100 नक्सलियों ने कमांडो और पुलिस पर बरसाई थीं अंधाधुंध गोलियां, मुठभेड़ में 26 ढेर

महाराष्ट्र के गडचिरोली में पुलिस एवं नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में 26 नक्सली मारे गए. इस मुठभेड़ में पुलिस ने नक्सैयों के टॉप लीडर मिलिंद तेलतुंबड़े को भी मार गिराया. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 14, 2021, 11:50 PM IST
  • मुठभेड़ में टॉप नक्सली मिलिंद तेलतुंबड़े की मौत
  • 50 लाख का इनामी थी मिलिंद तेलतुंबड़े
100 नक्सलियों ने कमांडो और पुलिस पर बरसाई थीं अंधाधुंध गोलियां, मुठभेड़ में 26 ढेर

मुंबई: महाराष्ट्र के गडचिरोली जिले के मर्दिनटोला वन में शनिवार तड़के आत्मसमर्पण की अपीलों पर ध्यान न देते हुए 100 से ज्यादा नक्सलियों ने अपने अत्याधुनिक हथियारों से सी-60 कमांडो और विशेष कार्रवाई दल (एसएटी) के जवानों पर अंधाधुंध गोलीबारी की. यह जानकारी पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी.

पुलिस के अधिकारी ने रविवार को बताया कि जब शनिवार को अपराह्न साढ़े तीन बजे, करीब 10 घंटे तक चलने के बाद मुठभेड़ खत्म हुई तो कुख्यात नक्सली मिलिंद तेलतुंबडे और 25 अन्य नक्सली मारे गए थे.
पुलिस ने कहा कि नक्सली सप्ताह से पहले सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ ''''विध्वंसक'''' गतिविधियों की योजना बनाने के लिए माओवादी बड़ी संख्या में जंगल में एकत्र हुए थे.

मुठभेड़ में टॉप नक्सली मिलिंद तेलतुंबड़े की मौत

गडचिरोली रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक संदीप पाटिल ने बताया कि मिलिंद तेलतुंबडे का मारा जाना महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ (एमएमसी) क्षेत्र में गैर कानूनी माओवादी आंदोलन के लिए ‘बड़ा झटका’ है. पुलिस के मुताबिक उसके सिर पर 50 लाख रुपये का इनाम था.

तेलतुंबडे माओवादियों की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था और एल्गार परिषद-माओवादी मामले में आरोपी था. वह कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे का भाई है. आनंद को भी एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में पहले गिरफ्तार कर लिया गया था और वह नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद है.

पाटिल ने मीडिया से कहा कि तेलतुंबडे वह प्रमुख व्यक्ति था जिसने पिछले 20 वर्षों में नक्सलवाद को गति दी और इसे महाराष्ट्र में खड़ा किया.
अधिकारी ने दावा किया, “वह इस आंदोलन का एकमात्र भविष्य था और महाराष्ट्र में कोई दूसरा नेता नहीं था.”

पाटिल ने कहा, “नक्सल आंदोलन में उसके योगदान और महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के कुछ हिस्सों और शहरी क्षेत्रों में उसके प्रभाव को देखते हुए, वह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कैडर था और हम बहुत लंबे समय से उसकी तलाश कर रहे थे.”
गडचिरोली रेंज के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ (एमएमसी) माओवादियों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र है.

60 कमांडो और 300 पुलिसकर्मियों ने संभाला था मोर्चा

गडचिरोली के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अंकित गोयल ने प्रेस वार्ता में कहा कि पुलिस को शनिवार हुई मुठभेड़ से दो दिन पहले कोर्ची तहसील के ग्यारापट्टी इलाके के मर्दिनटोला जंगल में नक्सलियों के एक शिविर के बारे में खुफिया सूचना मिली थी.

गोयल ने बताया, “सी-60 कमांडो और एसएटी समेत 300 पुलिस कर्मियों की टीम ने अतिरिक्त एसपी सौम्या मुंडे के साथ मिलकर नक्सल रोधी अभियान शुरू किया. उन्होंने बृहस्पतिवार रात मर्दिनटोला जंगल में तलाशी अभियान शुरू किया. शनिवार 
सुबह करीब छह बजे 100 से अधिक नक्सलियों ने सी-60 कमांडो और विशेष कार्रवाई दल (एसएटी) के जवानों पर अपने अत्याधुनिक हथियारों से भारी गोलीबारी शुरू कर दी.’’

