इतिहास के पन्नों में ऐसे कई किले दर्ज हैं, जिनकी दीवारों ने ना जाने कितने युद्ध और हमलों का सामना किया है. मगर एक किला ऐसा भी है, जो ना सिर्फ अपनी ताकत के लिए जाना जाता है, बल्कि इस बात के लिए भी मशहूर है कि यहां अंग्रेजों ने कई बार हमला किया लेकिन आज तक एक बार भी कब्जा नहीं कर पाए. इस किले की कहानी बाकी किलों से अलग है, ना इसमें शाही सजावट है, ना ही ऊंचे महल. आइए जानते हैं इस किले का रोचक इतिहास.
कुछ खास था इस किले में
ना ही इसकी दीवारें संगमरमर से बनी थीं, ना ही इसमें कोई भव्य महल था. मगर फिर भी ये किला इतना मजबूत था कि तोपों के गोले भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ पाए. इस किले पर अंग्रेजों ने एक दो नहीं, बल्कि 13 बार हमला किया, लेकिन हर बार उन्हें शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा. ये किला भारत के उस इलाके में स्थित है, जहां वीरता और आत्मसम्मान की मिसालें हर मोड़ पर मिलती हैं.
वो ऐतिहासिक पल जब अंग्रेज हार मान गए
साल था 1805 में भारत में अंग्रेज धीरे-धीरे अपनी पकड़ मजबूत कर रहे थे. उन्होंने सोचा कि इस किले को जीतना उनके लिए आसान होगा. लेकिन जैसे ही हमला शुरू हुआ, अंग्रेजों को एहसास हुआ कि उन्होंने भारत की सबसे मजबूत चट्टान से टकराने की गलती कर दी है. इस किले की सुरक्षा व्यवस्था और यहां के योद्धाओं की रणनीति ने अंग्रेजों को कई हफ्तों तक उलझाए रखा. आखिरकार, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को समझ में आ गया कि इस किले को जीतना नामुमकिन है और वो खाली हाथ लौट गए.
क्या है इस किले का नाम?
इस अजेय किले का नाम है 'लोहागढ़ किला' है. इस किले की सबसे बड़ी खासियत इसकी दीवारें थीं, जो मोटी मिट्टी और पत्थर से बनी थीं. ये दीवारें तोपों के हमले भी सह लेती थीं और अंदर कोई नुकसान नहीं होने देती थीं. किले के चारों ओर गहरी खाई थी, जो दुश्मनों को अंदर घुसने से रोकती थी. इसकी बनावट और सुरक्षा प्रणाली इतनी मजबूत थी कि कोई भी बाहरी ताकत इसे फतह नहीं कर सकी.
कहां है ये किला?
लोहागढ़ किला राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित है. इसे 'Iron Fort of India' भी कहा जाता है. इसे 18वीं सदी में भरतपुर के शासक महाराजा सूरजमल ने बनवाया था. इसकी सबसे बड़ी खासियत थी कि इसकी दीवारें मिट्टी और पत्थर से बनी थीं, जो दुश्मन की तोपों के हमलों को बड़ी आसानी से रोक लेती थीं.
किले की बनावट और रणनीति
इस किले के चारों ओर खाई थी, जो दुश्मन के प्रवेश को रोकती थी इसके दो प्रमुख दरवाजे हैं, उत्तर दिशा में अस्सी खंभों वाला दरवाजा और दक्षिण दिशा में आनंद दरवाजा. इन दरवाजों पर आज भी पुराने युद्धों के निशान दिखाई देते हैं.
आज का लोहागढ़ किला
आज यह किला पर्यटकों के लिए खुला है. यहां आने वाला हर इंसान इसकी साधारण बनावट से भले हैरान हो, लेकिन इसके इतिहास को जानकर गर्व से सिर ऊंचा कर लेता है.