'पीएम मोदी अयोध्या आकर राम मंदिर निर्माण के लिए शिला रखें'

अयोध्या के एक प्रमुख दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास ने पीएम नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखने जा रहे हैं. जिसमें वह मांग करेंगे कि वह स्वयं अयोध्या आकर अपने हाथों से राम मंदिर की शुरुआत करें.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 7, 2020, 09:43 PM IST
    • पीएम मोदी को राम मंदिर की शिला रखने के लिए निमंत्रण
    • दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास ने किया आमंत्रित
    • बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी भी पीएम को बुलाना चाहते हैं
    • ऐतिहासिक शिला को पीएम के हाथों रखवाने का प्रस्ताव
'पीएम मोदी अयोध्या आकर राम मंदिर निर्माण के लिए शिला रखें'

नई दिल्ली: अयोध्या के दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखेंगे. इस पत्र में यह  मांग की जाएगी कि श्री राम जन्मभूमि न्यास के प्रथम अध्यक्ष दिवंगत संत श्री रामचन्द्र दास परमहंस की दान की हुई शिला से राम मंदिर निर्माण प्रारंभ किया जाए. 

पीएम मोदी को देंगे आमंत्रण 
महंत सुरेश दास का आग्रह है कि राम मंदिर निर्माण के समय पीएम नरेंद्र मोदी खुद अयोध्या आकर परमहंस रामचंद्रदास द्वारा दान की हुई शिला को  खुद अपने हाथ से रखकर राम मंदिर निर्माण का काम शुरु कराएं. ये शिला अयोध्या के ट्रेजरी में रखी हुई है. साल 2002 में न्यास अध्यक्ष के रूप में दिवंगत संत रामचंद्र दास परमहंस ने केंद्र सरकार के प्रतिनिधि आईएएस अधिकारी शत्रुध्न सिंह को ये शिला सौंपी थी. 

बाबरी मस्जिद के पक्षकार ने भी पीएम मोदी को बुलाया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथ से आधार शिला रखवाने की इच्छा मुस्लिम पक्ष ने भी जताई है. बाबरी मस्जिद पक्षकार इक़बाल अंसारी ने भी मांग की है कि पीएम नरेन्द्र मोदी खुद आकर राम मंदिर की पहली नींव पूजित शिला को स्थापित करें. 

खास बात ये है कि प्रथम न्यास अध्यक्ष दिवंगत संत रामचंद्र दास परमहंस और बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाशिम अंसारी भले ही एक दूसरे के खिलाफ मुकदमा लड़ते थे. लेकिन दोनों अच्छे दोस्त थे और एक ही रिक्शे पर बैठकर एक दूसरे के खिलाफ मुकदमा लड़ने जाते थे. इसलिए उनके बेटे इकबाल अंसारी पीएम मोदी के हाथ से अयोध्या की शिला रखवाना चाहते हैं. 

ये है शिला का इतिहास
जिस शिला को पीएम मोदी के हाथ से रखवाने की गुजारिश की जा रही है. उसके दान की घोषणा 13 मार्च 2002 को तत्कालीन राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत रामचंद्र दास परमहंस ने की थी . जिसकी वजह से प्रदेश व केंद्र की सरकार हिल गई थी. 

महंत रामचंद्र परमहंस ने घोषणा की थी की यदि जन्मस्थान पर शिला दान नहीं करने दिया गया तो वह जहर खाकर अपने प्राण दे देंगे. इस घोषणा के बाद कई दिन अयोध्या में तनाव रहा. लेकिन केंद्र की तत्कालीन सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर गए फैजाबाद के पूर्व कमिश्नर शत्रुघ्न सिंह को शिलादान को लेने के लिए भेजा था. अब दिगंबर अखाडा के महंत सुरेश दास चाहते है की इसी शिला को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जन्मस्थान पर अपने हाथों से रखें. 

सुरेश दास और इकबाल अंसारी चाहते हैं कि राम मंदिर निर्माण के दौरान ये ऐतिहासिक शिला ऐसी जगह पर रखी जाए, जहां से सभी लोग इसके दर्शन कर सकें. 

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