हैदराबाद की निर्भया से दरिंदगी के केस में सामने आई 'नई थ्योरी'

हैदराबाद में महिला डॉक्टर को नोंचकर अपनी आग बुझाने वाले दरिंदे भले ही पुलिस के चुंगल में हैं. लेकिन इस बीच पुलिस की लापरवाही को लेकर राष्ट्रीय महिला ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. जानकारी के मुताबिक पुलिस ने निर्भया की बहन को क्षेत्र का हवाला देकर ढाई घंटे का समय बर्बाद कर दिया.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 1, 2019, 03:10 PM IST
    1. हैदराबाद रेप केस में आया नया मोड़
    2. महिला आयोग ने पुलिस पर उठाया सवाल
    3. महिला डॉक्टर से हाईवे पर हुई थी दरिंदगी
हैदराबाद की निर्भया से दरिंदगी के केस में सामने आई 'नई थ्योरी'

नई दिल्ली: चार मीनार के शहर हैदराबाद में ना सिर्फ बेटी को बेआबरू किया गया, बल्कि उसके साथ हैवानित का ऐसा खेल खेला गया. जिसे सुनने के लिए पत्थर का कलेजा चाहिए. हाईवे के हैवान और निर्भया के मुजरिम पुलिस की गिरफ्त में हैं. हवस के प्यासे दरिंदों ने 26 साल की एक वैटनरी लेडी डॉक्टर के ख्वाबों को रौंद डाला.

राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम पहुंची हैदराबाद

मामला सामने आने के बाद जब राष्ट्रीय महिला आयोग की एक टीम हैदराबाद पहुंची और पीड़ित परिवार से मुलाकात की. साथ ही पुलिस से बातचीत के बाद पूरे केस से पर्दा उठाने में एक नई थ्योरी सामने आई. इस केस में पुलिस की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं कि अगर वक्त रहते पुलिस ने लापरहवाही नहीं बरती होती तो आज हैदराबाद की निर्भया जिंदा होती.

जांच के दौरान पता चला कि जिस वक्त महिला डॉक्टर के साथ ये वारदात हुई. उसने स्कूटी को शादनगर के टोल प्लाजा शमसाबाद के पास पार्क किया था. लेकिन रात में जब वो हॉस्पीटल से काम कर वापस लौटी तो उसकी स्कूटी पंचर थी. जब महिला डॉक्टर ने इसकी सूचना फोन पर अपनी बहन को दी तो वो बेहद डरी हुई थी. क्योंकि उसके पास यही वो चारों हैवान घात लगाए अपने शिकार पर झपट्टा मारने की तैयारी में थे. डरी-सहमी लड़की लगातार अपनी बहन से फोन पर बात करती रही.

पुलिस के पास गई बहन तो क्या हुआ?

अचानक जब लड़की का फोन स्विच ऑफ बताने लगा तो उसकी बहन घबरा गई. और दौड़कर पुलिस थाने पहुंची, लेकिन पुलिसवाले थाना इलाके की सीमा को लेकर लड़की की बहन को चक्कर कटाते रहे. जिसका नतीजा पूरे देश के सामने है.

महिला आयोग ने पुलिस पर उठाए सवाल

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने पुलि की कार्रवाई को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा है कि 'मुझे जहां तक पता चला हैं, जो-जो बातें पुलिस से पता चली हैं. पुलिस ने अपनी कार्रवाई बिल्कुल ठीक से नहीं की, वो लड़की बहुत डरी हुई थी, वो अपनी बहन से बात कर रही थी. उसके बाद जब उसकी सिस्टर ने फोन किया और जब उसने फोन नहीं उठाया, जब पुलिस के पास गए तो पुलिस ने ठीक से काम नहीं किया. उनको इधर-उधर चक्कर कटवाते रहे, बोले ये इस क्षेत्र में नहीं है, आप दूसरे थाने में जाएं. दो पुलिस स्टेशन आपस में लड़ते रहे, कि किसके ज्युरडिक्शन में है. उस पूरे एपिसोड में पूरे दो ढाई घंटे खराब किए जो बहुत क्रूशियल थे. जिसमें एक जान बचाई जा सकती थी.'

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने ये भी कहा है कि दिल्ली के निर्भया कांड में जिस तरह सात साल का लंबा वक्त लग गया है, उस तरह इस केस में फैसला जल्द से जल्द होना चाहिए. इस केस की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो. इसके साथ ही राष्ट्रीय महिला आयोग ने सभी आरोपियों के लिए फांसी की सजा की मांग भी की है.

याद आ गए 7 साल पुराने जख्म

इस दिल दहला देने वाली वारदात ने सात साल पुराने निर्भया कांड की खौफनाक यादों और जख्मों को एक बार फिर से ताजा कर दिया. दिल्ली से लेकर तेलंगाना तक एक और निर्भया के साथ दरिंदगी से हड़कंप मच गया. एक बार फिर से मोमबत्तियां और मशालें लेकर सड़कों पर एक बेटी के लिए न्याय मांगने वाले पोस्टर-बैनर हाथ में फिर से उठा लिए गए. लेकिन, काश इसकी नौबत ही न आती कि हमारे समाज की गंदगी इस कदर परवान पर चढ़ जाती कि इसकी सफाई की कल्पना कर पाना भी इतना कठिन होता.

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महिला डॉक्टर के साथ हैवानियत के जुर्म की परतें खुलीं, तो इन चारों गिरफ्तार आरोपियों की पहचान मोहम्मद आरिफ, नवीन, केशावुलु और शिवा के तौर पर हुई. ये सभी हैदराबाद से 160 किमी दूर नारायणपेट के रहने वाले बताए जा रहे हैं. आरोपियों के कबूलनामे और सबूतों के आधार पर यह पता चला कि चारों आरोपी इस वारदात में शामिल थे.

इन चारों आरोपियों ने बुधवार की शाम छह बजे पीड़िता को अपनी स्कूटी को शमशाबाद के तोंदुपल्ली टोलगेट में पार्क करते देखा, और यहीं से उस पूरे घिनौने खेल की साजिश रची गई. आरोपियों ने पहले तो जानबूझकर महिला डॉक्टर की स्कूटी के पिछले टायर से हवा निकाल दी और उस समय सभी आरोपी नशे में थे.

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अपनी दुलारी की इतनी दर्दनाक दास्तां के बारे में घरवालों ने कभी नहीं सोचा था. जो बेटी अपने पिता का गुरूर थी, मां की आंखों की नूर थी, अपनी बहन की हमराज थी. स्कूटी पर अपने उन बेजुबान जानवरों का इलाज करने निकली थी. लेकिन वो ये भूल गई कि इंसानी शक्ल में छिपे भेड़िए इतने ज्यादा खौफनाक होते हैं. उन्हीं जानवरों ने पहले एक बेटी का जिस्म नोंचा और फिर केरोसिन डालकर जिंदा जला दिया.

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