नई दिल्ली: मंत्रालय के अधिकारी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. आर सुब्रमण्यम जो मंत्रालय में अधिकारी हैं, उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से इसकी जानकारी दी. उन्होंने लिखा कि कार्यपालिका कमिटी ने हॉस्टल फीस बढ़ाने के फैसले को वापस ले लिया है. इसके साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए एक नई स्कीम शुरू करने की योजना बना रही है. मालूम हो कि पिछले 16 दिन से छात्र प्रदर्शन पर हैं. इस बीच उनको शांत करने के लिए पुलिस की भी मदद ली गई थी. उन्होंने फीस में बढ़ाने को लेकर वसंत कुंज में पैदल मार्च करना शुरू कर दिया. इस दौरान छात्रों को रोकने के लिए आई दिल्ली पुलिस से भिड़ंत भी हो गई. इतना ही नहीं छात्र यहीं नहीं रूके विरोध करते हुए वे विश्वविद्यालय में हो रहे दीक्षांत समारोह के जगह पर पहुंच कर भी प्रदर्शन करने में लग गए थे.
#JNU Executive Committee announces major roll-back in the hostel fee and other stipulations. Also proposes a scheme for economic assistance to the EWS students. Time to get back to classes. @HRDMinistry
— R. Subrahmanyam (@subrahyd) November 13, 2019
मैनुअल में बढाई गई थी हॉस्टल फीस
मालूम हो कि जेएनयू छात्र तकरीबन दो हफ्ते से जेएनयू की हॉस्टल और एडमिशन फी में बढ़ोत्तरी के लिए प्रदर्शन पर हैं. शुरुआती दौर में छात्रों ने छात्रसंघ के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रशासन को इस फैसले पर आपत्ति जताई थी. बाद के दिनों में छात्रों का आंदोलन तब उग्र होता चला गया जब प्रशासन की ओर से कोई भी कदम नहीं उठाए गए. इससे पहले भी छात्रों ने वसंत कुंज थाने का घेराव भी किया था. जेएनयू स्टूडेंट्स की मांग है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी किए गए नए मैनुअल को जल्द वापस लिया जाए और फी में इतनी वृद्धि के फैसले को भी. उनका कहना है कि जेएनयू में दाखिला ले रहे 40 फीसदी छात्र अत्यंत गरीब परिवारों से आते हैं जो मोटी निजी विश्वविद्यालय और कॉलेजों की तरह मोटी रकम भर के नहीं पढ़ सकते.
तर्कहीन बताया था फीस में वृद्धि को
दरअसल, जेएनयू छात्रों का कहना है कि हॉस्टल फी में तर्कहीन तरीके से वृद्धि की गई है. सिंगल सिटर कमरे का चार्ज पहले 20 रुपये प्रति महीने था जो अब नए मैनुअल के हिसाब से 600 रुपए तक हो जाएगा. वहीं, डबल बेड के कमरे का किराया प्रति महीने 10 रुपए से बढ़कर 300 रुपए तक किया जा रहा है. इसके अलावा 1700 रुपए सर्विस चार्ज हर साल लिए जाने की बातें भी मैनुअल में कही गई है. मेस में जमा किए जा रहे सिक्यूरिटी मनी को 5,500 से बढ़ाकर सीधे 12,000 कर दिया गया है. हालांकि, यह रिफंडेबल होता है, यानी पैसे वापस मिल जाते हैं. छात्रों का कहना है कि जेएनयू में पानी और बिजली का बिल पहले फ्री हुआ करता था जिसपर अब विश्वविद्यालय प्रशासन कुछ पैसे लगाना चाहती है.
अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों का हाल
देश के अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पहले जेएनयू के मुकाबले फी ज्यादा हुआ करता है. दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में तकरीबन 8 हॉस्टल की व्यवस्थाएं हैं. जामिया में हॉस्टल फीस प्रति महीने 400 रुपए है. जबकि हॉस्टल के बाहर पीजी की भी व्यवस्था है जिसका प्रति महीने 5000 चार्ज किया जाता है. वहीं वाराणसी के बनारस हिंदु विश्वविद्यालय का हॉस्टल चार्ज 500 रुपए प्रति महीने के हिसाब से 6000 रूपए सालाना होता है. कई कोर्सेज में तो कोर्स फी भी हॉस्टल फीस से कम है. वहीं अलीगढ़ मु्स्लिम विश्वविद्यालय में हॉस्टल फीस रहने-खाने का साथ मिलाकर 1200 रुपए प्रति महीने है.
इन केंद्रीय विश्वविद्यालयों की फीस हालांकि जेएनयू के रिवाइज्ड फीस के आसपास ही है. लेकिन सिक्यूरिटी मनी और अतिरिक्त खर्चों को मिलाकर देखा जाए तो जेएनयू में फीस की बढ़ोत्तरी अन्य केंद्रीय विवियों से ज्यादा हो जाती है.