गोयल ने कहा कि आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों की मदद से अबतक 16 शवों की पहचान की गई है. उन्होंने कहा कि मारे गए कई नक्सलियों के सिर पर बड़ा इनाम था.

गोयल ने कहा, “मिलिंद तेलतुंबडे के मारे जाने से न केवल महाराष्ट्र में बल्कि पूरे भारत में नक्सलवाद बहुत बुरी तरह प्रभावित होगा.’’

एक अधिकारी ने कहा कि मिलिंद तेलतुंबडे एमएमसी जोन का सचिव था और माओवादियों की सेंट्रल कमेटी में महाराष्ट्र से एकमात्र सदस्य था. उसका काम केंद्र सरकार का ध्यान पहाड़ी क्षेत्रों से हटाकर एमएमसी क्षेत्र की ओर करना था.

उन्होंने कहा, ““यह (मिलिंद तेलतुंबडे का मारा जाना) एमएमसी क्षेत्र में उनके लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि वह इसका प्रमुख प्रभारी था.

मिलिंद तेलतुंबडे के ''''शहरी नक्सल'''' आंदोलन के साथ गहरे संबंध के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि वह एक ऐसा कैडर था, जिनका शहरी और जंगल-आधारित माओवाद से मजबूत संबंध था.

उन्होंने कहा कि मिलिंद तेलतुंबडे अपनी पत्नी एंजेला सोंताके के साथ महाराष्ट्र में एक (विद्रोहियों का) शहरी नेटवर्क चलाता था.

एल्गार परिषद मामले में, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की ओर से दायर आरोप पत्र के मुताबिक, मिलिंद तेलतुंबडे को ‘खतरनाक माओवादी बताया है और उसे फरार बताया है. उसे प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) का ‘ऑपरेटिव’ बताया गया है.

नक्सल विरोधी अभियान के बारे में बताते हुए, गोयल ने कहा कि पुलिस के पास सूचना थी कि कंपनी नंबर 4, टिपगढ़ एलओएस, कोरची एलओएस, विस्तार प्लाटून, सीसीएम मिलिंद तेलतुंबडे के गार्ड और अन्य बड़ी संख्या में मर्दिनटोला जंगल में मौजूद हैं.

पुलिस ने नक्सलियों से की थी आत्मसमर्पण की अपील

उन्होंने कहा, “जानकारी के अनुसार, आगामी ''''नक्सल सप्ताह'''' की पृष्ठभूमि में सुरक्षा बलों के खिलाफ विभिन्न रणनीतियों की योजना बनाने और अन्य विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए चरमपंथी जंगल में एकत्र हुए थे.”
एसपी ने कहा कि शनिवार की सुबह जब सी-60 कमांडो पर गोलीबारी की गई तो उन्होंने नक्सलियों से गोलीबारी बंद करने और आत्मसमर्पण करने की अपील की.

गोयल ने कहा, “ लेकिन, इस अपील की अवहेलना करते हुए नक्सलियों ने गोलीबारी तेज कर दी. पुलिस और चरमपंथियों के बीच मुठभेड़ करीब दस घंटे तक चलती रही और दोपहर साढ़े तीन बजे समाप्त हुई. पुलिस के बढ़ते दबाव को भांपते हुए नक्सली घने जंगल में फरार हो गए.”

उन्होंने कहा, “ तलाशी के दौरान कमांडो ने 26 शव बरामद किए जिनमें 20 पुरुष और छह महिलाएं शामिल हैं.”

उन्होंने बताया कि भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया है, जिसमें पांच एके-47 राइफल, एक एकेएम-यूबीजीएल, नौ एसएलआर, तीन .303 राइफल, नौ 2.2 सिंगल बोर, एक इंसास राइफल, एक पिस्तौल और विस्फोटक शामिल हैं.

एसपी ने बताया कि मृत नक्सलियों में डिविज़नल कमेटी सदस्य लंकेश मदकम है, जिसके सिर पर 20 लाख रुपये और महेश गोटा है, जिसके सिर पर 16 लाख रुपये का इनाम था. एसपी ने बताया कि किशन जयमन और सन्नू कोवची के सिर पर आठ-आठ लाख रुपये का इनाम था.

अधिकारी ने बताया कि महिला नक्सलियों में विमला उर्फ मानसो बोगा है, जो मिलिंद तेलतुंबडे की अंगरक्षक थी और उसपर पर चार लाख रुपये का इनाम था.

यह भी पढ़िए: CBI, ED निदेशकों के कार्यकाल को 5 साल तक बढ़ाने के लिए अध्यादेश

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.  

 

ट्रेंडिंग न्यूज़