भारत से वार्ता करने को उत्सुक नेपाल, भारत का दो टूक जवाब

चीन के बहकावे में आकर नेपाल ने भारत के साथ जो छल किया था अब वो पछता रहा है. भारत भी अपने वैश्विक प्रभाव की असलियत नेपाल को दिखाना चाहता है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 29, 2020, 01:29 PM IST
    • भारत के कड़े रुख के बाद नेपाल को अपने फैसले से पलटना पड़ा
    • वार्ता करके भारत को मनाना चाहता है नेपाल
भारत से वार्ता करने को उत्सुक नेपाल, भारत का दो टूक जवाब

नई दिल्ली: भारत के कड़े रुख के बाद नेपाल को अपने फैसले से पलटना पड़ा है. भारत के कुछ हिस्सों को अपने नक्शे दिखाने के बाद नेपाल पर भारत ने जबरदस्त दबाव बनाया था. इसके बाद नेपाल ने अपने प्रस्ताव को स्थगित कर दिया था. अब नेपाल भारत के गुस्से से बचने के लिए भारत को मनाने की कोशिश कर रहा है. नेपाल चाहता है भारत उससे द्विपक्षीय स्तर की बातचीत करने को तैयार हो जाये लेकिन भारत ने उसे कड़े शब्दों पर अपना जवाब दे दिया है.

वार्ता करके भारत को मनाना चाहता है नेपाल

आपको बता दें कि नेपाल कालापानी सीमा के मुद्दे पर विदेश सचिव स्तर की बातचीत पर जोर दे रहा है और साथ ही नए नक्शे को मंजूरी दिलाने के लिए संविधान में संशोधन की भी कोशिश कर रहा है, लेकिन भारत का कहना है कि बातचीत के लिए नेपाल को विश्वास और भरोसे का माहौल तैयार करना होगा. नेपाल चाहता है कि उसके इस कृत्य के बाद कहीं भारत के कारण उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा नुकसान न हो जाये. जब जब नेपाल पर कोई संकट आया है तब तब भारत ने दिल खोलकर नेपाल की मदद की है.

नेपाल में डर का माहौल

विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला पहले ही दो बार नेपाल के राजदूत नीलांबर आचार्य से मिल चुके हैं. विदेश मंत्रालय में नेपाल के मामलों को देख रहे संयुक्त सचिव (नॉर्थ) पीयूष श्रीवास्तव भी कई बार आचार्य से मिल चुके हैं और लगातार उनके संपर्क में हैं. इससे पहले नेपाल के मीडिया में खबर आई थी कि वरिष्ठ भारतीय अधिकारी नेपाल के राजदूत को कोई भाव नहीं दे रहे हैं. अब नेपाल को अपने भविष्य को लेकर चिंता है और उसे अपने हितों को ललेकर डर भी लग रहा है. हालांकि भारत की सह्रदयता के कारण नेपाल का कुछ भी अहित नहीं होगा.

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संविधान संशोधन के प्रस्ताव को टाला

नेपाल ने फिलहाल विवाद को समाप्त करने के लिये अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. नेपाल के सत्तापक्ष‌ और प्रतिपक्षी दल दोनों की आपसी सहमति से ही संविधान संशोधन विधेयक को फिलहाल संसद की कार्यसूची से हटाया गया है. मंगलवार को नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने नए नक्शे वाले मुद्दे पर राष्ट्रीय सहमति बनाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इस बैठक के बाद ये फैसला किया गया.

आपको बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्‍व में कैबिनेट की बैठक में इस विवादित नक्शे को मंजूरी दी थी. नेपाल के नए मैप के मुताबिक, लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी नेपाल में हैं, जबकि ये इलाके भारत में आते हैं. इससे भारत में नेपाल के प्रति रोष उत्पन्न हो गया था.

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