इंदौर: कोविड-19 की दूसरी लहर के घातक प्रकोप के बीच यहां रेमडेसिविर दवा की कालाबाजारी पर रोक के लिए जिला प्रशासन ने सोमवार को अहम फैसला किया. प्रशासन ने तय किया है कि इस अपराध में शामिल लोगों को सख्त प्रावधानों वाले राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा.
जिलाधिकारी मनीष सिंह ने यहां संवाददाताओं को बताया, "ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि खासकर छोटे अस्पतालों के कर्मचारी रेमडेसिविर की कालाबाजारी कर रहे हैं. हम इस दवा की कालाबाजारी में शामिल लोगों को एनएसए के तहत जेल भेजेंगे. "
उन्होंने कहा, " हम अस्पतालों में रेमडेसिविर के वितरण पर नजर रख रहे हैं. इस दवा की कालाबाजारी में शामिल पाए जाने पर अस्पताल संचालकों के खिलाफ भी उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी." जिलाधिकारी ने बताया कि राजेंद्र नगर पुलिस द्वारा रविवार को रेमडेसिविर की कथित कालाबाजारी में पकड़े गए आरोपियों में शामिल एक डॉक्टर और एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव पर रासुका लगाया जा रहा है.
सिंह के मुताबिक, जिले में रेमडेसिविर की किल्लत का प्रमुख कारण मरीजों की बढ़ती मांग के मुकाबले दवा निर्माता कंपनियों की आपूर्ति घटना है. हालांकि, अगले कुछ दिनों में इसकी आपूर्ति में इजाफे की उम्मीद है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जिले में 24 मार्च 2020 से लेकर अब तक महामारी के कुल 91,015 मरीज मिले हैं. इनमें से 1,054 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है.
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