटी पेट्रोल बेचने वाले एक पेट्रोल पंप का लाइसेंस रद्द करने की बात कहने पर उनकी हत्या कर दी गई थी. जिस दौरान उन्हें गोली मारी गई वह ड्यूटी पर थे. बाद में इस मामले एक फिल्म भी बनाई गई थी. मंजूनाथ, इडियट था साला नाम से बनी इस फिल्म को दर्शकों ने पसंद किया था.
सत्येंद्र कुमार दुबे
बिहार के गया में रहने वाले सत्येंद्र कुमार दुबे इंजीनियर थे, जिन्होंने भारत की सबसे बड़ी सड़क परियोजना में घोटालों का भंडाफोड़ करने की कोशिश की थी. इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री तक को चिट्ठी लिखकर वहां चल रही धांधलियों के बारे में बताया था.
लेकिन 27 नवंबर, 2003 को वह जब तड़के बिहार के गया शहर में अपने घर जा रहे थे, तभी उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई. उनकी पढ़ाई आईआईटी कानपुर से हुई थी. उनकी ईमानदार छवि की याद में सत्येंद्र दुबे मेमोरियल अवार्ड शुरू किया गया.
हर साल आईआईटी कानपुर अपने प्रिय छात्र की याद में यह अवार्ड किसी ईमानदार पुलिस अधिकारी को देता है.
सुबोध कुमार
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 3 दिसंबर 2018 को कथित गोकशी की बात सामने आने के बाद हिंसा भड़क गई थी. इस दौरान वहां तैनात इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या कर दी गई थी. इंस्पेक्टर सुबोध यहां के स्याने थाने के प्रभारी थे. तीन दिसंबर को बुलंदशहर में गोकाशी की घटना के बाद भीड़ ने कार्रवाई की मांग को लेकर जाम लगाया था. पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई का वादा किया तो जाम खुल गया. इसके कुछ देर बाद लोगों में गुस्सा दोबार भड़क गया और इस दौरान मामले को सुलझाने पहुंचे इंस्पेक्टर सुबोध कुमार भीड़ का शिकार हो गए.