भारतीय वैज्ञानिकों के खिलाफ कातिलाना खेल! जीवन लंबा होता तो दुनिया में बजता डंका, कैसे हुई परमाणु-अंतरिक्ष के हीरो की मौत?

Suspicious death of Indian scientists: भारत के कई वैज्ञानिकों की अचानक मौतों ने देश को तकनीक और डिफेंस के सेक्टर में पीछे धकेल दिया. लेकिन ऐसा माना जाता है कि भारतीय वैज्ञानिकों की मौत एक्सीडेंटल नहीं थी, बल्कि उनकी हत्या की गई थी. ऐसे में हम उन वैज्ञानिकों की मौत का जिक्र करेंगे. जिनकी अचानक मौत हो गई थी. 

Written by - Saurabh Pal | Last Updated : Oct 5, 2025, 06:38 PM IST
  • वैज्ञानिकों की रहस्यमयी मौतें बनी पहेली
  • भारत की तकनीक को रोकने की साजिश?
भारतीय वैज्ञानिकों के खिलाफ कातिलाना खेल! जीवन लंबा होता तो दुनिया में बजता डंका, कैसे हुई परमाणु-अंतरिक्ष के हीरो की मौत?

Suspicious death of Indian scientists: भारत तकनीक के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है. जिस तकनीक के रास्ते पर भारत चल रहा है. उसकी नींव होमी जहांगीर भाभा और विक्रम साराभाई जैसे वैज्ञानिकों ने रखी थी. भारत का दुर्भाग्य है कि इनका जीवन ज्यादा लंबा नहीं रहा. इनकी मौतें प्राकृतिक रूप से नहीं हुईं. किसी की दुर्घटना में हुई तो किसी की जान दिल की बीमारी ने ले ली. हालांकि इन मौत के कारणों को भारतीय सच नहीं मानते हैं. 

ऐसे में हम इस खबर में उन भारतीय वैज्ञानिकों का जिक्र करेंगे, जो भारत का सुनहरा भविष्य गढ़ रहे थे. यही बात देश के दुश्मनों को खटक रही थी. इसलिए उनकी कथित तौर पर हत्या कर दी गई. ऐसा मानना है कि अगर ये वैज्ञानिक ज्यादा लंबा जीते तो भारत तकनीक की दुनिया का राजा होता.

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डॉ. होमी जहांगीर भाभा
भारत के परमाणु कार्यक्रम के जनक डॉ. होमी जहांगीर भाभा हैं. उन्होंने भारत के परमाणु कार्यक्रम की शुरूआत की थी, लेकिन परमाणु कार्यक्रम पूरा हो इससे पहले  24 जनवरी 1966 को स्विट्ज़रलैंड के आल्प्स पर्वतों में हुए विमान हादसे में उनकी मौत हो गई. आधिकारिक रूप से इसे हादसा माना गया, पर कई लोगों का मानना है कि इसके पीछे CIA की साजिश थी, ताकि भारत का परमाणु कार्यक्रम धीमा हो.

डॉ. विक्रम साराभाई
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई, जिन्हे रॉकेट बॉय के नाम से भी जाना जाता है. इनकी मृत्यु 30 दिसंबर 1971 को केरल में दिल का दौरा पड़ने से हो गई, लेकिन उन्हें जानने वाली ऐसा नहीं मानते हैं. लोगों का मानना है कि उनकी हत्या की गई है. वे पूरे तरह से स्वस्थ थे. उन्हें दिल की बीमारी थी ही नहीं. लोगों का मानना है कि वो भाभा का परमाणु कार्यक्रम आगे बढ़ाने में लगे हुए थे. जो विदेशी शक्तियों को रास नहीं आया.

डॉ. संतिलनथन कृष्णन 
डॉ. एस. कृष्णन प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी थे जिन्होंने एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. उनका निधन 1970 के दशक में अचानक हुआ था, जिसे आधिकारिक रूप से स्वास्थ्य संबंधी कारण बताया गया, कुछ लोगों का मानना है कि वे उस समय रक्षा अनुसंधान से जुड़े एक गोपनीय प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे थे. इसलिए उनकी हत्या की गई.

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About the Author

Saurabh Pal

सौरभ पाल का नाता उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से है. इन्होंने अपनी पढ़ाई देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय- इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से की है. सौरभ को लिखने-पढ़ने का शौक है. ...और पढ़ें

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