Domestic fighter jet development: हाल में ही MiG-21 फाइटर जेट को इंडियन एयरफोर्स ने हमेशा के लिए विदाई दे दी है. यह विमानों की एक लंबी और गौरवशाली सेवा का अंत है, साथ ही ये जेट कई दशकों से देश की सुरक्षा में अपना योगदान देता रहा है और कई युद्धों में अपनी भूमिका भी निभाई है. हालांकि, इस रिटायरमेंट के साथ ही IAF की 42 स्क्वाड्रन की मान्यता प्राप्त ताकत में कमी आ गई है और फिलहाल ये कम होकर केवल 31 स्क्वाड्रन ही बची हैं, इसके पीछे सबसे बड़ी चुनौती यह है कि चीन और पाकिस्तान जैसी पड़ोसी ताकतों के बढ़ते खतरे के बीच यह कमी तेजी से खामी पैदा कर सकती है.
देश में ही तैयार होंगे हथियार
एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती ने Aero Tech India 2025 सम्मेलन में बताया कि एयरफोर्स अब अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए नए फाइटर जेट को खरीदने और अपने देश में ही फाइटर जेट को बनाने पर ध्यान देंगे. इसके तहत मुख्य रूप से लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) Mk2 और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) जैसे घरेलू फाइटर जेट के ऊपर ध्यान दिया जाएगा. इन विमानों के जरिए भारत भविष्य में आसमान में अपनी छाप छोड़ना चाहता है.
LCA Mk1A जेट का कॉन्ट्रैक्ट
इसी सिलसिले में IAF ने हाल ही में 97 अतिरिक्त LCA Mk1A विमानों के लिए कॉन्ट्रैक्ट भी साइन किया है. यह Tejas का एडवांस वर्जन है. ये फाइटर जेट आगे चलकर इंडियन एयरफोर्स की ताकत बढ़ाने का काम करेगा. एयर मार्शल भारती ने जोर दिया कि यह प्रयास आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को देखते हुए है, जिससे रक्षा आयात पर निर्भरता कम होगी और देश की रक्षा उत्पादन क्षमता मजबूत होगी.
100% देसी उत्पादन
भारती के मुतबाबिक, केवल 99% स्थानीय सामग्री पर्याप्त नहीं है क्योंकि कुछ महत्वपूर्ण चीजें विदेशी सप्लाई चेन पर टिकी हुई हैं, ऐसे में उन्होंने उद्योग से अपील की कि ऐसे चीजों का उत्पादन भारत में 100% किया जाए, ताकि किसी भी स्थिति में उत्पादन में देरी न हो. इसके साथ ही, अगले 10-12 सालों में भारत अपने एयरो इंजन विकसित करने की प्लान भी बना रहा है.
MiG-21 एक युग का अंत
कुल मिलाकर, MiG-21 की विदाई एक युग का अंत है, लेकिन LCA Mk2 और AMCA जैसी परियोजनाएं इंडियन एयरफोर्स को भविष्य में मजबूत बनाएंगी. घरेलू निर्माण और आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए जा रहे कदम न सिर्फ वायुसेना की ताकत बढ़ाएंगे, बल्कि भारत को वैश्विक रक्षा उत्पादन में भी नई पहचान देंगे.
नई टेक्नोलॉजी के ऊपर करना होगा काम
एयर मार्शल ने नई टेक्नोलॉजी को लेकर भी बयान दिए, उन्होंने कहा कि अब हमें लगातार इंटेलिजेंस, निगरानी और सूचना (ISR) की क्षमता, असली समय में स्थिति की जानकारी और सुरक्षित कमांड सिस्टम की जरूरत है. उन्होंने बताया कि हथियारों की सटीक पहचान करने वाली टेक्नोलॉजी में कमी है और इस दिशा में निवेश जरूरी है. इसके अलावा, उन्होंने क्वांटम कंप्यूटिंग का इस्तेमाल सुरक्षित संचार के लिए, हाइपरसोनिक मिसाइलों के लिए स्क्रैमजेट इंजन, डायरेक्टेड एनर्जी हथियार और ड्रोन से निपटने वाली तकनीक विकसित करने पर जोर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि बिना पायलट वाले विमान (ड्रोन) क्षेत्र में काफी भीड़ बढ़ रही है, इसलिए इन प्लेटफॉर्म की सुरक्षा और सेंसर की प्रणाली पर काम करना जरूरी है.
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